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Bihar Board Results 2020: जानें कब आयेगी बिहार बोर्ड मेट्रिक और इंटर का रिजल्ट?

 बि‍हार बोर्ड (Bihar Board) कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं समाप्‍त हो चुकी हैं और अब मूल्‍यांकन का काम भी लगभग समाप्‍त हो चुका है| हालांक‍ि बोर्ड ने मूल्‍यांकन का काम समाप्‍त करने के ल‍िये 12 मार्च तक का लक्ष्‍य रखा था| लेक‍िन श‍िक्षकों की कमी के कारण इसमें कुछ समय और लग रहा है| छात्र उम्‍मीद कर सकते हैं क‍ि मार्च के आख‍िरी सप्‍ताह तक बि‍हार बोर्ड, मैट्र‍िक और इंटरमीडिएट के पर‍िणाम जारी कर सकता है| सूत्रों की मानें तो बोर्ड ने कक्षा 10वीं की कॉप‍ियां 26 फरवरी से 8 मार्च 2020 के बीच जांच ली थीं और स‍िर्फ इंटरमीडिएट की कॉप‍ियां ही जांच के ल‍िये बाकी रह गई थीं|

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन ने मंगलवार को कहा कि कोरोना को लेकर मैट्रिक व इंटर के मूल्यांकन (कापी जांच) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। दोनों ही परीक्षाओं के रिजल्ट अपने तय समय पर ही आएंगे। उन्होंने कहा कि यह शिक्षकों के सहयोग से ही संभव हो रहा है। इंटर की कापियों का मूल्यांकन समय पर चल रहा है। पुराने शिक्षक, अतिथि शिक्षक, वित्तरहित संस्थानों के शिक्षक और कुछ नियोजित शिक्षक मूल्यांकन कार्य में जुटे हैं। मैट्रिक का भी मूल्यांकन आरंभ हो चुका है। कापियों के मूल्यांकन में कोई विलम्ब नहीं हुआ है।

हालांक‍ि बोर्ड ने अब तक यह खुलासा नहीं क‍िया है कि‍ परीक्षा के पर‍िणाम की घोषणा कब तक कर दी जाएगी और आध‍िकार‍िक वेबसाइट पर इसे कब तक चेक क‍िया जा सकेगा| परीक्षा के पर‍िणाम से संबंधित ज्‍यादा जानकारी Biharboardonline.gov.in पर चेक क‍िया जा सकता है|

इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के लिए, एक उम्मीदवार को प्रत्येक विषय के कुल अंकों का 30 प्रतिशत और प्रत्येक विषय के थ्योरी में कुल अंकों का 40 प्रतिशत अंक लाना होगा| फर्स्ट डिवीजन को प्राप्त करने के लिए, एक छात्र को 300 अंक प्राप्त करने होते हैं, जबकि दूसरे डिवीजन के लिए यह 225 अंक लाने होते हैं|

बिहार बोर्ड: मैट्रिक कंपार्टमेंटल परीक्षा का रिजल्ट आज

Bihar Board Matric Result 2019: आज आयेगा बिहार बोर्ड मेट्रिक का रिजल्ट, यहाँ करें चेक

बिहार बोर्ड इंटर का रिजल्ट घोषित करने के बाद, बोर्ड ने दसवीं बोर्ड के परिणाम घोषित होने की तारीख का खुलासा कर दिया है। बोर्ड आज यानी शनिवार 6 अप्रैल को दोपहर 12.30 बजे दसवीं के नतीजे घोषित करेगा। बोर्ड ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए इसकी जानकारी दी।

मैट्रिक वार्षिक परीक्षा, 2019 का परीक्षाफल भी समिति द्वारा रिकार्ड 29 दिन में जारी किया जा रहा है। मैट्रिक वार्षिक परीक्षा, 2019 की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य दिनांक 8 मार्च, 2019 से प्रारम्भ हुआ था

निम्नलिखित वेबसाइट पर देखा जा सकता है –  http://www.bsebresult.online और  http://www.bsebonline.org

गौरतलब है कि बिहार बोर्ड वार्षिक माध्यमिक परीक्षा, 2019 का आयोजन 21 फरवरी, 2019 से 28 फरवरी, 2019 तक राज्य के कुल 1418 परीक्षा केंद्रों पर किया गया था। इसमें 16,60,609 स्टूडेंट्स ने फार्म भरा था। इनमें 8,37,075 छात्राएं थीं और 8,23,534 छात्र।

इन 4 Steps से चेक कर पाएंगे बिहार बोर्ड मैट्रिक नतीजे

Step 1 – बिहार बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.biharboardonline.in पर जाएं।
Step 2  – For Matric Annual 2019 Result के लिंक पर क्लिक करें।
Step 3 – नया पेज खुलने पर रोल कोड या रोल नंबर डालें।
Step 4 – सर्च करें। आपकी स्क्रीन पर आपका रिजल्ट आ जाएगा। इसका प्रिंट आउट ले लें।

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Bihar Board 12th result: बिहार बोर्ड ने जारी किया इंटर का रिजल्ट, यें बनें इस बार के टॉपर

आज बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं का रिजल्ट जारी हो गया है। परीक्षा खत्म होने के महज 28 दिन के अंदर ही स्टूडेंट्स को परिणाम मिल गए हैं। इस साल 12वीं की परीक्षा का परिणाम कुल 79.76 प्रतिशत रहा है। जो कि पिछले वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है। आर्ट स्ट्रीम में 4,25,500 स्टूडेंट्स यानी 76.53% पास हुए हैं। साइंस में 5,35,110 यानी 81.02% स्टूडेंट्स तो वहीं कॉमर्स में 59153 यानी 93.02% छात्र-छात्राएं पास हुई हैं।

आर्ट स्ट्रीम के टॉपर्स
– रोहिनी रानी 92.6%
– मनीष कुमार 92.6%

 

साइंस स्ट्रीम के टॉपर्स
– मोहिनी प्रकाश 94.6%
– पवन कुमार 94.6%

कॉमर्स स्ट्रीम के टॉपर्स
– सत्यम कुमार 94.4%
– सोनू कुमार 94%
– श्रेया कुमारी 93.8%

BSEB 12वीं की परीक्षा इस बार राज्य भर के 1339 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। जिसमें 13,15,371 स्टूडेंट्स इस परीक्षा में शामिल हुए थे। इसमें 5,53,198 छात्राएं और 6,62,153 छात्र थे। बात अगर तीनों स्ट्रीम की करें तो साइंस के 6,87,059, आर्ट के 5,63,267 और कॉमर्स के 64267 स्टूडेंट्स एग्जाम में शामिल हुए थे।

 

बोर्ड एग्जाम और वसंत, जीवन में लगभग साथ साथ आती है

दो बार से लगातार मैट्रिक में फेल हो रही रनिया और पिंकिया दांत पर दांत पटक के कहती है अगर जो ई बेर हमको नीतीसवा फेल किया तो ईंट से ईंट बजा देंगे।

पूरब टोला का सुरजवा क्वेश्चन बैंक लाँघकर मॉडल पेपर में घुस आया है। पूरे आठ दिन का लघु योजना बनाते हुए कहता है इसके बाद कुछो न पढ़ेंगे…लड़ना होगा तो इसी से लड़ेगा वरना फेल सही।

