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बिहार महागठबंधन में हुआ सीटों का बंटवारा, जानिये किस पार्टी को मिले कितने सीटें

लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार महागठबंधन में सीटों बंटवारा हो गया. बिहार में राजद 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी वहीं, कांग्रेस को 9 सीटें दी गई है. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP को 5, जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ पार्टी को 3 और सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी की वीआईपी को 3 सीटें दी गई हैं. इसके अलावा सीपीआई माले को राजद के कोटे से एक सीट दी गई है. इसके अलावा पहले दौर के उम्मीदवारों की सूची भी जारी की गई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि शरद यादव आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. वहीं जीतनराम मांझी के भी चुनाव लड़ने की बात कही गई है. जीतनराम मांझी गया से चुनाव लड़ेंगे.

आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा, प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस के मदन मोहन झा, हम के बीएल वैसयंत्री, रालोसपा के सत्यानंद दांगी ने की घोषणा। उन्होंने बताया कि दो विधानसभा के उप चुनाव में डिहरी से आरजेडी के मो फिरोज हुसैन और नवादा से धीरेंद्र कुमार सिंह हम पार्टी के प्रत्याशी होंगे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले चरण के उम्मीदवार के नाम पर भी ऐलान हो गया है।

पहले चरण: महागठबंधन के उम्मीदवार
1- गया सीट से हम उम्मीदवार जीतन राम मांझी
2- नवादा सीट राजद उम्मीदवार विभा देवी
3- जमुई से आरएलएसपी के उम्मीदवार भूदेव चौधरी
4- औरंगाबाद सीट से हम उम्मीदवार उपेंद्र प्रसाद

तेजस्वी के ट्वीट से गरमाया था सियासी माहौल
16 मार्च को महागठबंधन में सीट शेयरिंग से पहले ही तेजस्वी के ट्वीट के बाद सियासी माहौल गरमा गया था। तेजस्वी के ट्वीट से कांग्रेस आलाकमान नाराज हो गया था। इसके बाद तेजस्वी दिल्ली गए और कांग्रेस नेताओं से बैठकर चर्चा की। बताया जा रहा है कि जब उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आए थे तो राजद ने उन्हें 5 सीट का आश्वासन दिया था। इसी को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसा था।

विश्लेषण: उपचुनाव में तेजस्वी ने नीतीश को फिर दी पटखनी, जानिए जोकिहाट में क्यों जीती आरजेडी?

बिहार में जोकिहाट विधानसभा उपचुनाव आरजेडी प्रत्याशी शहनवाज अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और जेडीयू उम्मीदवार मोहम्मद मुर्शीद आलम को 41225 वोटों से हराया। आरजेडी उम्मीदवार शहनवाज को 81240 वोट जबकि जेडीयू उम्मीदवार मुर्शिद आलम को 40015 वोट मिले। जीत के बाद आरजेडी विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि यह अवसरवाद पर लालूवाद की जीत है, लालू विचार नहीं बल्कि विज्ञान है।

जोकीहाट सीट पर साल 2005 से ही जेडीयू का कब्जा रहा था। ताजा चुनाव परिणाम से साफ है कि मुस्लिम वोटरों का जेडीयू से मोह भंग हो रहा है। भाजपा के साथ जाने की वजह से जदयू की लगातार तीसरी बार हार हुई है|

साल 2005 में बिहार के अंदर लालू विरोधी लहर आई जिसकी वजह से नीतीश को सत्ता मिली थी। इसके बाद उन्होंने मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाना शुरू किया। जिसमें वह सफल भी रहे। चुनावों में भाजपा के साथ रहने के बावजूद मुस्लिम वोटरों ने नीतीश को वोट दिया था। मगर साल 2014 में भाजपा से अलग होने की वजह से उन्हें अपने दम पर चुनाव लड़ना पड़ा और करारी हार मिली। बता दें कि इस सीट पर पहले तस्लीमुद्दीन परिवार का कब्जा था। उनके निधन के बाद उनके बेटे सरफराज आलम यहां से विधायक थे। इसी साल मार्च में उन्होंने जदयू से इस्तीफा देकर राजद के टिकट पर अररिया की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। उनके इस्तीफे की वजह से ही यह सीट खाली हुई थी।

 

आइए समझते हैं जोकिहाट पर क्यों जीती आरजेडी

मुस्लिम बहुल इलाका है जोकिहाट: इस सीट पर दो लाख 70 हजार वोटर हैं, जिसमें से करीब 70 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है| यहां यादवों की भी अच्छी खासी आबादी है. ऐसे में यहां इस बार आरजेडी का M+Y (मुस्लिम+यादव) समीकरण फीट बैठता हैl हालांकि जेडीयू ने भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया था, लेकिन आरजेडी का समीकरण भारी पड़ रहा था।1969 में बने इस विधानसभा सीट पर हमेशा से मुस्लिम प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं, हालांकि पार्टियां बदलती रही हैं।पिछले चार बार से जेडीयू के प्रत्याशी यहां से जीतते रहे हैं।

मोहम्मद तसलीमुद्दीन के परिवार का इस सीट पर रहा है दबदबा: जोकिहाट सीट पर मुस्लिमों के बड़े नेता मोहम्मद तसलीमुद्दीन का दबदबा रहा है। अबतक हुए 14 बार हुए विधानसभा चुनावों में नौ बार तस्लीमुद्दीन के परिवार से ही जीतते रहे हैं। इस बार भी आरजेडी के ने तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शाहनवाज आलम आलम को टिकट दिया है। इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए जेडीयू ने भी तसलीमुद्दीन के परिवार को ही टिकट दिया था। तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज आलम 2010 और 2015 में जदयू के टिकट पर यहां से विधायक बने थे।

