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कभी देवघर के बाबा धाम मंदिर में दलितों का प्रवेश वर्जित था, जानिए कैसे मिला प्रवेश का अधिकार

देवघर के बाबा धाम मंदिर के लिए वर्षों बाद सरदार पंडा का चुनाव हो रहा है। सरदार पंडा की बात चली तो दरभंगा महाराज और सरदार पंडा के बीच हुए एतिहासिक समझौते की कहानी याद आयी। बात उस जमाने की है जब दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं था।

श्रीकृष्ण सिंह ने दरभंगा महाराज से मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर चल रहे आंदोलन को समर्थन देने का आग्रह किया। कामेश्वर सिंह ने कहा कि दलितों को समान दर्जा देने की हमारी कुलनीति रही है। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे पिता महाराजा रमेश्वर सिंह ने इलाहाबाद कुंभ में दलितों को स्नान का अधिकार दे चुके हैं, हम चाहेंगे कि दलितों को शिवालय में प्रवेश का अधिकार मिले। श्रीकृष्ण सिंह ने कहा कि सरदार पंडा विरोध कर रहे हैं।

महाराजा ने कहा कि मैं उनसे बात करता हूं, वो मंदिर के स्वामी हैं, लेकिन मंदिर के दरबाजे पर दरभंगा लिखा है और दरभंगा का दरबाजा किसी के लिए बंद नहीं होता…वो दलितों के लिए खुल जायेगा। मंदिर में लगे चांदी के दरबाजे पर लिखे वाक्य आज भी इसके गवाह हैं। गौरतलब है कि बाबा मंदिर का दरबाजा जहां दरभंगा महाराजा का लगाया हुआ है वही परिसर का गेट बनैली राज परिवार का बनाया हुआ है। यह इलाका गिद्धौर में आता है लेकिन इस मंदिर का स्वामित्व दरभंगा के पास रहा है।

मंदिर को दलितों के लिए खोलना आसान नहीं था। 1934 में गांधी के विरोध से लेकर 1953 में बिनोबा भावे की पिटाई तक का इतिहास बताता है कि यह समझौता कितना कठिन था।

क्यों कि वहां पंडा संस्कृति थी और सरदार पंडा ही मंदिर का स्वामी होता था। सरदार पंडा अपने इकलौते पुत्र विनोदानंद के भविष्य को सुरक्षित करना चाहते थे। महाराजा ने उनके राजनीतिक संरक्षण का वायदा किया। विनोदानंद झा को कांग्रेस की सदस्यता दिलायी गयी। संविधानसभा का सदस्यो बनाया गया। 1949 में इस मंदिर को महाराजा कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के तहत निबंधित किया गया था। इसके बाद भी सरदार पंडा राजी नहीं हुए। अंतत: बिनोदानंद को श्रीबाबू का उत्तराधिकारी बनाने पर समझौता हुआ…।

वैसे दलितों के प्रवेश के लिए शैव संप्रदाय के इस मंदिर को साक्त संप्रदाय की देवी मंदिर से गंठबंधन किया गया। पहले दोनों मंदिर के बीच फीता नहीं तना होता था।

श्रीबाबू और दरभंगा महाराज के निरंतर प्रयास से ही यह सब सभव हो सका। गौरतलब है कि श्रीबाबू के उत्तराधिकारी बनाने की बात जब आयी तो बिनोदानंद झा का नाम सबसे ऊपर रखा गया…यह सब अचानक नहीं हुआ…

– कुमुद सिंह (लेखक इसमाद की संपादक है)

दर्शन करें बिहार स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर का…

सावन का पावण महिना शुरू हो चुका है।  चारो तरफ बोल-बम का नारें लगाये जा रहें हैं।शिव भक्त गेरुआ वस्त्र पहने हुए काँधे पे कांवड़ लिए भोले बाबा को जल चढाने के लिए जाते हुए नज़र आते है।  आईये जानते है बिहार के प्रसिद्ध शिव मंदिर के बारे में…

 

बाबा गरीब नाथ, मुजफ्फरपुर

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मुजफ्फरपुर का गरीब नाथ मंदिर में हर साल सावन में लाखो श्रद्धालु कावड़ ले के आते है! बाबा के भक्त सोनपुर के पास पहलेजा घाट से दक्षिण वाहिनी गंगा का पवित्र गंगा जल ले के सोनपुर हाजीपुर के रास्ते 65 KM की यात्रा नंगे पाँव पूरी कर के बाबा को जल चढ़ाते है! यह बिहार की सबसे लम्बी दुरी की कावड़ यात्रा है!

 

हरिहर नाथ, सोनपुर

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हरिहर नाथ, पावन नारायणी नदी के तट पे भगवान हरी और हर का एक पौराणिक मंदिर है! यहाँ पौराणिक कथा के अनुसार गज और ग्राह की लड़ाई हुए थी, जिसमे खुद भगवान् विष्णु ने आ के गज की सहायता की थी! बाबा गरीब नाथ कावड़ ले के जाने बाले श्रद्धालु हरिहर नाथ पे जल चढ़ाना नहीं भूलते! कार्तिक पूर्णिमा से लगभग एक महीने के लिए यहाँ मेला लगता है! यह मेल सोनपुर मेला या छत्तर मेला के नाम से मसहूर है!

 

मुंडेश्वरी, कैमूर

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कैमूर जिला में मुंडेश्वरी पहाड़ी पे मुंडेश्वरी मंदिर है! यहाँ भगवान शिव और माता सकती की पूजा होती है! यह बिहार का सबसे पुराना मंदिर है! नवरात्री में यहाँ में मेला भी लगता है!

 

कपिलेश्वर, मधुबनी

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मधुबनी से 9KM दूर एक छोटे से गाँव में भगवान शिव का है, कपिलेश्वर मंदिर के कारन ही इस गांव कपिलेश्वर परा । विशेष रूप से श्रावण के महीने के दौरान सोमवार को असाधारण भीड़ होती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में एक बहुत बड़ा मेला लगता है!

 

अजगैबीनाथ, सुल्तानगंज

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बाबा धाम जाने बाले कावड़ यात्री यही से पवित्र गंगा जल ले के लगभग 109 KM की पैदल यात्रा कर के देवघर में बाबा को जल चढ़ाते है! पुरे सावन यहाँ पे लाखों कावड़ियो आते है!

 

ब्रह्मेश्वर नाथ , बक्सर

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ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर बक्सर जिले में स्थित है। ब्रह्मपुर का मतलब संस्कृत में “ब्रह्मा के शहर” है। भगवान शिव का शिवलिंग वर्ष सैकड़ों वर्ष पुराना है! ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के कारन इस जगह का नाम ब्रह्मपुर पर है !