इधर गुडुआ अपना पूरा बल लगाकर यूनिक और गाइड जैसे संयुक्त गेस पेपर को छाती के पास लाकर लीनियस पद्धति के अनुसार अलग-अलग विषयों में वर्गीकरण कर दे रहा है।

गणेश पूजा के प्रोग्राम में लड़की पर लेज़र लाइट छिड़कने वाला सुनिलवा चार बजे भोर में लालटेन जलाकर मच्छरदानी के भीतर विज्ञान और गणित के अति महत्वपूर्ण प्रश्नों पर प्रकाश छिड़क रहा है।

दिन भर सोनिया के हृदय की धड़कन एवं पल्स रेट को गिनने वाला मनीषवा परीक्षा से आठ दिन पहले थीटा डिग्री कोण पर झुके दो समतल दर्पण के सामने वस्तु को रखकर…उसमें बने प्रतिबिम्ब की संख्या को बायें हाथ की अँगुली पे गिन रहा है।

वो लजबजा गया है कि 360 को थीटा से भाग देने पर अगर कोई विषम संख्या आये तो दर्पण पे बने प्रतिबिम्ब की संख्या वही रखेंगे या उस संख्या में एक घटा देंगे।

रोज सुबह मजनुआ के व्हाटसएप पे गुड मॉर्निंग सहित अपना दिल भेजने वाली सरितवा आज संदेश में पूछ रही है कि निकट दृष्टि दोष दूर करने में कौन सा लेंस प्रयोग होता है? मजनुआ आश्चर्यचकित होते हुए पूछ बैठता है ई बीमारी आपको कब से हो गया?

अरे नहीं जी…परीक्षा नजदीक है इसीलिए पढ़ ले रहे हैं आजकल तो जानते हैं बियाह से पहले भी कुटुम सब यही सवाल पूछता है।

प्रश्न का जवाब देते हुए मजनुआ भी इधर से पूछ बैठता है आप बताइए कि गाड़ी के हेडलाइट एवं सर्च लाइट में कौन सा दर्पण प्रयोग होता है?
ये वाला प्रश्न भी कुटुम आपसे बियाह के पहले पूछेगा….फिर दोनों एक साथ मुस्कुराते हुए अगले प्रश्न पे आते हैं….

दोनों तरफ घमासान युद्ध चल रहा है….परीक्षाओं का दौर है…वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का गोला बनाकर एक दूसरे के ऊपर फेंका जा रहा है…जो पीछे हुआ वो सबसे पीछे हो जाता है….

जैसे जैसे परीक्षा छाती पर आ रहा है, दिनेश माटसाब और देवनारायण माटसाब भी मंगल से लेकर मंगल तक रोज चार घण्टा खींच के पढ़ा रहे हैं, तभियो सिलेबस पार नहीं परा रहा है।

पता ही नहीं चल रहा कितना पढ़ना है…क्या पढ़ लिए….क्या बाकी रह गया..

दिल्ली में कमा रहा मिठुआ…अपने जिगरी दोस्त को फ़ोन करके मधुआ का खबर लेना वाला लौंडा ये खबर लेना शुरू कर दिया है कि.. कहिया से परीक्षा है….? कहिया के टिकट करवायें…? कहिया एडमिट कार्ड आवेगा…?

अंगूठा और तर्जनी के बीच विद्या का क्वेश्चन बैंक फँसाकर सरितवा कहती है बाप रे इतना मोटा पढ़ना पड़ेगा….कहाँ से शुरू करे कहाँ से खत्म करे पता ही नहीं चल रहा है। चोरी तो चलबे करेगा…अब सब भगवान भरोसे।

हाल-ए-दिल ये हो गया है कि जीवन का हरेक परीक्षा भगवान के भरोसे ही दिया जा रहा है।

इधर ज्योतिया के जीजा जी जुगाड़ में हैं कि किसी तरह दस घण्टा पहले क्वेश्चन मिल जाए….हर एक घण्टा के बाद अजीत माटसाब को फोन लगा के पूछते हैं सर काम हुआ?

मन बेचैन है…इंतजार में रात भर सही से नींद नहीं ले पा रहे हैं…जैसे अपने साली को पास कराने का टेंडर इन्हीं को मिला हो।

रमुआ के पान दुकान पर खैनी का पुरिया खत्म करने वाला लड़का के मुंह से तीन रात में पूरा सिलेबस खत्म करने की बात सुन…बगल में खड़े गोबरधन चचा अवाक रह जाते हैं|उनको लगता है मोदीजी बच्चों के मानसिक विकास पर भी कोई विशेष योजना का कार्यान्वयन कर रहे हैं।

परीक्षाओं का दौर है…परीक्षा तो अपने समयानुसार होती ही रहेंगी….सवाल आते ही रहेंगे….तैयारियाँ भी चलती रहेंगी….पर अच्छे नम्बर से पास होना बहुत जरूरी है।

ये जीवन की पहली परीक्षा होती है…पहली परीक्षा हौंसला देती है, इतना हौंसला देती है कि एक बाप अपना पेट काट कर आपको मुखर्जीनगर में पढ़ा सकता है। एक माँ फटी साड़ी पहनकर आपको कोटा भेज आईआईटी और मेडिकल की तैयारी करवा सकती है।

शायद इसी को तपस्या कहते हैं…जहाँ माँ-बाप बच्चों के लिए जीना सीखते हैं और बच्चे माँ-बाप के लिए। जो एक-दूसरे के लिए जीना सीख जाए उनका जीवन वसंत हो जाता है।

अभिषेक आर्यन

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बिहार बोर्ड: फरवरी में होगा मेट्रिक और इंटर की परीक्षा, यहाँ देखें रुटीन

बिहार बोर्ड ने अगले साल होने वाले मेट्रिक और इंटर बोर्ड परीक्षाओं के तिथि की घोषणा कर दिया है| बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने शुक्रवार को कहा कि  6 फरवरी 2019 से इंटर की परीक्षा शुरू होगी और 16 फरवरी तक चलेगी। वहीं, 21 फरवरी 2019 से मैट्रिक की परीक्षा ली जाएगी और 28 फरवरी को खत्म होगी।

बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि इस बार इंटर की परीक्षा को लेकर 13 लाख 492 छात्रों ने फॉर्म भरा है तो वहीं मैट्रिक की परीक्षा में 16 लाख 57 हजार छात्रों ने इस बार परीक्षा फॉर्म भरा है। उन्होंने कहा कि परीक्षा पूरी तरह से कदाचार मुक्त होगी और इसके लिए इस बार भी पूरी सख्ती बरती जाएगी।

इंटर परीक्षा कार्यक्रम

 

डेट फर्स्ट सिटिंग, 9:30 A.M से 12:45 P.M सेकेंड सिटिंग, (1:45 P.M से 5:00 PM)
06.02.2019 बायोलॉजी/ I.Sc

आर.बी. हिन्दी/ वोकेशनल कोर्स

फिलॉसोफी/I.A

इंटरप्रेन्योरशिप/ I.Com

07.02.2019 लैंग्वेज सब्जेक्ट/ I.A कम्प्यूटर साइंस/I.A, I.Sc, I.Com

मल्टीमीडिया एंड वेबटेक/ I.A, I.Sc, I.Com

फाउंडेशन कोर्स/ वोकेशनल कोर्स

08.02.2019 फिजिक्स/ I.Sc

योगा एंड फिजिकल एजुकेशन/ I.A

इतिहास/ I.A.

