bhojpuri poem on migrants workers

Bhojpuri Poem: मत रोकी जाय दिही, बुलावता हमार अपना गाँव हो

"मत रोकी जाय दिही, बुलावता हमार अपना गाँव हो" केतना बरिस से लोगन के, हमनी…