जेडीयू के प्रत्याशी हैं दागदार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपराधियों और अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की बात कहते हैं, लेकिन जोकिहाट पर उनकी पार्टी के प्रत्याशी मुर्शीद आलम के खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हैं। इसमें से कई गंभीर मुकदमें भी हैं। वहीं आरजेडी प्रत्याशी शाहनवाज आलम साफ सुथरा चेहरा हैं। तेजस्वी यादव ने प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था।

लालू यादव ने किया अपना शक्ति प्रदर्शन, गांधी मैदान में उमड़ा जनसैलाब

महागठबंधन के टूटने के बाद राजद प्रमुख लालू यादव द्वारा पहली बार शक्ति प्रदर्शन के तौर पर पटना के गांधी मैदान में बुलाई गई ‘देश बचाओ भाजपा भगाओ रैली’ में विपक्ष के तमाम दिग्‍गज जुटे। लालू यादव के आयोजन में जेदयू से बागी हुए शरद यादव भी पहुंचे और लालू को गले लगाकर अपने इरादे साफ कर दिए।

जेडीयू के सांसद शरद यादव ने रैली को संग्रामी सभा करार देते हुए कहा कि नीतीश कुमार पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि बाढ़ में पीएम मोदी ने 500 करोड़ रुपये दिए जबकि मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार ने 1100 करोड़ रुपये दिए थे। रैली में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बहुत लोगों ने आने से मना किया लेकिन मैं नहीं आया।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की लककार को बिहार में महागठबंधन ने रोका था। महागठबंधन बनाने में तमाम पार्टियों ने मेहनत की। उन्होंने कहा कि महागठबंधन पांच साल के लिए बना था, उसे तोड़ा गया।

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने फोन के जरिए रैली को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज जो लोग सत्ता में बैठे हैं उनका एक ही मकसद है। देश का विभाजन करना। देश में ऐसी सरकार चल रही है जिसे देश की नहीं  अपनी पार्टी की चिंता है। उन्होंने कहा कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार ने अभीतक कितने लोगों को रोजगार दिए।

जेडीयू के सांसद शरद यादव ने रैली को संग्रामी सभा करार देते हुए कहा कि नीतीश कुमार पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि बाढ़ में पीएम मोदी ने 500 करोड़ रुपये दिए जबकि मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार ने 1100 करोड़ रुपये दिए थे। रैली में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बहुत लोगों ने आने से मना किया लेकिन मैं नहीं आया।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की लककार को बिहार में महागठबंधन ने रोका था। महागठबंधन बनाने में तमाम पार्टियों ने मेहनत की। उन्होंने कहा कि महागठबंधन पांच साल के लिए बना था, उसे तोड़ा गया।

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने फोन के जरिए रैली को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज जो लोग सत्ता में बैठे हैं उनका एक ही मकसद है। देश का विभाजन करना। देश में ऐसी सरकार चल रही है जिसे देश की नहीं  अपनी पार्टी की चिंता है। उन्होंने कहा कि हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार ने अभीतक कितने लोगों को रोजगार दिए।

 

लाइव अपडेट्स

2:30 PM- कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा-महागठबंधन की नींव बिहार में रखी गई

2:15 PM-झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- बिहार कई परेशानी से गुजर रहा है

2:00 PM-  पूर्व CM अखिलेश यादव ने कहा-‘ BJP को हटाने में बिहार की जनता करे मदद

1:40PM- तेजस्वी यादव ने कहा- भीड़ बता रही है कि देश में बदलाव होकर रहेगा। जितने लोग गांधी मैदान में है उससे ज्यादा लोग रोड पर है

1:30 PM- तेजस्वी का तंज- चाचाजी को कोई डर था जो महागठबंधन छोड़कर चले गए, 28 साल का होकर भी मैं नहीं डरा। जब हम भागलपुर गए थे, तो हमसे डरकर सरकार ने धारा-144 लागू कर दी

1.20PM-मंच से गरजे नीतीश कुमार पर बरसते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि असली जेडीयू हमारे चाचा शरद यादव की है।

1:00 PM- आरजेडी के सीनियर लीडर रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, जनता के साथ विश्वासघात हुआ है

12:50 PM- गांधी मैदान के मंच से नेता कर रहे हैं रैली को संबोधित, रघुवंश प्रसाद ने कहा- बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा चौपट।

12:30 PM- मंच लालू, राबड़ी, मीसा, तेजप्रताप, तेजस्वी यादव मौजूद। साथ में अली अनवर, डी राजा भी मंच पर मौजूद हैं।

12:20 PM- गांधी मैदान में बने मंच पर लालू प्रसाद यादव, अखिलेश और शरद यादव मौजूद

12:00 PM- पटना के गांधी मैदान पहुंचा आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का काफिला।

11:40 AM- बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव भी मंच पर मौजूद हैं। 

11:10 AM- रैली के लिए घर से निकले लालू प्रसाद यादव, मंच पर जल्द पहुंचने वाले हैं सपा अध्यक्ष अखिलेश

10:40 AM- रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का रिकॉर्डेड भाषण चलाया जाएगा