अंग्रेजी/ वोकेशनल कोर्स

09.02.2019 एन.आर.बी & एम.बी/ I.A. अकाउंटेंसी/ I.Com

वोकेशनल ट्रेड- I / वोकेशनल कोर्स

11.02.2019 केमिस्ट्री/ I.Sc राजनीति विज्ञान/ I.A.

वोकेशनल ट्रेड- II / वोकेशनल कोर्स

12.02.2019 कृषि/I.Sc.

संगीत/ I.A.

बिजनेस स्टडीज/ I.Com

जियोग्राफी/ I.A.

13.02.2019 लैंग्वेज सब्जेक्ट/I.Sc, I.Com मनोविज्ञान/ I.A.

वोकेशनल ट्रेड- III/ वोकेशनल कोर्स

14.02.2019 एन.आर.बी & एम.बी/I.Sc, I.Com समाज विज्ञान/ I.A.

रिलेटेड सब्जेक्ट/ वोकेशनल कोर्स

15.02.2019 गणित/I.Sc, I.A. अर्थशास्त्र/ I.A.
16.02.2019 होम साइंस/ I.A.

अर्थशास्त्र/I.Com

 

मैट्रिक परीक्षा कार्यक्रम

 

डेट फर्स्ट सिटिंग सेकेंड सिटिंग
21.02.2019 अंग्रेजी (सामान्य) अंग्रेजी (सामान्य)
22.02.2019 सामाजिक विज्ञान सामाजिक विज्ञान
23.02.2019 विज्ञान विज्ञान
25.02.2019 गणित गणित
26.02.2019 मातृभाषा (हिन्दी, उर्दू, बंगला, मैथली) मातृभाषा (हिन्दी, उर्दू, बंगला, मैथली)
27.02.2019 द्वितीय भारतीय भाषा

(हिन्दी भाषियों के लिए संस्कृत, अरबी, फारसी एवं भोजपुरी में से कोई एक भाषा तथा अहिन्दी भाषियों के लिए राष्ट्रभाषा हिन्दी।)

द्वितीय भारतीय भाषा

(हिन्दी भाषियों के लिए संस्कृत, अरबी, फारसी एवं भोजपुरी में से कोई एक भाषा तथा अहिन्दी भाषियों के लिए राष्ट्रभाषा हिन्दी।)

28.02.2019 ऐच्छिक विषय
(उच्च गणित, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, संस्कृत, मैथली, फारसी एवं अरबी)
ऐच्छिक विषय
(उच्च गणित, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, संस्कृत, मैथली, फारसी एवं अरबी)

 

 

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12वीं पास इन लड़कियों के बैंक खाता में बिहार सरकार भेजेगी 10,000 रूपये

बिहार बोर्ड 12वीं कक्षा की परीक्षा जिन लड़कियों ने अच्छे नंबर से पास की है उन्हें बिहार सरकार ने 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप देने का ऐलान किया है| सरकार ने कहा- उन सभी अविवाहित लड़कियों को स्कॉलरशिप दी जाएगी जिन्होंने 12वीं बोर्ड में अच्छे अंकों के साथ परीक्षा पास की है|

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने बताया , ”शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के उन लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है जिन्होंने छह जून को घोषित प्रदेश की 12वीं की परीक्षा पास कर ली है।

महाजन ने बताया कि योग्य उम्मीदवारों की पहचान के बाद जुलाई में उनके बैंक खाते में ये पैसे भेज दिये जायेंगे। सचिव ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा चलाई जा रही इस योजना का मकसद लड़कियों के बीच शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना, लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इससे बाल विवाह व जनसंख्या में तीव्र वृद्धि जैसी समस्याओं पर भी काबू पाने में मदद मिलेगी। इस योजना का लाभ केवल उन अविवाहित लड़कियों को मिलेगा जो 12वीं (इंटरमीडिएट) पास करेंगी।

इस योजना के तहत बिहार सरकार प्रदेश की कन्याओं को कुल 54,100 रुपये की राशि प्रदान करेगी। हालांकि यह राशि सरकार कन्याओं को विभिन्न स्तर पर प्रदान करेगी। लड़कियों के जन्म से लेकर स्नातक शिक्षा हासिल करने तक सरकार उनको 54,100 रुपये प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी।

आपको बता दें ”मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना” (MKUY) की योजना के तहत एक बार स्कॉलरशिप दी जाती है. इस साल अप्रैल के महीने में बिहार के राज्य मंत्रिमंडल ने इस योजना को लॉन्च किया था| बता दें, राज्य सरकार ने अब तक स्कॉलरशिप की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. वहीं चुनी गई लड़कियों को स्कॉलरशिप का रकम सीधा उनके बैंक में ही ट्रांसफर कर दी जाएगी|
बिहार सरकार के अनुसार स्कॉलरशिप किसी भी परिवार के 2 सदस्यों को ही मिलेगी. आपको बता दें, बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं का रिजल्ट 6 जून का घोषित कर दिया गया था. इस परीक्षा में 52.9 फीसदी छात्र पास हुए थे, जिसमें साइंस में 44.41, आर्ट्स में 61 फीसदी और कॉमर्स में 91 फीसदी बच्चे पास हुए थे|
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कोमल का मैट्रिक पास होना हमारे लिए किसी के सीबीएसई टॉप करने से बड़ी खबर है

हाल ही में बिहार में दसवीं का रिजल्ट आया है। मीडिया में हर तरफ उन बच्चों का जिक्र है जो राज्य या अपने जिले के टॉपर हैं। इन सब में एक कहानी कोमल की है, महादलित जाति की कोमल को वैसे तो सिर्फ 42.4 फीसदी अंक आये हैं।

मगर उसकी कहानी इसलिए महत्वपूर्ण है कि 150 साल से बसे भागलपुर के घोघा के मुशहरी टोला की वह पहली मैट्रिक पास है। 50-60 घरों के उस टोले में आजतक कोई चौथी-पांचवी से आगे पढ़ ही नहीं पाया।

कोमल का मैट्रिक पास होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जैसी उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि है उसमें एक लड़की का पढ़ना जंग जीत लेने जैसा है। पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और मां ईट-भट्ठे पर काम करती है। घर में पांच बहनें और एक भाई है। मां बीमार हुई तो उसके बदले मजदूरी करने कोमल को ईट भट्ठे पर जाना पड़ता है। नहीं तो घर और भाई-बहनों को संभालना, खाना-पकाना। गांव का समाज इतना दंभी और जातिवादी है कि इस टोले के लोगों पर कई किस्म के जातिवादी प्रतिबंध लगाता है। आज भी इस टोले में किसी की मौत होती है तो लोग शवयात्रा नहीं निकाल पाते। लाश को कपड़े में लपेट कर चुपके से ले जाना पड़ता है। इन परिस्थितियों में महादलित समुदाय की एक लड़की अगर पढ़कर मैट्रिक पास कर जाती है तो वह टॉपरों से बड़ी उपलब्धि है।

