अहले-सुबह उदय होते सूर्य की आराधना के साथ चैती छठ पूजा सम्पन्न

​छठ महापर्व की महत्ता और छठी मइया की महिमा पर लोगों की आस्था इस चैती छठ में पुनः देखने को मिली। छठपर्व के पहले और दुसरे अर्घ के सफलतापूर्वक संपन्न होने की सूचना है। डूबते सूर्य की आराधना के साथ यह चार दिवसीय अनूठा महापर्व अपने चरम पर था। अहले-सुबह उदय होते सूर्य की आराधना के पश्चात् व्रतियों ने व्रत खोला।

बताते चलें कि अभी बिहार में लगभग हर जिले का तापमान 35℃ से 40℃ के बीच है। ऐसे प्रतिकूल परिस्थिति में, जब लू से हर दस मिनट में होंठ सुख जा रहे हैं, पूरे दिन निर्जला व्रत में रहकर व्रतियों ने एक बार फिर श्रद्धा के उत्कृष्ट स्तर का परिचय दिया। व्रतियों के साथ-साथ परिजनों का उत्साह भी देखते ही बनता था। छठ-घाट का नज़ारा और लोकगीतों का मधुर संगम भी इस व्रत की खासियत में चार चांद लगाते हैं। 

छठघाट पर उमड़ा जन सैलाब- 


सूर्यदेव के अस्त होने से लेकर उदय होने तक को पूजने का अवसर देने वाला यह व्रत सबसे अधिक अपनी प्रकृति को ही समर्पित होता है। बड़े शहरों, खासकर विदेशों में जिसतरह अपने आसपास घाट का परिवेश बना पूजा करने की बातें सामने आ रही हैं, वो वास्तव में अभिभूत करती हैं। 

कुछ व्रतियों ने यूँ दिया सच्ची आस्था का परिचय-

इसी बीच दउरा उठाये हर कदम साथ चलीं बेटियाँ-

वो कहते हैं न- “मन चंगा तो कठौती में गंगा” –


ये नज़ारा भी कम मोहक नहीं! –

लोग जहाँ भी हैं, अपनी बिहारी संस्कृति पर विश्वास कायम रखें, इसे अपने अंदर रचाएँ-बसाएँ और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाते रहें।

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