मध्यप्रदेश सरकार बिहार में शराबबंदी के बाद क्राइम रेट पर रिसर्च कर रही है

दुनिया भर में बिहारी के शराबबंदी पर बात हो रही है और जल्द ही शराबबंदी कानून को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए मानव श्रृंखला बना विश्व रिकार्ड बनाने जा रहा है। शराबबंदी के बाद बिहार में क्राइम और रोड दुर्घटना में भारी कमी आने के बाद अब दुसरे राज्य भी शराबबंदी पर विचार करने लगें है।

 

मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के किनारे से पांच किमी के दायरे में आनेवाली शराब की सभी दुकानों को अगले वित्त वर्ष से बंद करने का फैसला किया है. वहीं, राज्य सरकार ने अब शराब की दुकानों को लगातार खरीदारी करनेवालों का रेकॉर्ड रखने को कहा है. मध्य प्रदेश सरकार बिहार में शराबबंदी के बाद क्राइम रेट पर रिसर्च कर रही है, ताकि इस बारे में सही फैसला लिया जा सके.

दस थानेदारों को सस्पेंड किये जाने के विरोध में अब राज्य भर के 8 हजार थानेदार ने दिया इस्तीफे की धमकी

शराबबंदी पर मुख्यमंत्री द्वारा अपनाये गए सख्ती अब उनपर भारी पर सकती है.
पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने दस थानेदारों को निलंबित क्या किया अब राज्यभर से 8 हजार थानेदार इस्तीफे का मन बना लिए हैं।

कार्रवाई की कई कहानियां आपने देखी होगी

सिनेमा के पर्दे पर पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई की कई कहानियां आपने देखी होगी. कई बार पर्दे पर पुलिस वाले बागी भी होते हैं, लेकिन इस बार असली में शराब को लेकर बिहार के पुलिस वाले बागी हो गये हैं. दो दिन पहले सरकार ने दस थानेदारों सहित 19 पुलिस वालों को निलंबित किया तो अब कई जिलों के थानेदार थानेदारी से मुक्ति चाह रहे हैं.

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200 पुलिस वालों ने थानेदार नहीं बनने की चिट्ठी लिखी

भोजपुर, रोहतास के कई थानेदारों ने एसपी को बाकायदा चिट्ठी लिखी है. भोजपुर में 200 पुलिस वालों ने थानेदार नहीं बनने की चिट्ठी पर दस्तखत किये हैं. कई और जिलों में इस तरह का अभियान चल रहा है. बिहार पुलिस एसोसिएशन के नेताओं ने डीजीपी से कल मुलाकात की थी.

पुलिस वालों को फिर से बहाल किया जाए

इनकी मांग है कि जिन पुलिस वालों को निलंबित किया गया है उनको फिर से बहाल किया जाए और सरकार कानून में संशोधन करे. पुलिस संघ ने कहा है कि मांगें नहीं मानी गई तो 8000 दारोगा और इंस्पेक्टर एक साथ थानेदार के पद से इस्तीफा दे देंगे.

पहले सामुहिक छुट्टी पर चले जाएंगे

28 अगस्त तक मांगें नहीं मानी गई तो वे पहले सामुहिक छुट्टी पर चले जाएंगे. 28 अगस्त को ही पटना में राज्य भर के पुलिस संघ पदाधिकारियों की बैठक होगी. बिहार में शराबबंदी को लेकर सरकार ने सख्त नियम बना रखा है. 8 जिलों के जिन दस थानेदारों को निलंबित किया गया वो 10 साल तक थाना प्रभारी नहीं बन पाएंगे. आधा दर्जन डीएसपी भी जांच के दायरे में हैं.

पूरे पुलिस विभाग में हड़कंप, नीतीश कुमार ने एक साथ दस थानेदार को किया सस्पेंड व् 6 को किया बरखास्त

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह पहले ही कह चुके है कि वे किसी भी किमत पर शराबबंदी के अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे, उसके लिए उन्हें चाहे जो भी किमत चुकाना पडे।  सरकार शराबबंदी पर सख्त है।

बिहार में शराब पीने वाले, बेचने वाले और यहां तक की रखने वालों को भी सरकार खोज खोज कर जेल में डाल रही है।

अब बिहार में शराबबंदी की नीति को कारगर ढंग से लागू नहीं करने वाले थानेदारों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है।  इस क्रम में सरकार ने एक साथ दस थानेदारों समेत 16 पुलिसकर्मियों को दोहरा झटका दिया है।

 

अपने-अपने इलाके में शराब की बिक्री और उत्पादन पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने वाले ऐसे दस थानेदारों को निलंबित करने के साथ ही सरकार ने उनके प्रोमोशन पर भी रोक लगा दी है. सरकार ने जिन थानेदारो को सस्पेंड किया है उनमें पटना से सटे फुलवारीशरीफ और मसौढ़ी, जहानाबाद जिले के मखदुमपुर के अलावा चांद, डिहरी, मरंगा, रूपौली, सुल्तानगंज, मोतिहारी मुफ्फसिल, रून्नीसैदपुर और बैरगनिया थानों के थानेदार शामिल हैं.