बड़ी बहनों ने उतनी पढ़ाई नहीं की, मगर कोमल इन तमाम बाधाओं के बीच लगातार पढ़ती रही। उस परिवेश के बीच जहां हर सुबह यह फिक्र की जाती थी कि शाम के खाने का किसी तरह इंतजाम हो जाये, वह रोज समय निकाल कर स्कूल जाती रही। और जब उसने दसवीं का फार्म भरा तो पता चला कि अपने टोले से इस परीक्षा में शामिल होने वाली वह पहली लड़की है। एक अख़बार ने उसकी कहानी छापी तो कहलगांव के व्यापारी मदद करने के लिए तैयार हो गये।

कोमल को पढ़ने में मन लगता था और वह होशियार भी थी। मगर अपने जीवन की परेशानियों के बीच उसे इतना कम समय मिलता कि वह हमेशा डरती रहती कि पास कर पायेगी या नहीं। उसने कभी नहीं सोचा था कि टॉप करेगी। वह पास करना चाहती थी। और वह पास कर गयी, इतने से ही वह खुश है।

एक ओर जहां सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा देने वाले संपन्न घर के बच्चे टेन लाने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करते हैं, वहीं बिहार जैसे राज्य स्तरीय बोर्ड का महत्व इसलिए है कि कोमल जैसी लड़कियां भी पढ़ लिखकर आगे बढ़ती है। इसलिए कोमल का मैट्रिक पास होना हमारे लिए किसी के सीबीएसई टॉप करने से बड़ी खबर है।

साभार: प्रभात कुमार और प्रदीप विद्रोही

हर साल बिहार बोर्ड के रिजल्ट आने पर अपना मुंह फाड़ के चिचियाने वाले लोग, जरा सुनों

पिछले तीन सालों से देख रहा हूँ कि बिहार बोर्ड सम्बंधित किसी भी रिजल्ट के आने के तुरंत बाद मीडिया और कुछ ज्यादा ही बौद्धिक टाइप के बाहरी लोग हो-हल्ला मचाना शुरू करते हैं, बिहार के शिक्षा व्यवस्था का मजाक उड़ाते हैं और ट्रोल करते हैं। शिक्षा व्यवस्था पे प्रश्न से दिक्कत नहीं है, ये तो स्वतः जगजाहिर है कि किन हालातों में पढ़के बिहारी छात्र बाहर आते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं| लेकिन जब आप शिक्षा व्यवस्था पे सवाल के स्थान पर आप बिहारी छात्रों का मजाक बनाने लगते हैं या उनकी डिग्री के विश्ववसनियता पर सवाल कर देते हैं तो कष्ट होता है।

साहब, आपको मजा आता है किसी रिजल्ट के तुरंत बाद दुनिया को कैटेगरीकली ये बताने में कि “अरे, बिहार से पढ़ने वालों की डिग्री का क्या भरोषा? जरूर सेटिंग करके पास किए होंगें या चोरी-चीटिंग ही इनके पास होने का जरिया रहा होगा”। हाँ, मानते हैं की कुछ लोगों ने ऐसा किया होता है और वो गलत हैं लेकिन उनके कारण पूरे बिहार के छात्रों को या उनकी डिग्री-मेहनत को गलत कह देना कहाँ तक सही है? आप कितना जानते हैं कि किन स्थितियों में बिहारी छात्र पढ़के आते हैं? कभी पहले आपको चिंता होती है की कैसी व्यवस्था के तले वो अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं?

साहब, बिना मास्टर के भी कई स्कूल चलती हैं हमारे यहाँ। कई जगह कमरा नहीं होता तो पेड़ के नीचे या खुले आसमान के नीचे भी बोरा-चटाई बिछा के पढ़ते हैं हमारे छात्र। पीने का पानी-शौचालय तक की सुविधा नहीं होती। आपके या आपके बच्चों के स्कूलों-ट्यूशनों में पंखे-ऐसी के बिना पढाई नहीं होती होगी लेकिन हमारे गांवों के स्कूलों में बिजली छोड़िए लायब्रेरी-लेबोरेटरी-स्पोर्ट्स-बेंच-डेस्क तक नहीं होती।

हमारे यहाँ कई बच्चे खेती-बाड़ी के साथ-साथ पढाई करते हैं, भैंस-बकरी भी चराते हैं और स्कूल भी जाते हैं। इतनी मेहनत और त्याग-लग्न से पढ़के वो नम्बर लाते हैं, जरा सा खुश होते हैं तभी पता चलता है की देश के मीडिया ने एक ऐसा माहौल बना दिया है की जैसे बिहार से पढ़के आने वाले सारे छात्र और उनकी डिग्रीयां फर्जी है।

सोचिए उस बच्चे के मन पर क्या गुजरता होगा…कई बच्चे जो मेरिटोरियस होते हैं उनके गारजीयन को लगता है कि यहाँ के व्यवस्था में तो उनके बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे, इसलिए वो अपने बच्चों को दिल्ली-कोटा आदि जगहों पर भेजते हैं न की शौक से। और वहाँ से भी जब रातें काली करके बच्चे पढ़ते-लिखते हैं और सफलता पाते हैं तब आपको अटेंडेंस आदि सूझने लगता है। आप ही बताइए की करें क्या वो बच्चे ?

तब आप ये तर्क बिल्कुले मत दिजिएगा कि इसी से तो व्यवस्था सुधरेगा, आपको व्यवस्था की फिक्र होती तो आप बांकी दिनों में स्कूलों में जाते| और वहाँ की व्यवस्था पर लिखते-बोलते या कुछ करते| आप सरकार को घेरते न की बच्चों को टारगेट करते। कितनी बार आप जैसे लोग साथ आते हैं जब हम विश्वविद्यालय सुधार के लिए प्रयास-आंदोलन करते हैं? हमारी किस्मत पे कुछ चोर-नालायक नेतालोग क्या बैठ गए, आप हमसबको फर्जी कहने लगिएगा?

इसलिए ये सब छोड़ दीजिए, ये सब आपके लिए सिर्फ मौका होता है। आप अपने साथ काम कर रहे उन बिहारियों का बस मजाक उड़ाते हैं या नीचा दिखाना चाहते हैं जिनके सामने प्रोफेशनली आप टीक नहीं पाते। इतना ही शक हो बिहारी शिक्षा व्यवस्था-डिग्रीयों और कैपेबिलिटी पर तो अपने ही आसपास के किसी भी परेल्लेल पोजिसन्ड बिहारी के पास बैठ जाइएगा और एक घण्टे का सेशन रख लीजिएगा। कैरीकुलर-प्रोफेशनल-फील्ड या टेक्निकल नॉलेज के अलावा एक ही घण्टे में आपको राजनीति-इतिहास-भूगोल-साहित्य-विज्ञान-ज्ञान-अध्यात्म और असली जीवल का अनुभव तक सब समझा देगा।

बांकी जिसको बेसी दाबी है, आ जाइएगा हवेली पे। आप होंगें, हम होंगें और कैमरा साला लाइव होगा|

– आदित्य मोहन 

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Bihar Board Result: बिहार बोर्ड इंटर का रिजल्ट जारी, इसमे भी कल्पना कुमारी की टॉप

बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट के छात्रों के लिए रिजल्ट का इंतजार खत्म हो गया है| बिहार बोर्ड के द्वारा 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया गया है| बीएसईबी कार्यालय में शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने रिजल्ट की घोषणा की| साइंस, ऑर्ट्स और कॉमर्स तीनों विषयों के रिजल्ट की घोषणा की गई है|  इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल हुए छात्रों में 52.9 प्रतिशत छात्र  सफल हुए है| कार्मस में 82 प्रतिशत, साइंस में 45 प्रतिशत और आर्ट्स में 42 प्रतिशत छात्र सफल हुए है|

बिहार इंटरमीडिएट रिजल्ट में साइंस संकाय से शिवहर की कल्पना कुमारी ने पहला स्थान प्राप्त किया है. वहीं, ऑर्ट्स संकाय से सिमुलतला की कुसुम और मुजफ्फरपुर की निधि सिन्हा ने कॉमर्स में टॉप किया है. साइंस टॉपर कल्पना को 434 अंक प्राप्त हुए है. जबकि कुसुम को 424 अंक प्राप्त हुए हैं.

बता दें कि कल्पना ने हाल ही में NEET टॉपर घोषित की जा चुकी है| शिवहर की रहने वाली कल्पना कुमारी ने अब बिहार बोर्ड इंटर परीक्षा में साइंस टॉपर बन गई है|

बिहार बोर्ड से जिन छात्रों को कम अंक मिले हैं वह स्क्रुटनी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। स्क्रूटनी के लिए 13 जून से ऑनलाइन आवेदन शुरू होंगे।

छात्र अब अपना रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं। बोर्ड 12वीं आर्ट्स रिजल्ट समेत अन्य स्ट्रीम के रिजल्ट भी आज ही जारी करेगा। बिहार बोर्ड की ओर से यह रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइटों biharboard.ac.in और www.bsebssresult.com पर उपलब्ध होगा। इसके अलावा छात्र लाइव हिन्दुस्तान के ‘बोर्ड रिजल्ट्स’ पेज पर क्लिक कर भी अपना रिजल्ट पा सकते हैं।

बिहार बोर्ड ने कल मंगलवार को सूचना दी थी कि 12वीं के नतीजे आज शाम साढ़े चार बजे जारी किए जाएंगे। लेकिन कुछ कारणों की वजह से रिजल्ट कुछ मिनट देर से जारी हो सका। परीक्षाफल की घोषणा माननीय मंत्री, शिक्षा विभाग, श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा द्वारा की गई। इस अवसर पर श्री आरके महाजन, प्रधान सचिव, शिक्षा विभाग एवं श्री आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उपस्थित रहे।

बिहार बोर्ड इससे पहले 12वीं के नतीजे को 6 जून के बजाए एक दिन बाद 7 जून को घोषित करने जा रहा था। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के चलते बोर्ड ने तारीख को बदलकर आज यानी 6 जून कर दिया।

वहीं, इस बार छात्रों को 10 प्रतिशत तक ग्रेस मार्क्स दिया गया है. फेल होनेवाले छात्रों को अधिकतम 10 फीसदी तक ग्रेस दिया गया है| हालांकि भाषा विषय में फेल होने वाले छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं दिया गया है|

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बिहार बोर्ड मैट्रिक के तारीख का हुआ ऐलान, इस दिन आएगा रिजल्ट

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा के नतीजों की तारीखें घोषित कर दी हैं. बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने वार्षिक माध्यमिक एवं इंटरमीडिएट परीक्षा, 2018 के परीक्षाफल के प्रकाशन की तिथि की घोषणा की. बिहार बोर्ड के  श्री आनंद किशोर ने बताया कि इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा, 2018 के परीक्षाफल की घोषणा  07 जून, 2018 को और वार्षिक माध्यमिक परीक्षा मेट्रिक, 2018 के परीक्षाफल की घोषणा 20 जून, 2018 को की जाएगी.

 अध्यक्ष ने कहा कि इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा, 2018 के रिजल्ट प्रोसेसिंग का कार्य अंतिम चरण में है, जिसके बाद परीक्षाफल की घोषणा समिति द्वारा की जाएगी.

मालूम हो कि बिहार में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा के नतीजे हर साल मई के अंतिम सप्ताह तक आ जाते हैं लेकिन बोर्ड पिछले दो सालों में हुई अपनी किरकिरी के बाद कोई भी कोताही करने के मूड में नहीं है. इससे पहले शनिवार को ही सीबीएसई 12वीं के नतीजे जारी किए गए हैं.

ऐसे चेक करें BSEB Class 10 Results

1. biharboard.ac.in पर लॉग इन करें.

2. India Results link पर क्लिक करें.

3. अपना रोल नंबर एंटर करें.

4. आप अपने नाम से भी रिजल्ट सर्च कर सकते हैं.

5. पिता और माता के नाम के साथ यह सुनिश्चित कर लें कि स्क्रीन पर आया रिजल्ट आपका ही है.

6. पूरा विवरण एंटर करें और सब्मिट करें.

7. रिजल्ट आपकी स्क्रीन पर होगा.

8. डाउनलोड करने के बाद उसका प्रिंटआउट भी जरूर लें.

BSEB Matric Result 2018 और BSEB Intermediate Result 2018 के प्रिंट आउट को छात्र प्रोविजनल रिजल्ट के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. BSEB ने मैट्रिक की परीक्षाएं फरवरी में आयोजित की थीं. पिछले साल 22 जून को 10वीं का रिजल्ट जारी किया गया था. हो सकता है कि हेवी ट्रैफिक होने के कारण रिजल्ट अपलोड होने में वक्त लगे, इसलिए छात्रों से अनुरोध है कि वह धैर्य बनाए रखें. छात्रों को यह भी सुझाव दिया जाता है कि वह ताजा अपडेट के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर चेक करते रहें.

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ख़बरदार! बिहार बोर्ड का प्रसिद्ध मेट्रिक और इंटर का रिजल्ट बस आने वाला है

