विश्व स्तर पर रिलीज़ होगी भोजपुरी फिल्म पपिहरा, विदेशी कलाकारों ने भी किया है काम

हाल ही में दिल्ली में आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मलेन में भोजपुरी फीचर फिल्म पपीहरा का पोस्टर रिलीज़ किया गया| पपीहरा भोजपुरी फिल्मों की भीड़ से कुछ अलग प्रयास है| यह एक पूर्ण पारिवारिक कहानी पर बनी फिल्म है| इस फिल्म में भारतीय कलाकारों के आलावा विदेशी कलाकारों ने भी काम किया है|

फिल्म की एक मुख्य अभिनेत्री इरिना ब्लांच रूस की हैं तो गायक और संगीतकार राजमोहन नीदरलैंडसे हैं|

राजमोहन बिहार और उत्तर प्रदेश से १५० साल पहले सूरीनाम और मारीशस ले जाये गए गिरमिटिया मजदूरों के वंशज हैं| राजमोहन ने पपीहरा में संगीत भी दिया है और गाना भी गाया है| पपीहरा भोजपुरी की पहली फिल्म होगी जो विश्व स्तर पर रिलीज़ होगी| यह भारत के आलावा नीदरलैंड ,मारीशस और सूरीनाम में भी रिलीज़ होगी|

पपीहरा को सीनू मोहंती ने निर्देशित किया है तो वही सतेन्द्र नारायण सिंह और देवेन्द्र सिंह इस फिल्म के प्रोडूसर हैं| इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में राजू उपाध्याय, बीर बहादुर सिंह, इरिना ब्लांच, चांदनी सिंह, सुगंधा, विशाल, ओ.पी पांडेय और विकेश सिंह हैं|

इस फिल्म के गानों को आशीष, राजमोहन और छोटे बाबा ने संगीतबद्ध किया है तो प्रसिद्ध गायक राजमोहन ,प्रभाकर पाण्डेय ,प्रतिमा योगी, विकेश सिंह और रीमा नुपुर ने अपनी आवाज दी है| पपीहरा फिल्म में कुल पांच गाने हैं| ये फिल्म साल २०१९ के सितम्बर तक रिलीज़ के लिए तैयार हो जाएगी|

पपीहरा एक रोमांटिक फैमिली ड्रामा फिल्म है| ये पुरे परिवार के साथ देखे जाने वाली साफ सुथरी फिल्म है| पपीहरा आजकल के भीड़-भार वाली भोजपुरी फिल्मों से अलग है| इस फिल्म में रोमांस, भावना, उसूल, अंतर्द्वंध, करुणा, प्रेम और विरह सब कुछ देखने को मिलेगा| कुल मिलकर यह एक पूर्ण पारिवारिक मनोरंजक फिल्म है|

मानस मोहंता इस फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर है वही राकेश विक्रम और बिष्णु कुमार इस फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर हैं| पपीहरा की शूटिंग बिहार और गोवा के अलग अलग लोकेशन पर हुई है|

Pff: भगीरथ बन बिहारी फिल्म उद्योग में जान फूंक गए गंगा कुमार

फ़िल्में, फ़िल्मी सितारे, अवार्ड्स और प्रेस! अमूमन फ़िल्म फेस्टिवल्स में यही तो होते हैं| इनसब के साथ जब जज्बात, संभावनाएँ और यादें जुड़ जाती हैं तो बन जाता है ‘पटना फ़िल्म फेस्टिवल’| शायद इन्हीं तमाम चीजों का संगम न हो सका था तभी तो 2007 से शुरू हुए पटना फ़िल्म फेस्टिवल की इतनी व्यापक चर्चा न ही मीडिया में हुई, न फ़िल्मी गलियारे में और न जनता के बीच| ये पहली मर्तबा था जब बिहार ने किसी फ़िल्म फेस्टिवल को इतने करीब से देखा और इसकी सफलता का साक्षी बना| बिहार के तमाम ‘सोशल मीडिया साइट्स’ पर छाया रहा यह और यहाँ छाए रहे बिहार के ‘सोशल मीडिया साइट्स’|