10:30 AM- गांधी मैदान में पहुंचने लगा लालू समर्थकों का रैला, छोड़े जा रहे हैं पटाखे

10:15 AM- नाराज शरद ने कहा, असली जेडीयू हम हैं और इसे साबित करेंगे

10:00 AM-पटना रैली में आए कुछ लोगों ने इनकम टैक्स चौराहे पर की फायरिंग, पुलिस से भिड़े

09:45 AM- जेडीयू ने कहा कि लालू प्रसाद को रैली में अपनी संपत्ति का भी मंच से खुलासा करना चाहिए। जनता के समक्ष दस्तावेजों के आधार पर बताना चाहिए कि उन्होंने हजारों करोड़ की संपत्ति कैसे व कहां से बनाई।

09:30 AM- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा शरद यादव ने रैली में भाग लेने की सहमति दी है।

09:15 AM-  नेता विपक्ष नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव भी होंगे

09:00 AM- गांधी मैदान पहुंचने लालू समर्थकों का रैला

“बिहार के नीतीश” और “लालू के बिहार” में है बड़ा गहरा अंतर

बिहार व्यवस्था परिवर्तन पर व्यापक बहस होना चाहिए। राजनीति स्याह और सफेद कभी नही थी और आजकल राजनीति खुद को ढूध का धुला या खून में नहाया साबित करना भी नही चाहती। भारतीय राजनीति के विषय में अच्छी बात पिछले कुछ सालों में मुझे यही दिख रही है कि ये वास्तविकता के करीब होती जा रही है… भ्रष्टाचार का चरम खत्म हो रहा है और सत्ता का लोभ खुलकर सामने आ रहा है। बिहार के परिदृश्य में इन बातों पर रौशनी डाली जा सकती है।

 

  •  सबसे पहले तेजस्वी यादव के विषय में बात की जानी चाहिए। हम आप तेजस्वी यादव को अनुभवहीन कह सकते हैं लेकिन उनको नकारा, जाहिल या भ्रष्ट नही कह सकते। हम तेजस्वी के कामकाज पर भी सवाल नही उठा सकते फिलहाल। बिहार सरकार में तेजस्वी का रिपोर्ट कार्ड अच्छा था… काम काज ठीक ठाक चल रहा था… बड़बोलापन कहीं नही दिखता था… शैक्षणिक योग्यता कम होने पर भी व्यवहारिक ज्ञान में सबल प्रतीत होते थे। हालाँकि तेज प्रताप यादव के विषय मे ये बातें नहीं कही जा सकती… वहाँ योग्यता की कमी साफ झलक जाती थी।

तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और पिछली कई परिस्थितियों में देखा गया था कि नीतीश कुमार ने कम से कम अपने मंत्रिमंडल में भ्रष्ट या आपराधिक चरित्र वालों को कभी जगह नही दी थी। बिहार में इससे अधिक संभव भी नही है… अपराध, जात, राजनीति और षडयंत्र बिहार में आपस मे गुत्थम-गुत्था रहते हैं… किसी एक को पूरी तरह से किनारे रख दूसरे के विषय मे सोचा भी नही जा सकता। लेकिन नीतीश कुमार को ये सोचना जरूरी था कि जो आरोप थे वो असल मे लालू यादव पर थे या तेजस्वी पर।

पैसा लालू यादव का था… सही गलत जो भी तरीका रहा हो, अर्जित लालू यादव ने ही किया था। तेजस्वी के नाम संपत्ति होने भर से तेजस्वी कम से कम व्यवहारिक तौर पर भ्रष्ट नही हो सकता। और सच सच कहा जाए तो ऐसे में देश की अधिसंख्य जनसँख्या अपने बाप, दादा, परदादा के द्वारा अर्जित संपत्ति के कारण अपराधी साबित हो जाएँगे, चाहे अपनी निज जिंदगी उन्होंने बेदाग ही क्यों न गुजारी हो।

और यदि बिल्कुल आदर्श व्यवस्था चाहिए तब भी तेजस्वी का मूल्यांकन उसके वर्तमान के आधार पर होना चाहिए था और पैतृक संपत्ति से खुद को मुक्त करने को उनको वक्त दिया जाना चाहिए था।

ठीक से देखा जाए तो लालू यादव की राजनीति (सत्ता-धन नीति ) तेजस्वी के राजनीति के हत्या की जिम्मेदार है। मुलायम-लालू ने अखिलेश-तेजस्वी के साथ बिल्कुल भी ठीक नहीं किया।

 

  • आप लालू यादव और नीतीश कुमार को देखिए। लालू और नीतीश बिल्कुल अलग व्यक्तित्व हैं। नीतीश की राजनीति में न परिवार शामिल है, न व्यक्तिगत ध्येय, न धन का अंबार और न ही सत्ता की शक्ति का दुरुपयोग शामिल है। और लालू यादव ने इन सभी बुराईयों को उसकी पराकाष्ठा तक उपकृत किया है।

ये साथ संभव नही था। ध्यान रहे कि तेजस्वी और नीतीश के बीच कोई समस्या संभव ही नहीं है और लालू और नीतीश के बीच एक दिन भी बिना समस्या गुजरना सम्भव नही था।

लालू भी उतने ही असहज होंगे जितने की नीतीश और यदि लालू के पास कोई रास्ता होता तो यही होता और बहुत पहले होता जो नीतीश ने आज किया है।

 

 

