Asanpur Kupaha-Nirmali rail. bihar, 1934 earthquake on bihar

87 साल बाद एक हुआ बिहार का मिथिलांचल, सरायगढ़-निर्मली रेलखंड पर फिर दौरी ट्रेन

वर्ष 1934 में आए प्रलयंकारी भूकंप द्वारा की गयी तबाही के दृश्य आज भी बिहार में मिल जायेंगे| उस भूकंप के गवाह बने लोग तो गुज़र गयें मगर उनके द्वारा सुनाई गयी कहानी आज भी जनमानस में जिन्दा है| उन्हीं कहानी में से एक कहानी है बिहार के सुपौल जिले के सरायगढ़-निर्मली रेलखंड (Asanpur Kupaha-Nirmali rail) की|

1934 के विनाशकारी भूकंप ने सरायगढ़-निर्मली रेलखंड की पटरी ध्वस्त हो गई और निर्मली-सरायगढ़ के बीच ट्रेन सेवा बंद हो गई थी। जिसके कारण 87 साल तक मिथिलांचल दो हिस्सों में विभाजित रहा| 87 साल बाद मिथिला के लोगों के लिए एतिहासिक दिन था जब 28 फरवरी को इस रेलवे लाइन के जरिये एक ट्रेन निर्मली शहर पहुंची|

दशकों तक एक प्राकृतिक आपदा का दंश झेल रहे और एक बहुप्रतीक्षित सपने को साकार होता देख निर्मली के लोग खुशी से झूम उठे। एक सपना जो गुजरते समय के साथ नामुमकिन लगने लगा था, उसका मुमकिन होते देख- लोग जोश में नारा लगाने लगे, “मोदी है तो मुमकिन है|”

मिथिलांचल के दो हिस्सों को सीधी रेल सेवा से जोड़ने के लिए शनिवार को सरायगढ़-निर्मली रेलखंड स्थित आसनपुर कुपहा और निर्मली के बीच ट्रेन का स्पीड ट्रायल किया गया। दो स्टेशनों के बीच 5.6 किलोमीटर की दूरी तय करने में ट्रेन को 5 मिनट लगे। सीआरएस निरीक्षण के बाद मार्च तक इस रूट पर ट्रेन परिचालन की संभावना है। इससे एक ही जिले के दो हिस्सों में बंटे लोगों को जिले सहित देशभर में सीधी रेल सेवा से जल्द ही जुड़ने की उम्मीद जगी है।

रेलवे ने भी इस एतिहासिक प्रोजेक्ट की महत्त्व को समझते हुए, मिथिला परंपरा के अनुसार लड्डू, पान, सुपारी, अगरबत्ती एवं नारियल फोड़कर ट्रेन की विधिवत पूजा-अर्चना की|

कोसी नदी पर बने रेल महासेतु की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 06 जून 2003 को निर्मली कॉलेज निर्मली परिसर में रखी थी। आसनपुर कुपहा से निर्मली के बीच शनिवार को स्पीड ट्रायल हुआ। इससे पहले सरायगढ़ से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन चल रही है। सीआरएस निरीक्षण के बाद मार्च से यहां ट्रेन चलेगी।

मिथिलांचल के निर्मली तक ट्रेन सेवा बहाल होने के बाद बड़ी आबादी का आवागमन सुलभ हो जाएगा। संभावना है कि सहरसा-आसनपुर कुपहा ट्रेन का ही विस्तार निर्मली तक कर दिया जाय।