बिहार बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के इम्तेहान खत्म हुए हैं. बस अब रिजल्ट आने भर की देरी है. हर साल की तरह इस साल भी ये चर्चा होगी, और फिर अगले साल खराब रिलज्ट आने तक मुल्तबी कर दी जाएगी.
पिछले महीने बिहार बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के इम्तेहान खत्म हुए हैं. बस अब रिजल्ट आने भर की देरी है फिर सभी न्यूज चैनल वाले प्राइम-टाइम में ज्ञाताओं और नेताओं के साथ इस पर समीक्षा करते नज़र आएंगे. ज्ञाता सरकार की कमियों को गिनवाएंगे और नेता विपक्ष पर इस रिज़ल्ट का ठीकरा फोड़ेंगे और होने जाने वाला कुछ भी नहीं है इन चर्चाओं से. एक सप्ताह तक मुद्दा गर्माया रहेगा, आरोप-प्रत्यारोप का खेल चलेगा. कुछ लोग गिरफ़्तार होंगे और कुछ शिक्षा-अध्यक्षों को बर्खास्त किया जायेगा. इन चीजों से टीवी चैनल्स की TRP बनी रहेगी और फिर सब शांत हो जायेगा.
हर साल की तरह इस साल भी ये चर्चा अगले साल खराब रिलज्ट आने तक मुल्तबी कर दी जाएगी.
वैसे इस साल जिन कारणों से ये बोर्ड परीक्षाएं सुर्खियों में रही हैं उनमें से प्रमुख कारण रहे सभी परीक्षा केंद्रों पर कदाचार रोकने से लिए सीसीटीवी कैमरे का लगाया जाना. साथ में परीक्षार्थियों को जूता-मोजा पहन कर परीक्षा केंद्र में न आने के लिए बाध्य करना और 25 छात्रों पर एक परीक्षक का होना.
देखा जाए तो ये सभी कदम स्वागत योग्य हैं क्योंकि बिहार की जो एक छवि बन गयी थी कि वहां के बच्चे चोरी से इम्तेहान पास करते हैं, उस बात को एक तरह से इन प्रयासों द्वारा खंडित करने की कोशिश की गयी है. मगर इन सभी कारणों से दसवीं और बारहवीं मिलाकर लगभग साठ से सत्तर हज़ार विद्यार्थिओं ने परीक्षा नहीं देने का फैसला लिया. ठीक कुछ इसी तरह की खबर उत्तर प्रदेश भी आयी.
अब सोचने के लिए कई मुद्दे हैं, जिन पर विचार और बहस होना चाहिए.
आखिर उन बच्चों ने इम्तेहान देने से अपने हाथ क्यों खींच लिए? क्यों सरकार को ये सीसी टीवी वाला आइडिया परीक्षा के ठीक पहले आया? यही कैमरे अगर साल भर पहले स्कूलों में लगाए गए होते तो आज वो हजारों बच्चें इम्तेहान के डर से घर पर नहीं बैठ जाते.
आज 25 बच्चों पर एक परीक्षक बैठाया गया है अगर यही सरकार पहले सोचती और स्कूलों में शिक्षकों की कमी को समझती तो इतने परीक्षकों की जरुरत ही नहीं पड़ती. ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनपर अगर पहले से विचार किया जाता तो आज ये हजारों बच्चे साल भर के लिए पीछे नहीं जाते.
इन मुद्दों में जो सबसे प्रमुख मुद्दा है, वो है शिक्षकों की कमी और गुणवत्ता का आभाव.
इसको समझने के लिए थोड़ा पीछे जाने की आवश्यता है. जब नितीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने तो अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2005 से 2010 के दौरान कुल 95000 शिक्षकों को बहाल किया. जिनमें हाई-स्कूल के शिक्षकों से लेकर शिक्षामित्र तक शामिल थे. ये बहालियां सिर्फ इस बेसिस पर ली गयीं कि उन्होंने सालों पहले टीचर्स-ट्रेनिंग किया हुआ था.
ये अच्छी बात है कि 95000 बेरोज़गार लोगों को नौकरियां मिलीं मगर उनका व्यवहारिक-ज्ञान कितना था इसकी जांच की जरुरत नहीं समझी गयी. न ही किसी ने ये सोचने की ज़हमत उठाई कि इन 95 हजार लोगों में राज्य की आने वाली नस्लों का भविष्य सौंपा जा रहा है. अगर शिक्षकों में समान्य-ज्ञान तक नहीं है तो सोचिये राज्य की कितनी नस्लें बर्बाद होंगी और हो रही हैं.
खैर, 2014-15 में जब ख़राब रिजल्ट आए तो सरकार को शिक्षकों की बहाली पर हल्का संदेह हुआ. उस संदेह में जांच हुई और पता चला कि इनकी बहाली में धांधली हुई है.
95000 में से 40000 फर्ज़ी डिग्री वाले शिक्षकों का पता चला और ताज्जुब की बात ये है कि बर्खास्त सिर्फ 3000 हजार शिक्षक ही हुए. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इन सरकारी स्कूलों में जो शिक्षा दी जा रही है उसका स्तर क्या है?
ऊपर से कोढ़ में खाज ये कि जो शिक्षक हैं वो स्कूल भी नियमित रूप से नहीं आते. अधिकांश शिक्षकों ने अपने शहर या गांव में तबादला करवा लिया है जहां वो पढ़ाना छोड़ बाकी हर तरह के व्यवसाय में तल्लीन हैं.
सरकार दावा करती है कि राज्य के लिए जो बजट मिल रहा है उसका 20 फीसदी हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में जा रहा है तो फिर परिवर्तन क्यों नहीं दिखाई दे रहा? क्यों छात्र इम्तेहान देने से कतरा रहे हैं?
अब आते हैं दूसरे मुद्दे पर. जब वक़्त पर शिक्षण-समाग्री नहीं उपलब्ध करवाई जाएगी तो पढाई कहां से होगी? राज्य के अन्य जिलों को छोड़ देते हैं, राजधानी पटना की बात करते हैं. पटना में कुल 190 राजकीय विद्यालय हैं जिनमें से लगभग 74 ऐसे स्कूल हैं जिनका अपना भवन नहीं है. अब आप इसी से अंदाजा लगाइये जब स्कूल की इमारत नहीं है. ये 74 स्कूल किसी दूसरे स्कूल के प्रांगण में चलाये जा रहे हैं तो यहां शिक्षकों की कमी का क्या अनुपात होगा. जबकि सरकारी नियम के मुताबिक एक किलोमीटर पर एक प्राथमिक विद्यालय और तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में एक मध्य विद्यालय होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.
जब राजधानी का यह हाल है तो, अन्य जिलों का क्या कहना. साथ ही साथ यह भी बताती चलूं कि कई स्कूलों में आधा सत्र बीत जाने के बाद भी पाठ्य-पुस्तक मुहैया नहीं करवाई जातीं, तो छात्र पढ़ाई कहां से करेंगे?
इन सबके अलावा एक और अहम मुद्दा है जिसको हम अनदेखा नहीं कर सकते हैं वो है अभिवावकों में जागरूकता का अभाव. लेकिन वैसे गलती उन अभिवावकों की भी नहीं है. इन सरकारी स्कूलों में उन अभिवावकों के बच्चे ही पढ़ने जाते हैं या भेजे जाते हैं जिनकी माली हालत खराब हो यानी आर्थिक रूप से जर्जर. दूसरी बात वो स्वयं इतने पढ़े-लिखे भी नहीं होते हैं कि पढाई की महत्ता को समझ सकें. उनके लिए बस पढाई इसीलिए जरुरी है कि थोड़ा पढ़ लेगा तो थोड़ा ज्यादा पैसे कमा लेगा. इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.
मगर वही कुछ अभिवावक अपनी तमाम कमियों से जूझते हुए भी अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने के अलावा ट्यूशन वगरैह की व्यवस्था भी कर देते हैं. अब यहां से बच्चों की ज़िम्मेवारी बनती है कि वो पढाई पर फोकस करें. लेकिन आज जिस तरह से इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ी है अधिकांश बच्चे सही मार्गदर्शन के आभाव में अपने अमूल्य समय को उन चीज़ों में बर्बाद कर रहे हैं.
कुल मिला कर देखा जाये तो स्तिथि बहुत ही चिंताजनक है. सुधार के लिए सरकार को वोट बैंक से निकलकर सोचने की जरूरत है. पहले तो शिक्षकों की रिक्तियों को सही तरीके से भरना चाहिए. फिर जो शिक्षक हैं उन्हें नई चीज़ों की ट्रेनिंग देकर इम्तेहान लेना चाहिए और जो पास करें उन्हें ही आगे नौकरी का हक़ मिलना चाहिए.
ये कोई हंसी-ठट्ठे की बात नहीं है, लाखों विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल है. इन विकट परिस्थितियों में अगर सरकार ये सोचकर निश्चिंत हो रही है कि, हमने कैमरा लगा दिया और कदाचार नहीं हुआ तो हम सफल हो गए, तो शर्मिंदगी से ज्यादा कुछ भी नहीं है.
– अनु रॉय
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13 दिसंबर से भरे जाएंगे बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा के फॉर्म