  •  जब में बिहार का वर्तमान और भविष्य विचारता हूँ तो मुझे नीतीश सबसे श्रेष्ठ मुख्यमंत्री दिखते हैं। नीतीश राजद या भाजपा जिसके साथ भी सहज होकर अपना काम जारी रख पाएँ, वही ठीक है। भाजपा या राजद यहाँ गौण है।

इससे आगे ये कि बिहार में लालू यादव को सामाजिक न्याय का प्रणेता की तरह स्थापित करना या फिर ये कहना कि लालू यादव ने वंचितों को आवाज़ दी, सबसे बड़ा झूठ है।

वंचितों ने लालू यादव को वोट जरूर दिया लेकिन इस वोट के बदले उन्हें कभी भी कुछ न मिला। वोट देकर भी खुलेआम ये कहने का नैतिक बल न था कि हमने लालू यादव को वोट दिया क्योंकि वोट देने का कोई वाजिब कारण न था। लालू क्यों चाहिए था इसका जवाब कोई नही दे पाता था।

नीतीश ने वंचित बस्तियों को चमचमाती सड़कें दी… लगभग हर घर ईंटों की पहुँच हो गयी… भूख गायब हो गयी और जब पेट भरता है तब सामाजिक न्याय और समाज समझ आने लगता है। पिछले चुनाव में पिछड़े मुहल्लों में खुलकर ये कहने का सामर्थ्य था कि हम नीतीश को वोट देंगे क्योंकि नीतीश ने हमारे लिए बहुत काम किया है। इसी को कहते हैं वंचितों के मुँह में आवाज़ भरना।

ये काम जारी रहना चाहिए।

 

  •  हिन्दू-मुस्लिम करना या यादव-मुस्लिम करना बराबर का कम्युनल होना है। नीतीश जहाँ भी रहें बतवा बराबर ही है।और लालू जी के मुँह से एन्टी कम्युनल फ़ोर्स सुनना मुझे अच्छा नहीं लगता।

 

  • जदयू-भाजपा गठबंधन बिहार के लिए स्वर्णिम युग था। नीतीश कुमार और सुशील मोदी दोनों ही सक्षम प्रशासक हैं। इस शासन में किसी धर्म/जाति को कोई शिकायत नही थी। भाजपा को अछूत भर मान कर विरोध वाजिब कारण कम से कम मेरे लिए नही है।

मैं बिहार की बेहतरी के लिए आशान्वित हूँ।

 

  •   जो ये सब जल्दी नही हुआ होता तो, जदयू टूट जाती। लालू का जुगाड़ काम कर जाता… उसके बाद जो होता वो ज्यादा कालिख पुता होता। उसके बाद जो होता उसके कारण बिहार पर लोग जमकर हँसते। उसके बाद जो होता वो बिहार के हित मे बिल्कुल न होता। उसके बाद बिहार में फिर से एक उदण्ड सत्ता होता और प्रजा सहमी सी होती।

विपक्ष ने दो में से एक संवेदनशील और सक्षम मुख्यमंत्री खोया है ( दूसरे नवीन पटनायक हैं) इसका मुझे दुःख है लेकिन बिहार का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री उसके पास सुरक्षित रहा, इसकी मुझे खुशी है।

बाकी सब कुशल मंगल है।

 


लेखक – पंकज कुमार 

उपमुख्यमंत्री ने लंदन के इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स में उद्योगपतियों को किया संबोधित

बुधवार को उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लन्दन के इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिविल इंजीनियर्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया, इस दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को बिहार की विकास में आयी तेजी के बारे में अवगत कराया।

पढ़िए तेजस्वी यादव ने सम्बोधित करते हुए क्या कहा।

प्रिय मित्रों
मेरे लिए यह गर्व का क्षण है कि मैं यहां ( लंदन) आपके सामने बिहार के बारे में बात रख रहा हूं. उस बिहार से जहां का मैं रहने वाला हूं. मैं बिहार में ट्रांसपोर्टेशन के विकास पर बात रखूंगा लेकिन उससे पहले मैं बिहार के बारे में कुछ तथ्यों को रखना चाहता हूं.
बिहार भारत के 29 राज्यों में से एक है जो भारत की कुल भूमि के 2.87 प्रतिशत हिस्से में फैला है जबकि देश की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत लोग वहां रहते हैं.
बिहार के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है. जबकि 9.2 करोड़ लोग गांवों में रहते हैं. राज्य में साक्षरता की दर मात्र 50 प्रतिशत के करीब है. पारम्परिक रूप से आर्थिक विकास में चिंता का यह एक मूल कारण है.

लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद पिछले एक दशक में बिहार में विकास की दर 14.3 प्रतिशत के करीब रही है. विकास की यह दर 19.3 प्रतिशत तक भी रही है. जबकि निर्माण और मैनुफेक्चरिंग सेक्टर में 16.5 प्रतिशत की विकास दर रही है.
हमारी प्राथमिकता
विकास की इस दर के कारण ही बिहार में सड़क निर्माण की प्राथमिकता काफी बढ़ी है. 2010 में राज्य में वाहनों की कुल संख्या 20 लाख 27 हजार के करीब थी जो कि मात्र पांच वर्षों में बढ़ कर दोगुनी से भी ज्यादा यानी 40 लाख 82 हजार हो गयी.
ऐसे में राज्य में रोड नेटवर्क की कुल लम्बाई एक लाख 41 हजार किलो मीटर है जबकि इसमें 1 लाख 22 हजार कि.मी ग्रामीण सड़कें है.

