Bihar, Electricity, Bihar Development

पिछड़ा राज्य बिहार कैसे बना 2018 में सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य?

अगर कोई आपसे भारत में सबसे तेजी से बढ़ते राज्य का नाम पूछा, तो आप क्या बतायेंगें? अपने बड़े विनिर्माण क्षेत्र के साथ, गुजरात? शायद देश का सबसे अमीर राज्य, महाराष्ट्र? या हरयाणा हो सकता है जो कि तेजी से शहरीकरण करने वाला और जो भारत के ‘मिलेनियम सिटी’ गुरुग्काराम घर हो?

आप सभी मामलों में गलत होंगे। 2018 में सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य बिहार था। औसत वृद्धि से भारत का सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्य तक का छलांग लगाने वाले बिहार में आखिर क्या बदलाव आया?

जवाब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिहार सरकार द्वारा राज्य के हर कोने में बिजली पहुंचाने के उल्लेखनीय कदमों में निहित है। बिहार में बिजली के उपयोग में लाभ इतना बड़ा है कि अगर आपने छह साल पहले से आज तक उपग्रह इमेजिंग की तुलना करेंगे, तो अंतर स्पष्ट दिखेगा। पटना हमेशा आबाद और उज्ज्वल रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में बेतिया, दरभंगा और पूर्णिया और उनके आसपास के क्षेत्रों जैसे दूसरे-स्तरीय शहरों में बिजली उपलब्धता में जो सुधार हुआ वह जबरदस्त है|  बिहार में अब रात के समय भी रोशनी रहती है।

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ऊपर की छवियां क्रमशः 2013 और 2019 में बिहार के जिलों के नाइट लाइट डेटा दिखाती हैं| PIC: Economic Times

दुनिया के विभिन्न हिस्सों के अनुसंधान से पता चला है कि विद्युतीकरण अर्थव्यवस्थाओं को बदल सकता है और सभी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधि के लिए द्वार खोलकर गरीबी को कम कर सकता है – चाहे वह छोटे पैमाने पर विनिर्माण हो या दुकानें जो अंधेरे के बाद भी खुली रहें।

उदाहरण के लिए, ब्राजील में, हाइड्रो-बिजली के विस्तार से आय और उत्पादकता में महत्वपूर्ण सुधार और शिक्षा के उच्च स्तर का नेतृत्व हुआ। दक्षिण अफ्रीका में, बिजली के उपयोग में सुधार से महिला श्रम रोजगार को बढ़ाने में मदद मिली।

भारत ग्रिड बनाने और घरेलू कनेक्शनों को सब्सिडी देने के लिए केंद्र पोषित योजनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से विद्युतीकरण पर एक बड़ा दबाव बना रहा है। नतीजतन, 2000 और 2016 के बीच, दुनिया भर में 80 प्रतिशत घरों में पहली बार बिजली मिली जो भारत में थी।

तब बिहार में क्या अनोखा है?

बिहार ने एक ही समय में पहुंच और गुणवत्ता में वृद्धि करके एक दुर्लभ जीत हासिल की है। बिहार बिजली कंपनी ने राज्य के सभी कोनों तक ग्रिड का विस्तार किया और सौभाग्या योजना के माध्यम से, ग्रिड पर घरों में कनेक्शन लगाने के लिए  सब्सिडी दिए। बिहार सरकार ने 25 अक्टूबर, 2018 को सार्वभौमिक विद्युतीकरण की घोषणा की और पिछले दो वर्षों में 1,39,66,503 घरों को जोड़ा है (सौभाज्य पोर्टल, अक्टूबर 2018)। उत्तर-पश्चिम बिहार में उदाहरण के लिए हमने जिन परिवारों का सर्वेक्षण किया, वे इस खोज को प्रतिबिंबित करते हैं।