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‘हमारा बिहार, जय बिहार’ की थीम के साथ शुरू हुए इस महोत्सव की सफलता का आकलन हम इसी बात से कर सकते हैं कि कोई मकाऊ में अपने फ़िल्म की स्क्रीनिंग छोड़ कर पटना की फ्लाइट पकड़ लेता है तो कोई मराठी बोलते-बोलते अपनी आने वाली भोजपुरी फिल्म के प्रमोशन के लिए इस बिहार आना स्वीकार करता है| कोई इमोशनल होकर मन की बात कह जाता है तो कोई गर्व महसूस करता है यहाँ की बदली तस्वीर देखकर| पद्मविभूषण से सम्मानित नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह 20 साल बाद अपनी प्रस्तुति के साथ पटना आईं|
बिहार के लिए तो ये नई बात थी ही, यहाँ आये तमाम सितारों ने कुबूला कि यहाँ आना उनके लिए भी सुखद और नया अनुभव था| जमीं से जुड़े सितारों ने अपने पुराने दिनों को याद किया, और यादें ताज़ा करने के लिए पटना से दूर भी निकल पड़े|
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आईएएस और बिहार राज्य फ़िल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार के प्रयासों की जितनी सराहना की जाये, कम है| उनके प्रयासों के कारण ही यह ‘फ़िल्म फेस्टिवल’ इतना बड़ा बना और सबकी नज़र में आया|

गंगा कुमार

गंगा कुमार

उम्मीद है बिहार की बदलती तस्वीर में सिनेमा का एक नया रंग भरेगा और इसकी खूबसूरती बढ़ाएगा| सरकार आगे भी ऐसे ‘सांस्कृतिक आयोजनों’ के जरिये लोगों को अपनी जमीं से जुड़ने का मौका देती रहेगी|
और क्या-क्या हुआ इस बीच और क्या-क्या कहा इन सितारों ने अपने बिहार के लिए, क्षेत्रिय भाषा में बनने वाली फिल्मों के लिए, इसकी तमाम जानकारी आपतक ‘अपना बिहार’ के माध्यम से अंकित कुमार वर्मा और अनुपम पटेल लाते रहे हैं|

आज प्रस्तुत है पटना में हुए सात दिवसीय ‘पटना फ़िल्म फेस्टिवल’ में सितारों के उद्गार की कुछ झलकियाँ-