हम सड़क निर्माण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं. इसके लिए हमने यूरोप की कम्पनी इकोरे की मदद से मास्टरप्लान तैयार किया है ताकि सड़क निर्माण की दिशा में और काम हो सके. इस मास्टरप्लान के तहत विजन 2020 पर काम कर रहे हैं. इसके तहत अनेक बड़े जिलों के लिए भी हम काम करने वाले हैं.
इस समय हमारे सामने चार महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं.
पुनर्वास की समस्या के चलते कभी-कभी सड़क निर्माण में रुकावट
सड़कों पर लगातार बढ़ती जाम की समस्या
सड़क सुरक्षा की कमी
हाईवे नेटवर्क की कमी के कारण व्यापार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की चुनौती
इसके अतिरिक्त हमारे समक्ष 3 तरह की तकनीकी समस्यायें भी हैं.

तकनीकी चुनौतियां

1.अतिक्रमण और सड़क की क्षमता की कमी के कारण चुनौतियां
भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की चुनौतियां
व्याहारिक तौर पर सड़कों के वर्गीकरण की चुनौतियां.
इन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए रोड मास्टरप्लान बनाया गया है.जो समयबद्ध रूप से आगे बढ़ रहा है इसके लिए हमने 20 साल की रुप रेखा तैयार की है.

हमारा विजन

20 साल के मास्टरप्लान लागू होने से सभी वर्गों से जुड़े लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिलेगी जो उच्चगुणवत्ता की होगी.

हमारा मिशन

समयबद्ध रूप से सड़कों के विकास से जनकल्याण की दिशा में हम मजबूती से आगे बढ़ेंगे इससे आर्थिक विकास को खूब गति तो मिलेगी ही साथ ही गरीबी दूर करने में भी मदद मिलेगी.
इस मास्टरप्लान के तहत हम 2035 तक 5 हजार किलो मीटिर नेशनल हाइवे, 6 हजार किलो मीटर स्टेट हाइवे और 25 हजार किलो मीटर जिला सड़कों का निर्माण करेंगे. इस पूरी परियोजना के लिए हमें 14 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इतनी बड़ी राशि का आंतरिक स्रोत से हासिल करना कठिन है.
हमारा अनुमान है कि इस राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा में बजटीय प्रावधान से जुटायेंगे जबकि निजी क्षेत्र से हम दस प्रतिशत तक प्राप्त करेंगे. बाकी 15 प्रतिशत की राशि के लिए हमारी सरकार राज्य सड़क फंड के गठन पर विचार कर रही है.

अंत में आप सबका शुक्रिया

मैं स्वीकार करता हूं कि इस चुनौती से नबटने के लिए बड़े रानीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. मैं सड़क निर्माण में जुडे तकनीकी विशेषज्ञों, प्रशासकों, और इस आयोजन में सामिल प्रतिनिधियों से गुजारिश करूंगा कि वे हमारे इस मिशन को सफल बनाने में अपना सहयोग करें.
मैं एक बार फिर आप सभी का धन्यवाद व्यक्त करता हूं कि आपने हमें अपनी बात रखने का समय दिया.

बिहार में क्रिकेट की बदहाली पर उप-मुख्यमंत्री ने BCCI पर साधा निशाना

खेल के क्षेत्र में बेहतर विकास का कार्य कर रहे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बीसीसीआई के बिहार के प्रति लचर रवैया के कारण फिर से निशाना बनाया है। तेजस्वी यादव ने पूछा कि बीसीसीआई ये बताए कि बिहार के लोग कब तक टीवी पर क्रिकेट का मैच देखेंगे. उन्होने कहा कि बिहार में खेल और खिलाड़ियों को जल्द ही बेहतर मौका मिलेगा इसके लिए सरकार और खेल विभाग के अधिकारी बेहतरी को लगातार भरपूर प्रयास कर रहे हैं. पटना में एक खेल प्रतियोगिता के उदघाटन में पहुंचे डिप्टी सीएम ने कहा कि खिलाड़ियों को मौका मिले और अच्छा इंफ्रास्टक्चर डेवलप हो ये मेरे एजेंडे में शामिल है.

तेजस्वी ने बीसीसीआई पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के खेल संघ के लोग लगातार बीसीसीआई के अधिकारियों से संपर्क में हैं लेकिन सही रूप से उनका सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने खेल की वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बीसीसीआई की तरफ से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही बिहार में क्रिकेट जैसे गेम की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है.

डिप्टी सीएम का कहना है की जब राज्य सरकार क्रिकेट के क्षेत्र में समग्र विकास की ओर लगी है तो बीसीसीआई क्यों नही बिहार का साथ दे रहा है, क्या बिहार के लोग बिहार में बैठकर लाइव क्रिकेट का आनंद उठा पाये ये संभव नही है.

बिहार के लोग लाइव मैच देख सकें इसके लिए तेजस्वी ने कहा कि बीसीसीआई से एमओयू बनाने का काम जल्द किया जाएगा इसके लिए सरकार का प्रयास जारी है. उन्होने कहा कि नालंदा के स्टेडियम निर्माण के साथ पटना का मोईनुल हक स्टे़डियम भी इंटरनेशनल स्टेडियम बने ये मेरा प्रयास है. उन्होने कहा कि अगर बीसीसीआई से सही सहयोग मिले तो  मोईनुल हक स्टेडियम में भी फ्लड लाइट लगाया जाएगा.