गुणवत्ता पर भी, बिहार ने उल्लेखनीय प्रगति की है। ऐतिहासिक रूप से, ग्रामीण भारत में आपूर्ति, शहरों में आपूर्ति के घंटे के करीब नहीं आई है, पहुंच के कई लाभों को नकारती है। कई राज्य उपयोगिताओं ने उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाने वाली बिजली के खिलाफ भुगतान एकत्र करने के लिए संघर्ष किया। नतीजतन, भारत में अधिकांश वितरण कंपनियां हर बार घरेलू बिजली की खपत होने पर पैसा खो देती हैं। राज्य सरकार की सब्सिडी राजस्व और लागत के बीच अंतर को कम करती है, लेकिन अक्सर इसे पूरी तरह से बंद नहीं करती है।  बिलों का भुगतान किया जाना चाहिए और कंपनी को अपने घाटे को सीमित करने के लिए राशन की शक्ति होनी चाहिए। इस कारण से, बड़े विद्युतीकरण ड्राइव अपने सभी नए ग्राहकों की सेवा करने के लिए डिस्कॉम को आगे आपूर्ति में कटौती करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

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फिर भी, बिहार में जो हुआ है, वह विपरीत है: यहां तक ​​कि जैसे-जैसे बिहार में पहुंच बढ़ी है, उसने आपूर्ति की गुणवत्ता और अवधि भी बढ़ाई है। 2014 और 2019 के बीच, बिहार में आपूर्ति का औसत घंटे 12 घंटे से बढ़कर 18 घंटे हो गया। इसलिए, बिजली का वादा पूरा हुआ – तार लाइव हैं, बच्चे रात में अध्ययन कर सकते हैं, और व्यवसाय अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा दे सकते हैं।

बेशक, राजस्व संग्रह में सुधार करके इस प्रगति को बनाए रखना चुनौती है। बाकी सभी समान, अधिक से अधिक उपभोक्ता ग्रिड से जुड़े हुए हैं, शक्ति प्रदान करने और पुस्तकों को संतुलित रखने के बीच तनाव तेज हो गया है।

बिहार सहित भारत के कई राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं। बिहार ने नव विद्युतीकृत घरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसानों की जाँच की है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य राजस्व में सुधार के लिए नवाचार और प्रयोग में सबसे आगे रहा है। उदाहरण के लिए, उपयोगिता राजस्व संग्रह में सुधार करने के लिए अपने कर्मचारियों के लिए बोनस और संग्रह लक्ष्यों की एक प्रणाली के साथ प्रयोग कर रही है। प्रारंभिक साक्ष्य बताते हैं कि यह योजना राजस्व बढ़ाने में सफल रही है।

बिहार डिस्कॉम भी उच्च राजस्व संग्रह में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए स्मार्ट मीटर का परीक्षण कर रहे हैं। इस तरह के पायलट महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे स्थायी परिचालन सुधारों की ओर पथ का प्रतिनिधित्व करते हैं, दीर्घकालिक स्थिरता के लिए पूर्व-आवश्यकता।

बिहार की कहानी अभी भी बन रही है। लेकिन, भारत के कई अन्य हिस्सें जहाँ विकास बहुत धीमी से हो रही है, उसके लिए यह एक बेहतरीन उदाहरण बन सकता है|

अनंत सुदर्शन, शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) के कार्यकारी निदेशक (दक्षिण एशिया).

यह लेख इकनोमिक टाइम्स के वेबसाइट पर 29 अक्टूबर को प्रकाशित “Powering growth in Bihar” लेख का हिंदी अनुवाद है.

बिहार में उत्पादित बिजली से दौड़ती हैं मुंबई की लोकल ट्रेनें

मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश अक्सर यह कहते रहतें हैं कि अगर मुंबई में बिहारी लोग काम करना बंद कर दे तो मुंबई कि रफ्तार थम जायेगी। मगर क्या आपको पता है कि मुंबई की लाईफ-लाईन कही जाने वाली मुंबई लोकल ट्रेन भी बिहार में उत्पादित बिजली पर ही निर्भर है? 

