पुलिसिंग ही नहीं, फोटोग्राफी में भी झलकता है इस प्रसिद्ध आईपीएस का जुनून

किसी व्यक्ति के जीवन में कई व्यक्तिगत पहलु होते हैं, जिनकी जानकारी करीबियों तक ही सीमित रहती है। ज्यादातर लोगों की प्रतिभा जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर रह जाती है। इसकी वजहें बहुत सी हो सकती हैं। मगर लोग याद तब किये जाते हैं जब जिम्मेदारियों के साथ शौक को भी जगह दें। क्योंकि ये प्रमाणित सत्य है कि शौक को समय देने वाले लोगों की ऊर्जा निरंतर बनी रहती है और इस तरह उनकी कार्यक्षमता दूसरों की अपेक्षा बेहतर होती है।
हम कहानी कह रहे हैं निशांत तिवारी की। जी हाँ! पूर्णियाँ जिले के पुलिस अधिक्षक के पद पर कार्यरत और 2005 बैच के टॉप आईपीएस निशांत तिवारी। इनके व्यक्तिगत उपलब्धियों और व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर बात छिड़े और फोटोग्राफी का ज़िक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता। फोटोग्राफी इनका सिर्फ शौक नहीं बल्कि दुनिया को देखने का एक नज़रिया है।

जैसा कि श्री निशांत कहते हैं, “फोटोग्राफी साइंस और आर्ट का मिश्रित रूप है”। बिलकुल यही नजरिया उन्होंने दिखाया था हाल ही में घटित एक घटना के वक़्त। हालाँकि यह एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी, जिसे पूर्णियाँ के पुलिस बल ने बहुत चतुराई से नियंत्रित किया। दरअसल एक तेंदुआ जंगल से भटक कर शहर में घुस आया था, जिसे देखने के लिए भीड़ अनियंत्रित होती जा रही थी। ऐसे में तेंदुए से शहर को और शहर से तेंदुए को बचाना वाकई मुश्किल था। यह जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाते हुए श्री तिवारी ने अपने शौक के लिए भी वक़्त निकाला और ऐसी बेहतरीन फोटो ली जिसमें कलाकारी का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। डरे-सहमे तेंदुए की आँखों में खुद को परेशान करने वालों के प्रति गुस्सा और वहाँ से भाग निकलने की कश्मकश, हर चीज़ एकसाथ कैमरे में कैद करना सच में साबित करता है कि अच्छी फोटोग्राफी के लिए विज्ञान और कला दोनों का जानकार होना जरुरी है। यह रही वह तस्वीर जिसकी चर्चा अच्छी फोटोग्राफी के लिए होती रही है-

बताते चलें, श्री निशांत के फोटोग्राफी की प्रदर्शनी भी दिल्ली में लग चुकी है और ऑक्सफ़ोर्ड प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इनकी दो पुस्तकों में भी तस्वीरें इन्हीं के कैमरे से निकाली गईं हैं।
आइये जानते हैं खुद उन्हीं के मुखारविंद से कि अपने इस शौक को किस तरीके से देखते हैं आईपीएस निशांत तिवारी-

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