  • -> रविन्द्र भवन में हुए ‘ओपन हाउस डिबेट’ में अभिनेता ‘कुणाल सिंह’ कहते हैं- “भोजपुरी एक मजबूत भाषा है, जो दुत्कार के बाद भी जिंदा है| हिंदी सिनेमा में एक दौर ऐसा था कि उन्होंने भोजपुरी को बाजार बनाकर उपयोग किया, लेकिन हम पिछड़ गए| भोजपुरी सिनेमा की दूसरी बड़ी समस्या थिएटर भी है, जो निम्न स्तर के होते हैं| इसलिए एक बड़ा वर्ग भोजपुरी फिल्मों के लिए थिएटर नहीं जाता है| बिहारी होने पर गर्व कीजिए आपकी भाषा (भोजपुरी) बहुत मजबूत है| हिंदुस्तान में हिंदी के बाद सबसे ज्यादा बोली भाषा है| अपने संस्कृति और रीति-रिवाज से प्यार कीजिए इसे जिंदा रखिये और अश्लीलता को बिलकुल नकारिये|”
  • -> ‘अंजनी कुमार’ युवाओं पर उम्मीद जताते हुए कहते हैं- “भोजपुरी फिल्मों के विकास के लिए आज साहित्य, थिएटर और सिनेमा पर विशेष ध्यान देना होगा| युवा फिल्म मेकर शॉर्ट और डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाकर यूट्यूब के जरिए भी भोजपुरी सिनेमा को आगे ले जा सकते हैं|”
  • -> भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार कहे जाने वाले अभिनेता ‘रवि किशन’ प्रेस वार्ता के दौरान भावुक हो गये| उन्होंने गंगा कुमार को भोजपुरी सिनेमा का भागीरथ बताया| भोजपुरी सिनेमा की खामियाँ बताते हुए वो कहते हैं- “भोजपुरी कलाकारों और डायरेक्टरों में एकता की कमी है। ज्यादातर कलाकार अशिक्षित हैं जिस कारण भोजपुरी का स्तर गिरा है। इसके लिए मैं सबमें अपने स्तर से एकता लाने की कोशिश करूँगा। भोजपुरी में कहानी नहीं होने से उसका ग्रोथ रुक गया है। फिल्मों में बस नाच गाना और व्लगैरिटी दिखा कर पैसे बटोरे जा रहें है। भोजपुरी में बिरसा मुंडा, कुवंर सिंह पर फिल्में बनेंगी। मैं भोजपुरी को नेशनल अवार्ड दिलाना चाहता हूं। भोजपुरी इंडस्ट्री में जुनून, जज्बा तो हैं, मगर सपोर्ट और संसाधन नहीं है। हमारी फ़िल्म को मल्टीप्लेक्स में सहित अच्छा सिनेमा नहीं मिलते। दूसरी भाषाओं में भोजपुरी से ज्यादा फूहड़ फिल्में बनती हैं लेकिन कोसा भोजपुरी को ही जाता है। जबकि दूसरी भाषा की फिल्मों को कला के नजरिए से देखा जाता है। भोजपुरी में अच्छी फिल्म भी बन रही हैं फिर भी मैं भोजपुरी उद्योग में फैली गंदगी को दूर करने के लिए मोर्चा खोलूंगा।“ उन्होंने निवेदन भी किया कि भोजपुरी में बन रही एल्बम को भोजपुरी एंडस्ट्री ना जोड़ें।
  • -> फिल्म निर्माता ‘मोनिका सिन्हा’ ने कहा- “अश्लील फिल्मों को बिलकुल नकारिये, दर्शकों को इसके खिलाफ स्ट्रांग होना होगा| जबतक आप स्ट्रांग नही होंगे हम कुछ नही कर सकते| ऐसे फिल्मों से समाज पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है| इससे हमारा समाज सौ कदम पीछे जा रहा है| सरकार को भी इसपर ध्यान देना होगा| सरकार शराबबंदी को तरह अश्लील फिल्मों पर रोक लगाये|”
  • -> डायरेक्टर ‘आनंद गहतराज’ ने कहा- “हमारें यहां भी अच्छी फिल्में है। हमें बस उसे सही प्लेटफार्म तक पहुँचाना है।“
  • -> निर्देशक व विधायक ‘संजय यादव’ कहते हैं- “भोजपुरी में अधिकतर शब्द दो अर्थी होते हैं, लेकिन हम उसे गलत रूप से सोचते हैं। बिहार के प्रति डायरेक्टरों का झुकाव हुआ है। आने वाले दिनों में कई भोजपुरी फिल्म की शूटिंग बिहार में होगी|”
  • -> ‘नीरज घेवन’ बिहार में शूटिंग करने की स्वीकारोक्ति देते हुए कहते हैं- “हम बिहार में शूटिंग के तैयार है ये जरुरी नहीं हैं कि हम बिहार में शूटिंग के लिए पर्यटन स्थल को ही चुनें। मीडिया को बिहार की अच्छी छवि दिखानी होगी। मुम्बई में लोगों के बीच गलत छवि पेश की गई है। जबकि बिहार प्रोफेशनल राज्य है। यहाँ वैसा कुछ नहीं हैं|”
  • -> दिलवाले, शिवाए समेत कई बड़ी फिल्मों में एक्टिंग कर चुके अभिनेता ‘संजय मिश्रा’ कहते हैं- “अभिनेता संजय मिश्रा कहा कि बिहार के पास कोई अपना स्लोगन नहीं है जैसे राजस्थान का स्लोगन है पधारो म्हारे देश। यहाँ स्लोगन की सख्त जरुरत है, बिना बुलाये आपके यहाँ आकर कोई शूटिंग नहीं करेगा। फिलहाल ही एक फिल्म की शूटिंग में बिहार को दर्शाने के लिए 1 करोड़ खर्च कर बिहार का सेट बनाया गया था| क्षेत्रीय फिल्मों के विकास में सरकार बड़ी भूमिका निभा सकती है| फिल्मों के विकास के लिए कॉरपोरेट की बड़ी जरूरत है लेकिन सिर्फ ‘जय बिहार’ कहने भर से निर्माता बिहार में आकर फिल्म नहीं बनायेंगे बल्कि वैसा माहौल बनाना होगा| सही माहौल बना तो बिहार में फिल्में जरुर बनेंगी| पटना फिल्म फेस्टिवल एक शानदार पहल है|”
  • -> भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता पर जवाब देते हुए भोजपुरी सुपरस्टार ‘दिनेश लाल यादव’ ने कहा- “यह सही है की कुछ लोगों ने यहाँ अश्लील फिल्मे बनायी और इस बात को मै नही नकार सकता हूँ। ऐसे लोगों को पता ही नहीं था की भोजपुरी क्या है, भोजपुरी की कल्चर क्या है, यहाँ के लोगों की चाहत क्या है| ऐसे फिल्म बनाने बनाने वालों का जबर्दस्त नुकसान हुआ, वैसे बड़े-बड़े बैनर आये और चले गए| आज भोजपुरी सिनेमा में वही लोग कार्यरत हैं जो अच्छी फिल्मे बना रहे हैं, यहाँ के रहन सहन को जानते हैं| भोजपुरी फिल्मों में वही फिल्म सफल हो पाती है जो फिल्म पुरे परिवार के साथ देखा जा सकता है| भोजपुरी फिल्मों में काफी बदलाव हुआ है और आगे भी होगा| आज भोजपुरी फिल्म सिर्फ बिहार और यूपी तक सीमित नही है, देश के हर प्रांत में भोजपुरी फिल्मे चल रही है|”