जी हाँ, बिहार के नबीनगर में स्थित भारतीय रेल बिजली कम्पनी लिमिटेड के पॉवर प्लांट से मुंबई की लोकल ट्रेनों के लिए बिजली की आपूर्ति हो रही है। ज्ञात हो कि बिहार के नबीनगर में भारतीय रेल और एनटीपीसी के संयुक्त पॉवर प्लांट भारतीय रेल बिजली कम्पनी लिमिटेड से अगस्त में मुंबई में चलने वाली लोकल ट्रेनों को बिजली की आपूर्ति शुरू की गई। इस प्लांट की 90 प्रतिशत बिजली पर रेलवे का अधिकार होता है और शेष दस प्रतिशत बिहार सरकार खरीदती है। फिलहाल इस पॉवर प्लांट से 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. अगले साल नवंबर महीने तक दो और इकाइयों में जब उत्पादन शुरू होगा तब 500 मेगावाट और बिजली उपलब्ध होगी।

नीतीश कुमार ने इस प्लांट की रखी थी आधारशिला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्लांट की आधारशिला तब रखी थी जब वे रेल मंत्री थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. तब बिहार में बाढ़ में एक पावर प्लांट की आधारशिला रखी जा चुकी थी। रेलवे ने अपना पावर प्लांट लगाया ताकि राज्यों से ट्रेनों के परिचालन के लिए बिजली खरीदने के लिए निर्भरता खत्म हो जाए।

 

Source: NDTV

दिसम्बर 2018 तक बिहार के सभी घरों में होगा बिजली का कनेक्शन।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा दिसम्बर 2018 तक बिहार प्रत्येक घरों में पहुंचेगी बिजली।

मुख्यमंत्री ने राज्य की बिजली कंपनियों को बिल देने की प्रक्रिया को दुरुस्त करने का निर्देश देते हुए कहा कि राज्य के उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान करना चाहते हैं।इसके लिए बिजली कंपनियों को अपनी प्रक्रिया ठीक करनी होगी, ताकि उपभोक्ता समय पर बिजली बिल का भुगतान आसानी से कर सकें।

नीतीश कुमार ने बीते गुरुवार को सीएम सचिवालय संवाद में कहा ऊर्जा विभाग के 2650.51 करोड़ की योजनाओं के शिलान्यास उद्घाटन व लोकार्पण हो। उन्होंने कहा कि बिजली बिल की शिकायतें कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। पूरी प्रक्रिया को दुरुस्त करना होगा, इससे वितरण कंपनियों की इफिसिएंसी बढ़ेगी। समय पर बिल दें, तो समय पर ही भुगतान हो सकेगा। बिजली बिल में सुधार के लिए भी पहल की गयी है। लोगों के सामने बिलिंग की जायेगी। मोबाइल के माध्यम से बिल की जानकारी दी जायेगी। स्पॉट बिलिंग की भी सुविधा दी जा रही है। सब्सिडी भी बिजली बिल में अंकित होगी। उपभोक्ता को सब्सिडी घटा कर बिल का भुगतान करना होगा। लोगों को जानकारी होगी कि बिजली की रेट क्या है और सरकार कितनी सब्सिडी दे रही है? साथ ही सरकार भी देख सकेगी कि हम उपभोक्ताओं को कितनी सब्सिडी दे रहे हैं और बिजली कंपनियों की इफिसिएंसी कितनी है?

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि लोगों को गुणवत्ता पूर्ण बिजली मिले। 

पावर फ्लक्च्यूवेशन नहीं होना चाहिए। जब सब कुछ डेवलप हो रहा है, तो बिजली की क्वालिटी में भी सुधार होगा, यह भी चुनौती है।बिजली की खपत और सुविधा बढ़ रही है, तो राशि भी बढ़ना ही है। उन्होंने बिजली वितरण कंपनियों को अपनी इफिसिएंसी बढ़ाने और नेचुरल लॉस से आगे किसी प्रकार का लॉस नहीं करने की भी सलाह दी है। बिजली वितरण में फ्रेंचाइजी के काम को मुख्यमंत्री ने बेकार बताया और इसके चक्कर में नहीं पड़ने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा फ्रेंचाइजी से मुक्ति पाने की है। फ्रेंचाइजी के कारण ही कई गांवों में अब तक बिजली नहीं पहुंची है।