प्रेस ब्रीफ करते एडीजी सुनील कुमार

प्रेस ब्रीफ करते एडीजी सुनील कुमार

जिन थानेदारों को सस्पेंड किया गया है वे अगले 10 सालों तक न तो किसी प्रोमोशन के हकदार होंगे और न हीं किसी थाने में थानेदार बनाय जायेंगे।  पुलिस एडी़जी सुनील कुमार ने बताया कि इसके अलावा सरकार ने छह ट्रेनी पुलिसकर्मी जो की सिपाही रैंक के हैं को भी लापरवाही बरतने के कारण बर्खास्त किया है.

सरकार के इस कारबाई से पूरे पुलिस विभाग में हरकंप है।  इस कारबाई के बाद बिहार में शराब के खिलाफ पुलिस की और आक्रामक कारबाई दीख सकती है।

गौरतलब है कि शराबबंदी के नये कानून लागू करने के दौरान ही सीएम नीतीश कुमार ने चेतावनी देते हुए कहा था कि जिन इलाकों में शराब की बिक्री या उत्पादन के मामले सामने आएंगे तो इसकी गाज वहां के थानेदारों पर गिरेगी.

 

बिहार में शराबबंदी का साइड इफेक्ट्स….

बिहार में शराबबंदी के साइडइफेक्‍ट्स के कई किस्‍से रोज सुनता रहता हूं । बड़े इवेंट्स नहीं हो रहे/लांचिंग शिफ्ट हो गई/बड़ी शादियां भी दूसरे शहरों में जा रही – पहले दिन से सुन रहा हूं । लेकिन बुधवार को मेरे हजाम राजेश ठाकुर की आपबीती अलग किस्‍म की थी ।

मोरल आफ स्‍टोरी को कैसे समझें,मैं तो नहीं समझ पा रहा । अंत में,आप समझिएगा ।
राजेश ठाकुर पुराना हजाम है । राजधानी पटना के एलिट क्‍लास में कई बड़े लोगों की सेवा करता है । बाल-दाढ़ी बनाने को बुधवार को मैं सैलून में गया हुआ था । कंघी-कैंची लगाने के कुछ देर बाद ही उसने कहा-सर,अब नीतीश कुमार को वोट नहीं देंगे । वह अब तक नीतीश कुमार को ही वोट देता आया है । गुस्‍से की इनसाइड स्‍टोरी को हमने तुरंत समझा । कहा-दारु बंद हो गया,इसलिए न । खैर,तुम्‍हारी पत्‍नी वोट देगी । वह तुम्‍हारी लत छूटने से खुश होगी । उसने कहा-नहीं,अब वह भी नहीं देगी । मैं चौंका-ऐसा कैसे । फिर तो नीतीश कुमार की सभी केमिस्‍ट्री खराब हो जाएगी । सपाट सा जवाब ठाकुर ने दिया-अब रात को घर जाता हूं,तो पॉकेट में पैसे कम होते हैं,पत्‍नी उदास रहने लगी है ।
शराबबंदी से हजाम राजेश ठाकुर की आमदनी कैसे कम हो गई,मेरे लिए पहेली थी । वह दारु दुकान के पास दालमोठ-भूंजा-अंडा थोड़े बेचता है । पर,उसने तुरंत सीधे-सीधे समझा दिया । कहा,सर – बाल व दाढ़ी बनाने के डेढ़ सौ रुपये लगते हैं । शराबबंदी के पहले शाम सात बजे के बाद आने वाले कस्‍टमर ‘हैप्‍पी आवर’ में होते थे । दो-तीन पेग लगाये रखते थे । बाल-दाढ़ी बनाने के बाद धीरे-से कहता था- हेड मसाज कर दें क्‍या । तुरंत ‘हां’ जवाब में मिलता था । फिर फेशियल करने की अनुमति भी मिल जाती थी । इस तरह टोटल बिल डेढ़ सौ रुपये से बढ़कर नौ सौ रुपयों का हो जाता था । कस्‍टमर हजार रुपये का नोट देता और सौ रुपये वापस न लेकर ‘टिप्‍स’ में हमें दे देता । इधर,नौ सौ रुपयों की सर्विस के बदले दुकान से नब्‍बे रुपयों का कमीशन मिलता । ऐसे में,शाम को दो-तीन सर्विस भी कर लिया,तो घर की रेलगाड़ी चलाने में कोई दिक्‍कत नहीं होती थी ।
रोज की आमदनी को जोड़ ही बेटे को जयपुर में इंजीनियरिंग में पढ़ा रहा हूं,पर अब आमद अचानक कम हो गई,इसलिए परेशानी हो रही है । आमदनी कैसे कम हुई,राजेश ने कहा-कस्‍टमर अब ‘हैप्‍पी आवर’ के मूड में नहीं आते । सो,एक्‍स्‍ट्रा सर्विस के ऑफर को कबूल नहीं किया जाता । नौ सौ की सर्विस अब मुश्किल हो गई है,डेढ़-दो सौ की सर्विस ही होती है ।
मैंने समझाने की कोशिश की । कहा-फिर भी तुम्‍हारी सेहत शराब छूटने से ठीक हो जाएगी । उसने जवाब दिया- शराब कितना पी लेता था मैं ,महीने में तीन-चार सौ रुपयों का । इस कारण कोई दिक्‍कत नहीं थी ।