 

  • -> ‘जब वी मेट’ और ‘हाइवे’ जैसी फिल्मों के निर्देशक ‘इम्तियाज अली’ कहते हैं- “इंसान की बुद्धि का सबसे ज्या‘द विकास बिहार में होता है। ऐतिहासिक परिदृश्यन में भी जो लोग बिहार से हुए हैं, वे काफी प्रभावित करते हैं|”
  • -> यहाँ ‘बिहार रत्न’ के सम्मान से नवाजे जाने के बाद मशहूर अभिनेता मनोज वाजपेयी ने कहा- “मनोरंजन सिर्फ नाच गाना नहीं होता, मनोरंजन अच्छी कहानी और अच्छी फिल्में भी होती हैं। दो दशकों से हम ये लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दिनों किसी ने मेरी फिल्म बुधिया सिंह और अलीगढ को मनोरंजक नहीं कहा। तब मुझे लगा कि मुझे अपनी लड़ाई और लड़नी है। ये फिल्में बच्चों के विकास में बाधक नहीं हैं। इन फिल्मों को देख कर बच्चे अपने भविष्य को सवार सकते हैं। बाधा तो वो फिल्मे हैं, जो बच्चों को समाज से अलग करता है। थियेटर करने की चाहत में पढ़ायी के बहाने पटना छोड़े 30 साल हो गए। इस दौरान यहां कोई ऐसा बड़ा आयोजन होते नहीं देखा था। पटना में कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम करना मुश्किल होता था और काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन पटना फिल्म फेस्टिवल के इतने बड़े आयोजन को देख कर गर्व महसूस हो रहा है। फिल्म फेस्टिवल दर्शकों से, समाज से, फिल्मकारों के समाज से संवाद स्थापित करने का एक कारगर साधन है। फिल्मों को लेकर छोटे शहरों सिनेमा के प्रति नजरिया बदला है, वो काफी सराहनीय है। इसलिए मैंने बड़े शहरों की और देखना बंद कर दिया है|”

  • -> नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह कहती हैं- “बिहार सांस्कृतिक रूप से फिर से उभर कर सामने आ रहा है। बिहार से मेरे पुराने संबंध रहे हैं। मैं 20 साल बाद यहां अपनी प्रस्तुति दे रही हूं। बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार का ने एक अनूठा प्रयोग किया है, जो सराहनीय है। अमूमन फिल्म महोत्सव के समापन सत्र फिल्मों के नृत्य से संपन्न होता है, लेकिन यहां समापन मेरे नृत्य से हो रहा है। बिहार बोध सर्किट में आता है। अगर यहां एक बुद्धिस्टि फिल्म फेस्टिवल का भी आयोजन होता, तो ये राज्य और पर्यटन के लिहाज से भी हितकारी होगा|”
  • -> अभिनेत्री सारिका ने भी फिल्म फेस्टिवल की सराहना की और कहा- “ऐसे आयोजन लगातार होते रहने चाहिए|”
  • -> आपन बिहार के फेसबुक पेज पर लाइव आये अभिनेता पंकज त्रिपाठी जी कहते हैं- “बिहार की छवि बदल रही है| इस आयोजन से फिल्मकार बिहार की नई छवि लेकर जा रहे हैं| संभावना है बिहार को लेकर अच्छी फ़िल्में भी बनेंगी|”

-> आईएएस ‘गंगा कुमार’ ने परिचर्चा में शामिल होते हुए कहा- “सरकार अपनी नई फिल्म नीति के तहत फिल्म मेकर्स को हर वो बेसिक चीजें उपलब्ध कराएगी, जिनकी उनको जरूरत है|”