मुख्यमंत्री ने जरूरत के हिसाब से बिजली खर्च करने की सलाह दी।
मुख्यमंत्री  ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से  जनसंपर्क अभियान चलाने का निर्देश  दिया और कहा कि लोगों से अपील करें कि बिना वजह बिजली की खपत न करें। जरूरत  के हिसाब से ही बिजली की खपत करें।आखिर में बिल का भुगतान तो उन्हें ही  करना होता है।जब बल्ब जलाना हो, तभी जलाएं। कम बिजली खपतवाले बल्ब, पंखे भी आ गये हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा ही असली बिजली है। कोयला एक दिन खत्म हो जायेगा। अगर सूर्य का प्रकाश नहीं मिले, तो सब खत्म हो जायेगा। इस अक्षय ऊर्जा पर बिजली विभाग कैंपेन चलाये और लोगों को इसके लिए जागरूक करें। पर्यावरण के लिहाज से कहीं-कहीं बिजली के पोल या तार नहीं जा सकते हैं, वहां अक्षय ऊर्जा से बिजली पहुंचायी जाये। उन्होंने कहा कि परचा  तैयार करा लें और जिनके यहां कनेक्शन है, उनके घरों के दरवाजे तक पहुंचा दें या चिपका दें। इसका व्यापक असर होगा। नयी पीढ़ी को इसकी जानकारी मिल  जाये, तो वह बाकी को जागरूक कर देगी।

पुरे राज्य भर में 623 गांव ऐसे हैं, जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची है। इनमें  सारण समेत दियारे के 157, रोहतास-कैमूर में पहाड़ी क्षेत्र के 218 , कटिहार के 228, मुजफ्फरपुर के 24 और भागलपुर के छह  गांव शामिल हैं। इस साल के अंत तक (दिसंबर, 2017) इन सभी गांवों में बिजली  पहुंचा दी जायेगी और दिसंबर, 2018 तक सभी घरों में बिजली का कनेक्शन दे दिया  जायेगा।

मुख्यमंत्री ने पूरा किया एक और वादा अब एपीएल परिवारों को मिलेगा मुफ्त बिजली कनेक्शन

​मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव के दौरान किये गये एक और वादे को साल भर के भीतर ही पूरा कर दिया है। मुख्यमंत्री के इस योजना के तहत गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले राज्य के लगभग पचास लाख घरों को मुफ्त बिजली कनेक्शन मुहैया कराया जायेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां एक कार्यक्रम में ‘हर घर बिजली लगातार’ कार्यक्रम शुरू किया। यह विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ जद (एकी) की ओर से किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था। इसका उद्देश्य बिहार में अगले दो सालों में प्रत्येक घर को बिजली की आपूर्ति मुहैया कराना है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बिजली मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, मुख्य सचिव अंजनि कुमार सिंह और प्रधान सचिव (बिजली) प्रत्यय अमृत कार्यक्रम में मौजूद थे। प्रत्येक घर को बिजली का कनेक्शन मुहैया कराना कुमार के ‘सात संकल्पों’ में एक महत्वपूर्ण घटक था। इसे राज्य में महागठबंधन सरकार ने भी अगले पांच सालों के लिए सुशासन के लिए अच्छी नीति के तौर पर मंजूर किया है।

इस कार्यक्रम में कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने सात संकल्पों के तहत किए गए वादों को सरकार के एक साल के भीतर लागू करने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले ऐसे करीब 50 लाख घरों को बिजली के कनेक्शन मिलेंगे जिनके पास बिजली के कनेक्शन नहीं हैं। बीपीएल परिवार ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में पहले ही शामिल हैं। कुमार ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य मुफ्त बिजली का कनेक्शन मुहैया कराना है, मुफ्त बिजली नहीं। लाभार्थियों को इस्तेमाल की जाने वाली बिजली के लिए भुगतान करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘लक्ष्य अगले दो सालों (2018 तक) में बचे हुए घरों को बिजली के कनेक्शन से जोड़ना है।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 1857.5 करोड़ रुपए रखे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह काम एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर खुद के बल पर कर रही है।