केंद्र और राज्य सरकार मिल कर रही बिहार का विकास

पटना: लोग कहते है राजनीति बहुत बुरी चीज है! मगर यही राजनीति आरोप-प्रत्यारोप से उपय उठ जाए और राजनीति अगर विकास पर होने लगे तो वही राजनीति देश या राज्य के लिए वरदान सावित होती है। 

 

बिहार में नीतीश की नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार है तो केंद्र में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार।  दोनो की विचारधारा अलग है, दो सिक्कें के दो पहलू है मगर बिहार के विकाश के मुद्दे पर दोनों सहमत और एकमत है।

 

हाल में एक उदाहरण आया है।  वर्षों से पटना और हाजीपुर के बीच बने गंगा नदी पर बने गाँधी सेतु का हालत केन्द्र और राज्य सरकार के लिए राजनीति राजनीति का एक अहम मुद्दा बनता जा रहा था , दोषारोपण का पुराना खेल चालू था …कोई गम्भीर पहल किसी भी ओर से होती नहीं दिख रही थी।  दशकों से इस सेतू के जीर्णोद्धार की बातें हो रही थीं , कुछ काम भी निरन्तर ही हो रहा था लेकिन सेतू की स्थिति बद से बदहाली की ओर ही बढ़ रही थी।

 

वक्त बीतता गया और सेतू किसी भी दिन ध्वस्त हो जाने की स्थिति में आ गया , इसी दरम्यान बिहार में एक और नयी सरकार आई और बिहार के युवा उप-मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव के जिम्मे सम्बंधित विभाग आया …युवा – जोश व् जज्बे के साथ राजनीति को दरकिनार करते हुए गम्भीरता से उप-मुख्यमंत्री ने सेतू के मुद्दे पर केंद्र की सरकार पर अपने पत्राचारों के माध्यम से दबाब बनाया , तदुपरांत केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी के साथ अपनी मुलाकातों के माध्यम से समन्वय स्थापित किया और साथ ही राजनीतिक मतभेद होने के वाबजूद केंद्रीय मंत्री ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई और आज परिणाम सबके सामने है।

 

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केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पटना और हाजीपुर को जोड़ने वाली महात्मा गांधी सेतु के जर्जर हालत के पुनरोद्धार के लिए 1742 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि साढ़े तीन साल में सेतु के पुनरोद्धार को कम्पलीट करने का लक्ष्य रखा गया है और इसपर कुल 1742 करोड़ रुपए की लागत आएगी.

 

इस से पहले का भी कई उदाहरण जो बताने के लिए काफी है कि राज्य और केंद्र सरकार मिल कर बिहार के विकाश में लगी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यह कह चुके है कि बिहार के विकाश से कोई समझौता नहीं होगा, और हम केंद्र के साथ मिल कर बिहार के विकाश के लिए काम करेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पिछले बिहार दौरे पर बिहार सरकार के सहयोगातमक रवैये की तारिफ कर चुके है।  केंद्रीय मंत्री पियूस गोयल और सुरेश प्रभू ने भी सहयोगात्म रवैये का स्वागत किया है।

 

राजनीतिक मतभेद हो सकते है, राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और विरोध होता रहता है।  मगर देश और राज्यहित से समझौता नहीं होनी चाहिए।

 

बिहार के विकाश में लगे दोनों सरकार बधाई के पात्र है।

देशवासियों ने किया योग तो बिहार में महागठबंधन ने किया ‘हठयोग’

पटना: कल  (21 जून) देश भर में अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर लोगों ने योग कर योग दिवस को मनाया।  बिहार स्थित योग नगरी मुंगेर में योग दिवस की धूम रही। देश और विदेश के लोग योग करने मुंगेर पहुंचे थे तो देश के कोने-कोनेमें योग शिवर का आयोजन किया गया था। 

 

जहाँ चारो तरफ लोगयोग कर रहें थे बिहार में महागठबंधन के नेता हठयोग कर रहे थे। आम और खास सभी अहले सुबह योग करते दिखे। गांव से लेकर शहर तक लोगों ने योग का लाभा उठाया पर बिहार में योग पर भी सियासत जमकर सियासत हुई। महा गठबंधन के नेताओं ने एक तरीके से अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की उपेक्षा की।

 

इस मौके को बिहार सरकार ने सियासी चश्मे से देखा। सरकारी स्तर पर योग से जुड़े न तो कार्यक्रम का आयोजन किया गया न ही किसी मंत्री या अधिकारी ने दिलचस्पी दिखाई। राजधानी पटना के गांधी मैदान और कंकड़बाग स्थित शिवाजी पार्क मे भी पतंजलि द्वारा योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और गिरिराज सिंह के साथ सैकड़ों की तादाद में लोगों ने योगाचार्य के मार्गदर्शन योगाभ्यास किया।

 

इस ‘हठयोग’ पर बीजेपी ने महागठबंधन पर कड़ा प्रहार किया है। बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि बिहार सरकार का रूख संघीय ढांचा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से योग दिवस को मंजूरी मिली है। महागठबंधन के नेता सत्ता के नशे में चूर हैं और वे योग का महत्व को समझना नहीं चाहते।

 

तो इसपर महागठबंधन के तरफ से जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा के लोग योग का राजनैतिक लाभ लेना चाहते हैं। नीरज ने कहा कि भाजपा के लोग सत्ता भोग के लिये योग कर रहे हैं। जेडीयू नेता ने कहा कि भाजपा के लोगों को योग की इतनी चिन्ता है तो मुंगेर स्थित योग विश्वविद्यालय का विकास क्यों नहीं हुआ।