Pff: पटना फिल्म फेस्टिवल में मनोज वाजपेयी को मिला पहला बिहार रत्न सम्मान

9 दिसंबर से शुरू पटना फिल्म फेस्टिवल 2016 का समापन आज पद्म विभूषण डॉ सोनल मानसिंह के परफॉर्मेंस के साथ हो गया। इसमें हिन्दी के साथ भोजपुरी, मैथली, मगही और अंगिका का प्रदर्शन किया गया। पटना रविन्द्र भवन में आयोजित समापन समारोह में बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड व कला, संस्कृति और युवा विभाग की तरफ से पहला बिहार रत्न सम्मान पुरस्कार शुरू किया गया। पटना फिल्म एवं वित्त निगम की तरफ से इसके लिए अभिनेता मनोज वाजपेयी को यह सम्मान मिला।

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इस मौके पर मनोज वाजपेयी ने कहा कि मनोरंजन सिर्फ नाच गाना नहीं होता, मनोरंजन अच्छी कहानी और अच्छी फिल्मेंं भी होती है। दो दशकों से हम ये लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दिनों किसी ने मेरी फिल्म बुधिया सिंह और अलीगढ को मनोरंजक नहीं कहा। तब मुझे लगा कि मुझे अपनी लड़ाई और लड़नी है। ये फिल्में बच्चों के विकास में बाधक नहीं हैं। इन फिल्मों को देख कर बच्चे अपने भविष्य को सवार सकते हैं। बाधा तो वो फिल्मे हैं, जो बच्चों को समाज से अलग करता है। उन्होंने कहा कि थियेटर करने की चाहत में पढ़ायी के बहाने पटना छोड़े 30 साल हो गए। इस दौरान यहां कोई ऐसा बड़ा आयोजन होते नहीं देखा था। पटना में कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम करना मुश्किल होता था और काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। लेकिन पटना फिल्म फेस्टिवल के इतने बड़े आयोजन को देख कर गर्व महसूस हो रहा है। फिल्म फेस्टिवल दर्शकों से, समाज से, फिल्मकारों के समाज से संवाद स्थापित करने का एक कारगर साधन है। फिल्मों को लेकर छोटे शहरों सिनेमा के प्रति नजरिया बदला है, वो काफी सराहनीय है। इसलिए मैंने बड़े शहरों की और देखना बंद कर दिया है।

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समापन समारोह के दौरान पद्म विभूषण डॉ सोनल मानसिंह ने कहा कि बिहार सांस्कृतिक रूप से फिर से उभर कर सामने आ रहा है। बिहार से मेरे पुराने संबंध रहे हैं। मैं 20 साल बाद यहां अपनी प्रस्तुति दे रही हूं। बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार का ने एक अनूठा प्रयोग किया है, जो सराहनीय है। अमूमन फिल्म महोत्सव के समापन सत्र फिल्मोंं के नृत्य से संपन्न होता है, लेकिन यहां समापन मेरे नृत्य से हो रहा है। उन्होंने बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड को ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि बिहार बोध सर्किट में आता है। अगर यहां एक बुद्धिस्टि फिल्म फेस्टिवल का भी आयोजन होता, तो ये राज्य और पर्यटन के लिहाज से भी हितकारी होगा।

अभिनेत्री सारिका ने भी फिल्म फेस्टिवल की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजन लगातार होते रहने चाहिए। इससे पहले बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड गंगा कुमार ने कार्यक्रम में आए अतिथियों को फूल गुच्छ, शॉल और मोमेंटे देकर सम्मानित किया। समापन समारोह में साहित्यकार उषा किरण खान, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकार त्रिपुरारी शरण, अभिनेत्री व पटना फिल्म फेस्टिवल में ज्यूरी हेड सारिका, ज्यूरी मेंबर फरीदा मेहता व परेश आमदार,पूर्व आईएएस आरएन दास, बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम की विशेष कार्य पदाधिकारी शांति व्रत भट्टाचार्य, अभिनेता विनीत कुमार, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, फिल्म फेस्टिवल के संयोजक कुमार रविकांत, मीडिया प्रभारी रंजन सिन्हा आदि उपस्थित रहे।