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) ने इंटर परीक्षा के बाद अब मैैट्रिक परीक्षा 2018 के लिए फॉर्म भरने की तिथि की घोषणा कर दी है|  मैट्रिक वार्षिक परीक्षा-2018 के फॉर्म 13 दिसंबर से भरे जाएंगे। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि 19 दिसंबर तक बगैर किसी विलंब शुल्क तथा 20 से से 22 दिसंबर तक विलंब शुल्क के साथ बोर्ड की वेबसाइट  पर उपलब्ध लिंक पर स्वीकार किए जाएंगे। परीक्षा फॉर्म सूबे के 650 सहज वसुधा केंद्रों के माध्यम से भी भरे जाएंगे। इसकी सूची समिति की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी गई है। वैसे विद्यालयों के प्रधान जो वसुधा केंद्रों से परीक्षा फॉर्म नहीं भरना चाहते हैं, वे समिति द्वारा पूर्व में उपलब्ध कराए यूजर आइडी और पासवर्ड के माध्यम से सीधे फॉर्म भर सकते हैं।

स्क्रूटनी वाले परीक्षार्थियों का शुल्क होगा वापस 

बिहार बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि माध्यमिक वार्षिक परीक्षा-2017 के वैसे अनुत्तीर्ण परीक्षार्थी जिन्होंने स्क्रूटनी के लिए आवेदन दिया है और परिणाम प्राप्त नहीं हुआ है, वे फॉर्म भर सकते हैं। रिजल्ट प्राप्त होने की स्थिति में विद्यालय प्रधान के माध्यम से उनका परीक्षा शुल्क वापस कर दिया जाएगा।

बेटरमेंट वाले परीक्षार्थियों का नहीं होगा नया रजिस्ट्रेशन

वार्षिक परीक्षा 2016 और 2017 में उत्तीर्ण परीक्षार्थी किसी एक अथवा उत्तीर्ण विषयों के प्राप्तांक को समुन्नत करने के लिए नया रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे। उनका फॉर्म पुराने रजिस्ट्रेशन नंबर पर ही स्वीकार किया जाएगा। समुन्नत कोटि के परीक्षार्थियों के लिए पूर्व वर्ष की परीक्षा में चयनित विषय में परिवर्तन का कोई प्रावधान नहीं है।

सात पहले के अनुत्तीर्ण परीक्षार्थी भी भरेंगे फॉर्म 

माध्यमिक वार्षिक परीक्षा 2011 से 2016 तक के पंजीकृत वैसे परीक्षार्थी जो पूर्ववर्ती और अनुत्तीर्ण हैं, वे पूर्व के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर वार्षिक परीक्षा-2018 में शामिल होने के लिए फॉर्म भर सकते हैं। उनके पूर्व अनुत्तीर्ण विषय के अनुरूप ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरा जाएगा।

बिहार बोर्ड ने मैट्रिक और इंटरमीडिएट के परीक्षा पैटर्न सहित एडमिट कार्ड में किया बड़ा बदलाव

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) ने अपनी मैट्रिक व इंटर की परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है। अब मैट्रिक व इंटर के आधे प्रश्‍न ऑब्‍जेक्टिव होंगे, जिनके जवाब ओएमआर शीट पर देने होंगे। शेष 2 और 5 नंबर के होंगे। लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की संख्या कितनी होगी इसकी जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर नवंबर के प्रथम सप्ताह में दी जाएगी।

भाषा विषयों में दीर्घउत्तरीय प्रश्नों के अंक पांच से अधिक हो सकते हैं। निबंध जैसे प्रश्नों के अंक पांच से अधिक होंगे। साइंस और गणित में एक, दो और पांच अंक के ही प्रश्न होंगे।

बोर्ड अध्‍यक्ष के अनुसार परीक्षार्थियों को अधिक अंक प्राप्त हों इसलिए प्रश्नपत्र के पैटर्न में बदलाव किया जा रहा है। कुल लघुउत्तरीय प्रश्नों की संख्या हल किए जाने वाले प्रश्नों से 50 फीसद अधिक होगी। मसलन किसी विषय में 10 लघुउत्तरीय प्रश्नों का जवाब देना है तो प्रश्नपत्र में 15 प्रश्न होंगे। सभी दीर्घउत्तरीय प्रश्नों के दो विकल्प होंगे। इसमें किसी एक का जवाब परीक्षार्थी को देना होगा। विज्ञान के पेपर में वस्तुनिष्ठ, लघु और दीर्घ, तीनों स्तर में न्यूमेरिकल प्रश्नों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इससे परीक्षार्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने में सहूलियत होगी।

इसके साथ ही बिहार इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षा 2018 के एडमिट (प्रवेश-पत्र) कार्ड का डमी निकाला जायेगा| ताकि रजिस्ट्रेशन से लेकर परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान होने वाली त्रुटियों की सुधार डमी एडमिट कार्ड के द्वारा की जा सके| सोमवार को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की अोर से आयोजित प्रेस वार्ता में समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि इस बार परीक्षार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए समिति ने डमी एडमिट कार्ड इश्यू करने का निर्णय लिया है| ताकि परीक्षार्थी के नाम राेल नंबर , फोटो , विषय आदि में किसी प्रकार की त्रुटि हो, तो उसे सुधारा जा सके. डमी डममिट कार्ड की त्रुटि सुधारने के बाद बोर्ड द्वारा फाइनल एडमिट कार्ड इश्यू किया जायेगा|

 

बिहार बोर्ड ने कर दिया था फेल, जिद पर रही अड़ी तो टॉप-10 में हुई शुमार, कोर्ट ने बोर्ड पर लगाया जुर्माना

सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सिटानाबाद पंचायत के छोटे से गांव गंगा प्रसाद टोले की प्रियंका सिंह ने अपनी जिद और आत्मविश्वास के दम पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को आइना दिखा दिया| दरअसल बोर्ड द्वारा मैट्रिक की परीक्षा में फेल घोषित कर दी गई प्रियंका ने हाईकोर्ट में चुनौती दी| जांच में बोर्ड के बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ|

प्रियंका परीक्षा में सिर्फ पास ही नहीं घोषित गई, बल्कि प्रथम श्रेणी से राज्य भर में दसवां स्थान भी पाया| इस मामले में कोर्ट ने बिहार बोर्ड को पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया|