 

तो ही आरजेडी प्रवक्ता प्रगति मेहता ने बीजेपी पर योग के ब्रांडिंग का आरोप लगाया है। आरजेडी नेता ने कहा कि योग निहायत निजी चीज है इसे हर आदमी को करना चाहिये और लोग करते भी हैं। उन्होंने ने कहा कि योग का राजनैतिकरण नहीं होना चाहिये।

 

गौरतलब है कि पिछले वर्ष मोदी सरकार के प्रयास से 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव यूएन में सर्वसंमति से पास किया गया।  पूरी दुनिया ने योग दिवस का स्वागत किया और सरकार ने भी इसे प्रोतसाहित किया मगर देश के अंदर ही राजनीतिक वजहों से लोग इसका विरोध कर रहें है।

 

#MatBadnamKaroBiharKo: आग की तरह फैल रहा है यह मुहिम, उप-मुख्यमंत्री ने भी किया समर्थन

#MATBADNAAMKAROBIHARKO

 

पटना: बच्चा राय, सौरव श्रेष्ठ और रूबी राय जैसे चंद फर्जी लोगो को मोहरा बना बिहार के मेधा को बदनाम करने वालों की बोलती बंद करा रहा है #MatBadnamKaroBiharKo   मुहीम। 

 

इस मुहीम के समर्थन में दुनिया के कोने-कोने में बसे बिहारियों का समर्थन मिल रहा है।  आईपीएस, पत्रकार,  कारोबारी, विद्यार्थी शिक्षक, राजनेता हो या कोई साधारण इंसान, सब इसके समर्थन में आवाज बुलंद कर रहे हैं।

इस में एक नाम बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव  का भी जुड गया है।  उनहोंने भी इस मुहिम का समर्थन किया है और कहा है ” मैं पूरी तरह इस मुहिम का समर्थन करता हूँ, राजनीति से उपर उठिए और बिहारी होने पर गर्व करें.. ”

 

उप-मुख्यमंत्री जी ने इस मुहिम का समर्थन किया है।

उप-मुख्यमंत्री जी ने इस मुहिम का समर्थन किया है।

 

यह मुहिम आग की तरह सोशल मिडिया के माध्यम से पूरे बिहार में फैल रही है।  अब बिहार लोग बिहार को बदनाम करने वालों को तर्क के साथ जवाब दे रहें है और लोग इस बात से सहमत है कि एक दो-नाम के सहारे बिहार को बदनाम करना गलत है।

 

इस से पहले सुपर 30 के संस्थापक और बिहार के गौरव आनंद कुमार भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि ” मैं भी इस मुहिम का समर्थन करता हूँ क्योंकि दुनिया को यह पता चलना चाहिए कि बिहारी दिमाग एक पावर हाउस है और बिहारी लोग अपने क्षमता और कडी मेहनत के बदौलत इस मुकाम तक पहुँचे हैं”

 

आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

 

बिहार बाहर बसे लोग भी इस मुहिम का समर्थन कर रहें हैं।  अभी तक लाखों लोग इस मुहिम से जुड़ चुके है।  आईपीएस से लेकर साधारण कर्मचारी तक इसके पक्ष में आवाज बुलंद कर रहें है।

 

ips kamal kishor on mat badnam kro bihar ko

बच्चा राय और सौरभ श्रेष्ठ बिहार के अपवाद जरुर हो सकते हैं, इन जैसे लोगों का विरोध और बहिष्कार होना ही चाहिए मगर इसे बिहार की पहचान के साथ जोडना गलत है।  बिहार की पहचान आनंद कुमार,  अभयानंद, सत्यम कुमार, सरद सागर, भावना कंठ जैसे प्रतिभान लोगों से है।  एक अपवाद को मुद्दा बना बिहार को बदनाम करना कितना उचित है?

 

बिहार: अब ना रहा वो प्यारा हाला, ना ही रही वो मधुशाला

पटना: सूखा लातूर और देश के दूसरे हिस्सों में है लेकिन प्यास क्या होती है, इसका दर्द तो बिहार वालों से पूछिए, बिहार के शराब प्रेमियों से पूछिए।

 

वे अपनी प्यास बुझाने के लिए हर तरकीब अपना रहे हैं. आज कल उनका यूपी, झारखण्ड और नेपाल जाना बढ़ गया है।

 

 पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता,
मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।

ये हरिवंश राय बच्चन की है जो कुछ दिन पहले बिहार का हालात बताने के लिए काफी था मगर अब बिहार का हालात अलग है अब यहा मंदिर और मस्जिद तो मिल जाती है मगर मधुशाला नही मिलती।

बिहार के शराब प्रेमी परेशान हैं. आखिर उन्हें सबसे बड़ा धोखा मिला है! नीतीश कुमार चुनाव से पहले शराबबंदी की बात कर रहे थे. सभी को लग रहा था कि महिलाओं को लुभाने के लिए यह नीतीश कुमार का चुनावी जुमला होगा. ऐसा कुछ होगा नहीं. सरकार क्यों चाहेगी कि उसके राजस्व मे करोडों की कमी आए। मगर उनके अरमानों पर पानी फिर गया।

सूखा तो लातूर और देश के दूसरे हिस्सों में है लेकिन प्यास क्या होती है, इसका दर्द बिहार के शराब प्रेमियों से पूछिए.