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वहीं, समापन समारोह के दौरान फिल्म विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए स्व अशोकचंद जैन, मोहनजी प्रसाद, राकेश पांडेय, विशुद्धानंद, कुणाल सिंह, विजय खरे, किरण कांत वर्मा, सुनील प्रसाद, जीतेन्द्र सुमन, अभय सिंह, प्रेमलता मिश्रा और कुणाल बैकुंढ़ सिंह को निगम के एमडी श्री गंगा कुमार द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अलावा फिल्म फेस्टिवल के दौरान आयोजित फिल्म क्रिटिक प्रतियोगिता में पहले स्थान पर पटना कॉलेज की छात्रा तसलीम फातिमा, दूसरेे स्थान पर पटना कॉलेज के ही उज्जवल कुमार और तीसरे स्थान पर संत जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैंनेजमेंट, पटना के रविरंजन रहे। वहीं, बख्यितयारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना की नेहा कुमारी चौथे और संत जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैंनेजमेंट अस्मित नंद ने पांचवां स्थान हासिल किया।
बता दें कि पटना फिल्म फेस्टिवल 2016 में कंपीटिशन और आईएफएफआई पैनोरमा की कुल 20 फिल्मों का प्रदर्शन रीजेंट सिनेमा में हुआ, जबकि रविंद्र भवन के हॉल एक में भोजपुरी की 14, मैथिली की तीन, मगही और अंगिका की एक – एक फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। इसके अलावा छह डॉक्यूमेंट्री और 21 शॉट फिल्में रविंद्र भवन के हॉल दो में दिखाई गई। पटना फिल्म फेस्टिवल 2016 में खासतौर पर विभिन्न विषयों पर परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। इसमें बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी हस्तियों ने शिरकत किया।

इन्हें मिला अवार्ड:-

Best Short Film – Days Of Autumn

Best Documentary – Sax in the City

Special Jury Award (Documentary) – Juitiya

Best Actor (Feature Film) – Moksha Hunter (Film – Head Hunter)

Best Actress (Feature Film) – Urmila Mahanta (Film – Bokul)

Best Director (Feature Film) – Manish Mitra (Film– Le Lotta)

Best Feature Film – Le Lotta,

Special Jury Award – Juitiya

Special Jury Award For Ensemble Cast – Le Lotta

Best Scriptwriter (Feature Film)-
1. Ripak Das
2. Nayanita Sen Datta 3.Nilanjan Datta (Film- Head Hunter)

यह अभिनेता मकाऊ फिल्म फेस्टिवल को छोड़कर पटना फिल्म फेस्टिवल में सामिल हुए

पटना फिल्म फेस्टिवल में गुरुवार को रीजेंट में सुलतान और इग्लीश फिल्म मैंगो ड्रीम्स का प्रदर्शन किया गया। वहीं, रविंद्र भवन के दूसरे स्क्रीन पर भोजपुरी फिल्म जिंदगी है गाड़ी सैया ड्राइवर – बीवी खलासी, दूल्हा और धरती मैया दिखाई गई।

पटना फिल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन रीजेन्ट में फिल्म एवं वित्त निगम के गंगा कुमार, फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी मौजूद रहे। गैग्स ऑफ वासेपुर, नील बट्टे सन्नाटा जैसी फिल्म और कई टीवी सिरियल में प्रमुख भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी मकाऊ फिल्म फेस्टिवल को छोड़कर पटना फिल्म फेस्टिवल में आये।Pankaj tripathi pff

पंकज त्रिपाठी ने कहा कि मकाउ में मेरी फिल्म गुड़गांव की स्क्रीनिंग है, इसके बाद बर्लिन में भी दिखाई जाएगी। इससे ये साबित होता बिहार की प्रतिभा को इंटरनेशनल लेवल पर सम्मान मिल रहा है। मुझे बिहारी होने पर गर्व है, मैं मकाउ फिल्म फेस्टिवल छोड़कर अपनो के बीच पटना फिल्म फेस्टिवल में आया। उन्होंने कहा कि बिहार हमेशा से मुझे वापस खींचता है। मैं देश-विदेश कहीं भी रहूं अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता हूं। मैं नौकरी नहीं करना चाहता था इसलिए मैं थियेटर से जुड़ा। हालांकि बाद में आगे कोई स्कोप ना देखकर मैंने होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर शेफ का भी काम किया। लेकिन अपने एक्टिंग मोह को ना छोड़ सका और वापस फिल्म और सीरियल की दुनिया में चला गया।