ये मामला 2017 के मैट्रिक की परीक्षा का है, जिसमें 10वीं की परीक्षार्थी प्रियंका सिंह को परीक्षाफल में फेल घोषित किया गया है| प्रियंका को विज्ञान में 29 अंक और संस्कृत में महज 4 अंक मिले| प्रियंका सिंह ने पुनर्मूल्यांकन के लिए चैलेंज किया, लेकिन पुनर्मूल्यांकन में भी वही स्थिति रही| उसे विज्ञान में इस बार 7 और संस्कृत में 9 अंक मिले|

प्रियंका ने न्याय के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया| कोर्ट ने पहली सुनवाई में कहा कि अगर छात्रा का आरोप गलत हुआ तो 40 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगेगा| कोर्ट के इस शर्त पर छात्रा तैयार हो गई| कोर्ट के आदेश पर उसने 40 हज़ार जमा कर दिए|

कोर्ट के आदेश पर जब याचिकाकर्ता की कॉपी कोर्ट में पेश की गईं, तो कापी में हैंडराइटिंग अलग पाई गईं| दरअसल वो कॉपी याचिकाकर्ता की थी ही नहीं| अदालत के सख्त निर्देश पर जब मूल कॉपी पेश की गई तो उसकी जांच हुई| छात्रा को विज्ञान में 80 और संस्कृत में 61 अंक मिले| इस पर कोर्ट ने बिहार विद्यालय समिति पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है|

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अधिकारियों के मुताबिक गलत बार कोडिंग की वजह से ये गड़बड़ी हुईं| प्रियंका सिंह की कोडिंग किसी दुसरी छात्रा के नाम हुई थी| बोर्ड ने बार कोडिंग करने वाले एजेंसी पर एफआईआर दर्ज करा कर सारा ठीकरा उसी पर फोड़ दिया|

तीन महीने में खाता में राशि जमा कराने का आदेश 

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि छात्रा प्रियंका और उसके अभिभावक को इस मामले के कारण मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है, इसलिये 5 लाख रुपए की राशि अगले तीन महीने में उनके खाते में जमा की जाए|

प्रियंका की जिद ने बोर्ड के सबसे बड़े घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया और अपनी प्रतिभा का परचम लहराया|

बिहार बोर्ड में होगी कर्मचारियों की बहाली, ऐसे करें आवेदन…।

बिहार स्कू्ल एग्जामिनेशन बोर्ड (बिहार बोर्ड )के उच्च प्रभाग (inter counseling ) में कर्मियों की कमी दूर करने के लिए 60 M.T.S (मल्टी टॉस्किंग स्टाफ) की संविदा पर बहाली को शासी निकाय ने हरी झंडी दे दी है।

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग के निर्देश पर 187 तदर्थ कर्मी कार्यमुक्त किए गए हैं। इस कारण कार्य निष्पादन में परेशानी हो रही है। संविदा पर बहाली की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर ली जाएगी।

स्नातक और डीसीए (डिप्लोमा इन कंप्यूटर अप्लिकेशन) योग्यताधारी ही आवेदन कर सकते हैं। एससी और एसटी अभ्यर्थी के लिए आवेदन शुल्क 100 रुपये तथा अन्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए 400 रुपये है। शुल्क ऑनलाइन ही स्वीकार किया जाएगा।

लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद अभ्यर्थियों को कंप्यूटर दक्षता परीक्षा भी देनी होगी। सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों की उम्र सीमा 21 से 37 साल, महिलाओं, अतिपिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के लिए 40 तथा एससी व एसटी के लिए 42 साल निर्धारित है।

गुरुवार को शासी निकाय की आपातकालीन बैठक में इसके लिए 25 अगस्त से 11 सितंबर के बीच ऑनलाइन आवेदन बोर्ड की वेबसाइट (www.bsebbihar.com) तथा (www.srsec.bsebbihar.com) पर स्वीकार किए जाएंगे।  

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बिहार बोर्ड: मैट्रिक और इंटर के परीक्षा पैटर्न में हुआ बड़ा बदलाव, जानें क्या होगा नया पैटर्न

सीबीएसई की तर्ज पर बिहार बोर्ड के छात्रों को भी ज्यादा अंक मिल सके इसलिए बिहार बोर्ड ने मैट्रिक व इंटर के परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने का फैसला लिया है । अगले साल होनेवाली वार्षिक परीक्षा नए पैटर्न पर होगी। बिहार बोर्ड के प्रश्नों में अब ऑब्जेक्टिव प्रश्न, सेमी ऑब्जेक्टिव प्रश्न ज्यादा होंगे और सब्जेक्टिव प्रश्न कम होंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा अंक मिले।

 

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि प्रश्नों के पैटर्न बदलने पर काम चल रहा है। इसे स्टूडेंट फ्रेंडली बनाया जाएगा। प्रश्नों का पैटर्न क्या हो, इसके लिए सीबीएसई, आईसीएसई समेत देश के अन्य राज्य के बोर्डों के प्रश्नों के पैटर्न का अध्ययन किया जा रहा है। इसके बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने भी प्रश्नों के पैटर्न बदलने का निर्देश दिया गया था, ताकि छात्रों को अंक ज्यादा आएं।

गौतरलब है की इस साल इंटर का रिजल्ट बहुत खराब हुआ था। 65% छात्र फेल हो गए थे। मैट्रिक में भी ग्रेस देने के बाद 50% छात्र ही पास हो सके थे जिसके बाद स्कूलों की व्यवस्था पर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगे थे। बिहार बोर्ड में मैट्रिक व इंटर को मिलाकर 30 लाख छात्र शामिल होते हैं।

मॉडल प्रश्न पत्र भी पहले होगा उपलब्ध : मैट्रिक और इंटर के प्रश्नों के प्रारूप में बदलाव के अलावा छात्रों को मॉडल प्रश्न पत्र का कई सेट वेबसाइट पर पहले ही उपलब्ध करा दिया जाएगा। ताकि छात्र पहले से ही बेहतर तरीके से तैयारी कर सकेंगे।

 

मूल्यांकन के लिए परीक्षकों को भी ट्रेनिंग :

प्रश्नपत्र के पैटर्न बदलने के साथ- साथ बिहार बोर्ड परीक्षकों को भी बेहतर तरीके से मूल्यांकन के लिए ट्रेनिंग देगा। स्टेपवाइज मूल्यांकन किया जाएगा। यदि जवाब गलत है पर पहला और दूसरा स्टेप सही है तब भी नंबर मिलेगा। अब शिक्षकों को नंबर काटने की बजाय देने की प्रवृत्ति विकसित करने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

 

बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि परीक्षा में अब पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी ही सफल होंगे।कदाचार के सभी रास्ते बंद होंगे। इसके साथ- साथ छात्र अधिक अंकों से उत्तीर्ण हों, इसके लिए मैट्रिक और इंटर के प्रश्नपत्र के पैटर्न में बड़े स्तर पर बदलाव किया जाएगा। बोर्ड की कमेटी इसके लिए सीबीएसई, आइसीएसई, विभिन्न राज्यों के बोर्ड के साथ- साथ विकसित देशों के स्कूली परीक्षा पैटर्न की समीक्षा कर रही है।