 

शराबबंदी के बाद बिहार के मौजूदा हालात पर मधुशाला के तर्ज पर अमित शाण्डिलय ने एक कविता लिखा है जो वर्तमान स्थिति को बताती है।

 

amit_shandilya_poem_madhushala

 

 

कौन चलेगा डगमग-डगमग
कौन उठाएगा प्याला
अब ना रहा वो मय का हाला
ना ही रही वो मधुशाला ।

मधुशाला मिलती ही नहीं तो
मन्दिर मस्जिद जातें है ,
मेल कराते मन्दिर मस्जिद
जेल कराती मधुशाला ।

प्रेम जिन्हें मय से प्रगाढ़ था
वो मुश्किल से जीतें हैं ,
कुछ तो झारखण्ड, बंगाल में जाकर
मस्त ख़ुशी से पीतें हैं ।

साक़ी को चिंता है बहुत
मय के अस्तित्व खोने का,
सच पूछो तो ख़ुशी मनाओ
‘मैं’ का अस्तित्व होने का ।

डूब रही थी जिनकी कश्ती
बच गया वो मतवाला
अब ना रहा वो प्यारा हाला
ना ही रही वो मधुशाला ।

 

© Aapna Bihar E Media

बिहार किसी की जागीर नही है जो कभी भी राष्ट्रपति शासन लगा दे – तेजस्वी

मुजफ्फरपुर: आज 28 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लीची के मौसम में लीची के शहर मुजफ्फरपुर के दौरे पर थे साथ में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी थे।  मुजफ्फरपुर आ के लीची खाय की नहीं पता नहीं मगर हर रैली की तरह यहां भी विपक्ष पर जम के बरसे और खुब बोले  भी,  यहां भी विषय वही था जिसपे वह आज कल देश भर में घूम-घूम के बोल रहे है।  आप सही सोच रहे है वह विषय शराबबंदी ही थी। 

 

 

नीतीश ने कहा कि शराबबंदी की सफलता ने विपक्ष की निंद उड़ा दी है, इसलिए वे अनाप-शनाप बयान दे रहा है. उन्होंने कहा कि शारबबंदी के बाद पूरे देश की नजर बिहार पर है.

 

जीविका’ की सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में शराबबंदी से अच्छा संदेश गया है. विपक्ष की नींद उड़ी हुई है. वह बिहार को पीछे डकेलना चाहते है. उन्होंने कहा कि बिहार के लोग हर साल 13 से 14 हजार करोड़ रुपये की शराब पी जाते थे. अब वह पैसा परिवार में लगेगा तो सबका विकास होगा.

 

 

एक तरफ नीतीश विपक्ष पर अपने तीरों से हमला कर रहे थे तो साथ आए तेजस्वी यादव भी आज अपने लालटेन में तेल डाल के आए थे। 

 

 

जब तेजस्वी यादव की बारी आई तो आते ही विपक्ष को ललकारा और चुनौती दी और कहा बिहार किसी की जागीर नही है जो कभी भी राष्ट्रपति शासन लगा दे. उन्होंने केंद्र को चुनौती देते हुए कहा कि किसी में दम है तो राष्ट्रपति शासन लगा कर दिखाए।

 

गौरतलब है कि हाल के दिनों में बिहार में हुए अपराधिये घटनाओं पर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला कर रही है और राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है।

विपक्ष का कहना है कि बिहार में फिर से जंगलराज की वापसी हो गई है। इसी पर तेजस्वी बौखलाय थे।

 

देखें रिपोर्ट: लोग कहते है बिहार में जंगलराज है! मगर खुद केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है बिहार में मंगलराज है

लोग कहते है बिहार में जंगलराज है।  पूरे देश में इस बात पर चर्चा है कि बिहार में जंगलराज की वापसी हो गई! 

मगर हकिकत जान कुछ और है। केंद्र सरकार की एजेंसी “नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो” कुछ अलग ही कहानी कह रही है।Crime rate of bihar

अगर इस रिपोर्ट की नजर डाले तो क्राइम रेट ( Crime Rate) 1 लाख में सबसे ज्यादा 585 केरल सबसे आपराध ग्रसित राज्य है , फिर  मध्यप्रदेश 358 के साथ दुसरे  स्थान पर  है  और इस प्रकार राजस्थान और गुजरात से भी कम छठे स्थान पर है बिहार 174.2 के साथ !  केंद्र सरकार के रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य प्रमुख राज्यों के तुलना में बिहार में आपराध काफी कम है।

 

biharcrimerate

अगर समाज के सबसे घिनौने  अपराध बलात्कार (rape ) की बात करे तो वहां भी मध्यप्रदेश आगे है 14 के साथ , राजस्थान , केरल, गुजरात के बाद सबसे कम बिहार (2.3 ) मे महिला भी दुसरे राज्यों की तुलना में जादा सेफ है और यहां रेप की घटनाएं भी सबसे कम है।

bihar crime

अगर कुल मिला के overall महिलाओ के खिलाफ रिपोर्ट देखें तो वहां भी आपना बिहार सबसे निचे होते हुए माँ बहनों के लिए सबसे सुरक्षित राज्य होने का गौरवशाली गाथा कह रहा है !

हमारा मानना की प्रगतिशील समाज के लिए महिलाओ का शिक्षित और सुरक्षित दोनों होना अत्यंत जरुरी है ! माँ बहनों के सुरक्षा और शिक्षा के बिना ये विकास की बाते हर सरकार समाज  के लिए खोखली है ! हमें अपने बिहार पे गर्व है , बिहारी होने पे गर्व है !