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उन्होंने कहा कि बिहार की छवि को क्राइम जेनेरेटेड स्टेट का बना दिया गया है। यहां के लोगों में जो प्रतिरोध की क्षमता है उसे निगेटिव रूप में प्रचारित किया गया है। फिल्मकार बिहार की उसी बनी-बनाई छवि को सच मान बैठे हैं। पैनल डिस्कशन में पंकज त्रिपाठी के साथ रामगोपाल बजाज, पुंज त्रिपाठी, अविनाश दास मौजूद थे।

भोजपुरी फिल्म को नेशनल अवार्ड तक ले जाऊंगा- रवि किशन

रविन्द्र भवन में चल रहे पटना फिल्म फेस्टिवल का “आपन बिहार” लगातार लाईव अपडेट्स आपको दे रहा है। आपन बिहार के तरफ अंकित कुमार वर्मा फिल्म फेस्टिवल को कवर कर रहें है।

 

मंगलवार को अभिनेता रवि किशन, फिल्म एवं वित्त निगम के एमडी गंगा कुमार, डायरेक्टर आनंद गहतराज, विमल झा, निर्देशक व काराकाट विधायक संजय यादव और निराला ने भोजपुरी फिल्म एवं उसके उत्थान की बातें की।

रवि किशन ने फिल्म फेस्टिवल की तारिफ करते हुए गंगा कुमार को फिल्म जगत का भगीरथ बताया। भोजपुरी फिल्मों को दिखाने के लिए एक स्टेज देने पर गंगा कुमार का धन्यवाद किया। साथ ही भोजपुरी के उत्थान के लिए अपने स्तर से काम करने की बात की।

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रवि किशन ने भोजपुरी की छवि सुधारने की बात कही। उन्होंने कहा कि भोजपुरी सिनेमा के स्तर को नेशनल अवार्ड तक ले जाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि भोजपुरी कलाकारों और डायरेक्टरों में एकता की कमी है। ज्यादातर कलाकार अशिक्षित है जिस कारण भोजपुरी का स्तर गिरा है। इसके लिए मैं सबमें अपने स्तर से एकता लाने की कोशिश करुंगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी में कहानी नहीं होने से उसका ग्रोथ रुक गया है। फिल्मों में बस नाच गाना और व्लगैरिटी दिखा कर पैसे बटोरे जा रहें है। भोजपुरी में बिरसा मुंडा, कुवंर सिंह पर फिल्में बनेगी। मैं भोजपुरी को नेशनल अवार्ड दिलाना चाहता हूं। भोजपुरी इंडस्ट्री में जुनून, जज्बा तो हैं, मगर सपोर्ट और संसाधन नहीं है। हमारी फ़िल्म को मल्टीप्लेक्स में सहित अच्छा सिनेमा नहीं मिलते। उन्होंने कहा कि दूसरी भाषाओं में भोजपुरी से ज्यादा फूहड़ फिल्में बनती है लेकिन कोसा भोजपुरी को ही जाता है। जबकि दूसरी भाषा की फिल्मों को कला के नजरिए से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी में अच्छी फिल्म भी बन रही हैं फिर भी मैं भोजपुरी उद्योग में फैली गंदगी को दूर करने के लिए मोर्चा खोलूंगा। उन्होंने निवेदन भी किया कि भोजपुरी में बन रही एल्बम को भोजपुरी एंडस्ट्री ना जोड़े।

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डायरेक्टर आनंद गहतराज ने कहा कि हमारें यहां भी अच्छी फिल्में है। हमें बस उसे सही प्लेटफार्म तक पहुंचना हैं।

निर्देशक व विधायक संजय यादव ने कहा कि भोजपुरी में अधिकतर शब्द दो अर्थी होते है लेकिन हम उसे गलत रूप से सोचते है। बिहार के प्रति डायरेक्ट्रो की झुकाव हुआ है। आने वाले दिनों में कई भोजपुरी फिल्म की शूटिंग बिहार में होगी।

मैं बिहार की बेटी हूँ – प्रियंका

पटना: भारतीय फिल्म की प्रसिद्ध आदाकारा प्रियंका चोपडा कल 9 जून को पटना पहुंची थी और नमस्ते कर पटनावासियों का अभिवादन किया। 

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प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि मैं बिहार की बेटी हूं। मैंने पैदा होते ही बिहार को ही देखा है। मेरा जन्म और प्रारंभिक पढ़ाई संयुक्त बिहार के जमशेदपुर में हुई है, इसलिए बिहार से मेरा भावनात्मक रिश्ता है।

