Bus To Patna – 8: आज हमारा बड्डे है, सुतले थे कि मोबाइल टनटना गया..

Bus to Patna

आज हमारा बड्डे है.. पिछले तीन-चार साल से बड्डे में घरे नहीं रह पा रहे हैं.. हमको तो अब यादो नहीं रहता है कि हमारा बड्डे भी आबे वाला है.. सुतले थे कि मोबाइल टनटना गया. पप्पा थे लाइन पर..

– हाँ पप्पा परनाम..

– खुश रहो बबुआ.. अभी तक सुतले हो? आज तुम्हारा जनमदिन है ना! खूब खुश रहो, खूब पढ़ो-लिखो..

हम मुस्कुरा दिए.. अभी तक मिडिल क्लास फैमिली में पिताजी को थैंक्यू कहने का हिम्मत नहीं आया है. ता हमलोग हंसिए के काम चला लेते हैं.. पिताजी से बतियाइए रहे थे कि मम्मी फोन ले लीं..

– सुनो बबुआ, आज बिना नहइले मत खा लेना.. नहा-धोआ के हनुमान मंदिर चल जाओ.. उहाँ परसादी चढ़ाइए के कुच्छो खाना.. इस्टेशन तुम्हारे डेरा से जादा दूर त नहीं ना है..? हाँ एगो बात और, पप्पा आज पईसा लगा देंगे त दोस्त सब के साथे खाना बाहरे खा लेना.. आजो खिचड़ी-ऊचड़ी मत बना लेना.. उठो जल्दी, हमरो चाय उबल रहा है, उधिया जाएगा.. रखते हैं, ठीक है.. खूब खुश रहो..

पचीस मार्च है आज.. आज हम तेईस साल के हो जाएंगे. एक समय था जब बड्डे आता था ता केतना खुश होते थे.! केक काटेंगे, गिफ्ट मिलेगा, खूब सारा टाफी-चौकलेट खरीदाएगा, खूब नाचेंगे..! और एगो अब बड्डे आता है..! देखते-देखते तेईस साल के हो गए, अगले साल चौबीस फिर पच्चीस.. साला कब तक गार्जियन के पईसा पर पार्टी करते रहेंगे..! कब तक दोस्त सबको घरे से पईसा मंगाकर मंचूरियन आ बोनलेस खिलाते रहेंगे.!!

सांच बताएं ता एक-एक जनमदिन अब हमको फ्रसटेट करने आता है.. केक अभियो काट लेते हैं, पार्टी अभियो कर लेते हैं, दोस्त सब के साथे नाचियो लेते हैं..

दोस्त सबके जाने के बाद छत को निहारते अपना मनपसंद ग़ज़ल “तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो” सुनते-सुनते कब सूत जाते हैं पते नहीं चलता!

ई सब सोचिए रहे थे कि मोबाइल पर फोन आ मैसेज टनटनाने लगा.. अरे इन सब को कईसे पता चल जाता है? ब्रह्मराच्छस है सब.. सोचे थे पार्टी का पइसा बचा के नया मोबाइल ले लेंगे.. लेकिन ई सब आज मिलके हमारा डिमोनीटाईजेशन करिए के मानेगा..!

– हाँ हेल्लो.

– हेल्लो भाई.. हैप्पी बर्थडे डिअर.. आज तो बिरयानी महल में डिनर चलेगा! क्या भाई, क्या बोलता है?

– हां बे, हमारे दादाजी ता दरभंगा महराज थे ना.!! बिरयानी महल जइसे छोटकन-मोटकन ढाबा में हम नहीं खाते हैं, एगो काम करना शाम को मौर्या होटल आ जाना.. हाँ, अपन ऊ झरखंडी साइकिल से मत आना नहीं तो गेटकी रीजेंट सिनेमा तक दौड़ा कर मारेगा..

– अरे यार काहे मजाक करता है!! चलो ठीक है शाम को तुम्हारे रूम पर ही आते हैं. ऊहें केक-उक कटेगा.. सुनो ना रे, तुम्हारे मकान-मालिक को कोनो दिक्कत तो नहीं है ना.. सोचेे हैं इस्पीकर भी ले लेते हैं.. तुम मुर्गा बनाकर रखना खाली.. सुनो ना, लाउडइस्पीकर ऑफ़ है कि नहीं? ठीक-ठीक.. आ किंगफिशर नहीं मिला ता टूबोर्ग चल जाएगा न..?

– अमन आकाश

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