 

अब इस स्‍टोरी को खत्‍म कर घंटों तक मैं ‘मोरल ऑफ स्‍टोरी’ के वाक्‍य को तलाशता रहा । पर वाक्‍य मिल नहीं रहे । वजह कि राजेश की स्‍टोरी के दो पक्ष हैं । जहां राजेश की आमदनी बढ़ रही थी,वहीं नशे में आया कस्‍टमर अधिक खर्च कर रहा था । कौन-कितना सही,जवाब आप सब भी तलाशें ।
इस राजेश ठाकुर की स्‍टोरी में ही छोटी-सी एक और सप्‍लीमेंटरी स्‍टोरी जोड़ देता हूं । यह किस्‍सा पटना में रेडीमेड कपड़ों के एक बड़े ब्रांडेड शॉप का है । रोज की बिक्री लाखों में होती थी । पर इन दिनों सेल्‍स कम हो गया । पिछले दिनों दो दिनों तक कोई कस्‍टमर नहीं आया था,तो दुकान मालिक ने मन की टीस हमें बताई थी । कहा-सच है,मार्केट में नकदी का संकट है । पर, दो दिनों तक कोई कस्‍टमर नहीं,यह तो सोच भी नहीं सकता था । फिर वे निष्‍कर्ष पर निकले । कहा-हुआ यह है कि उनकी पहचान ब्रांडेड शॉप की है । ब्रांड्स महंगे मिलते हैं । चुनिंदा कस्‍टमर ही पहले भी आते थे । अब जब से शराबबंदी हुई है,ये कस्‍टमर्स शराब की भूख मिटाने दिल्‍ली-कोलकाता जाने लगे हैं । निश्चित तौर पर,इन शहरों में ब्रांड्स की रेंज अधिक होती है । सो,ये कस्‍टमर पटना को भूलने लगे हैं । पर,ऐसे में हम दुकान वाले दूसरा कौन-सा रास्‍ता तलाशें,समझ से परे है । सुनकर बस मैं भी इतना कह सका कि आपके सवाल का जवाब तो अपुन के पास भी नहीं है ।

 

(सभार: ज्ञानेश्वर जी के फेसबुक पेज से)

बिहार: अब ना रहा वो प्यारा हाला, ना ही रही वो मधुशाला

पटना: सूखा लातूर और देश के दूसरे हिस्सों में है लेकिन प्यास क्या होती है, इसका दर्द तो बिहार वालों से पूछिए, बिहार के शराब प्रेमियों से पूछिए।

 

वे अपनी प्यास बुझाने के लिए हर तरकीब अपना रहे हैं. आज कल उनका यूपी, झारखण्ड और नेपाल जाना बढ़ गया है।

 

 पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता,
मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।

ये हरिवंश राय बच्चन की है जो कुछ दिन पहले बिहार का हालात बताने के लिए काफी था मगर अब बिहार का हालात अलग है अब यहा मंदिर और मस्जिद तो मिल जाती है मगर मधुशाला नही मिलती।

बिहार के शराब प्रेमी परेशान हैं. आखिर उन्हें सबसे बड़ा धोखा मिला है! नीतीश कुमार चुनाव से पहले शराबबंदी की बात कर रहे थे. सभी को लग रहा था कि महिलाओं को लुभाने के लिए यह नीतीश कुमार का चुनावी जुमला होगा. ऐसा कुछ होगा नहीं. सरकार क्यों चाहेगी कि उसके राजस्व मे करोडों की कमी आए। मगर उनके अरमानों पर पानी फिर गया।

सूखा तो लातूर और देश के दूसरे हिस्सों में है लेकिन प्यास क्या होती है, इसका दर्द बिहार के शराब प्रेमियों से पूछिए.

 

शराबबंदी के बाद बिहार के मौजूदा हालात पर मधुशाला के तर्ज पर अमित शाण्डिलय ने एक कविता लिखा है जो वर्तमान स्थिति को बताती है।

 

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कौन चलेगा डगमग-डगमग
कौन उठाएगा प्याला
अब ना रहा वो मय का हाला
ना ही रही वो मधुशाला ।

मधुशाला मिलती ही नहीं तो
मन्दिर मस्जिद जातें है ,
मेल कराते मन्दिर मस्जिद
जेल कराती मधुशाला ।

प्रेम जिन्हें मय से प्रगाढ़ था
वो मुश्किल से जीतें हैं ,
कुछ तो झारखण्ड, बंगाल में जाकर
मस्त ख़ुशी से पीतें हैं ।

साक़ी को चिंता है बहुत
मय के अस्तित्व खोने का,
सच पूछो तो ख़ुशी मनाओ
‘मैं’ का अस्तित्व होने का ।

डूब रही थी जिनकी कश्ती
बच गया वो मतवाला
अब ना रहा वो प्यारा हाला
ना ही रही वो मधुशाला ।

 

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