 

ज्ञात हो कि प्रियंका पीएंडएम मॉल में अपने प्रोडक्सन हाउस के बैनर तले बनी फिल्म ‘बम बम बोल रहा है काशी ‘ के प्रोमोशन के लिए पटना आई थी।

 

प्रियंका ने बिहार को फिल्म फ्रेंडली बनाने की दिशा में संवेदनशील बिहार के कला संस्कृति विभाग के प्रति आभार प्रकट किया तथा विभाग के प्रयासों की सराहना की।
प्रियंका ने कहा कि बिहार की ऐतिहासिकता एवं रोचकता से मैं परिचित हूं। बिहार में फिल्म निर्माण की असीम संभावनाएं हैं।

 

बिहार सरकार के कला मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि प्रियंका चोपड़ा बिहार की बेटी हैं। इसी तरह वे बिहार आती रहें। यहां आकर फिल्में बनाएं, बिहार सरकार उन्हें हरसंभव मदद करेगी। राज्य सरकार कला, संस्कृति एवं सिनेमा को लेकर बेहद गंभीर है। जल्द ही हम फिल्म निर्माण नीति बनाने वाले हैं। इस अवसर पर प्रियंका चोपड़ा ने कला संस्कृति विभाग की ओर से प्रकाशित बिहार के स्मारक पुस्तक का लोकार्पण भी किया।

 

हालांकि प्रियंका चोपडा के प्रोडक्सन के बैनर तले बने भोजपुरी फिल्म का लोग बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे थें।  सभी को उम्मीद था प्रियंका चोपडा का फिल्म आम अश्लिल भोजपुरी फिल्म से अलग और अच्छी पथकथा पर आधारित होगी मगर फिल्म का ट्रेलर देख सबको निराशा हाथ लगी। यह फिल्म भी समाज में अश्लिलता ही परोसती नजर आ रही।

 

मिथिला मखान फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत बिहार का नाम रौशन करने वाले नीतीन चंद्रा सोशल साईटों पर प्रियंका के इस फिल्म के खिलाफ मुहीम चला रहे है और इसका विरोध कर रहे है।

नीतीन चंद्रा कहते है  “भोजपुरी में गन्दी फिल्में बनती रहीं हैं । आगे भी बनेंगी । लेकिन जब वैसे ही गन्दी फिल्म प्रियंका चोपड़ा जैसा स्टार बनाता है तो बिहारी समाज की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठता है । वो प्रियंका चोपड़ा जो बिहार में ही पैदा हुई हैं ।
आज अगर इस मुद्दे पर आप लोग मौन रहे तो भविष्य आप सब से पुछेगा की तुम उस 9 जून 2016 को कहाँ थे जब हिंदुस्तान की सबसे बड़ी फिल्म कलाकार भोजपुरी में नग्नता परोस कर पैसा कमाने के तइयारी कर रही थी ।

इसलिए, बोलिए । अपना मुंह खोलिए । अपने फेसबुक पर/ट्विटर पर लिखिए ।

 

एक फेसबुक पोस्ट में नीतीन चंद्रा लिखते है,

भोजपुरी तो पहले से ही कराह रही थी,
अपने फटे कपड़ों से कभी अपनी पीठ तो
कभी अपनी छाती
तो कभी पेट छुपा रही थी
ना कभी कुछ माँगा उसने
ना कुछ किसी ने दिया उसको
अपने बेटों के कुकृत्यों पर
फिर भी मुस्कुरा रही थी
वो नहीं कहती कुछ भी
बस देती है करोड़ों को भाव
शब्द – बोल – लोक परम्पराएं
लेकिन फिर भी
अपने फिर से रोज़ रोज़ नंगे होने के डर में जिए जा रही थी
और प्रियंका जी आईं
और उसको बदन से वो आखरी चिथड़ा हटाकर बाजार में खड़ा कर दिया ।

बहुत दिनों बाद आज दुःख और गुस्सा दोनों है । मन कर रहा है जैसे फट के बिखर जाएँ और कोइ ना देखे । आज कहाँ गए वो लोग जो भोजपुरी को अश्लील अश्लील कहते तो हैं लेकिन करते कुछ नहीं । मौन धारण से नहीं होगा । अब तो आपकी चहेती अदाकारा ने अश्लीलता परोस दिया आपकी भाषा में |