बिहार में पूर्ण शराबबंदी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को किया जायेगा सम्मानित

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को श्वेतांबर जैन समाज अनुव्रत पुरस्कार से सम्मानित करेगा। श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 28 मार्च को होने वाले विशेष कार्यक्रम में जैन श्वेतांबर मुनि आचार्य श्री महाश्रमण उन्हें यह पुरस्कार देंगे। इस कार्यक्रम में राज्यपाल रामनाथ कोविंद भी मौजूद रहेंगे।जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्म संघ के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को पुरस्कार दिया जायेगा। अणुव्रत पुरस्कार महासमिति के अध्यक्ष तन्सुख लाल जैन वैद ने बताया कि समाज में बेहतरीन और प्रेरणा स्त्रोत कार्य करने वालों को यह पुरस्कार दिया जाता रहा है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और गुलजारीलाल नंदा जैसे लोगों को यह पुरस्कार दिया गया है। शराबबंदी के लिए महासमिति ने नीतीश कुमार के नाम का चयन इस पुरस्कार के लिए किया है।

58 सालों बाद कोई श्वेतांबर जैन मुनि पटना रहे हैं। वे अपनी अहिंसा यात्रा पर आज पटना पहुंचेंगे। बिहार प्रांत श्वेतांबर जैन तेरापंथ सभा के पदाधिकारियों ने रोड स्थित नारायण प्लाजा में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। समिति के अध्यक्ष तनसुख लाल वैद्य ने बताया कि श्वेतांबर जैन मुनि आचार्य महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा का पटना में 27 मार्च की सुबह प्रवेश होगा। उनकी अहिंसा यात्रा की शुरुआत 9 नवंबर 2014 को दिल्ली के लाल किले से हुआ था। आचार्य श्री महाश्रमण 15,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पैदल यात्रा करते हुए पटना में 27 मार्च को पधारेंगे एवं 27 से 30 मार्च तक पटना में रहेंगे। अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य सद्भावना,नैतिकता नशामुक्ति है।

बिहार में शराब के बोतल के साथ ली सेल्फी तो पहुँच गये सलाखों के पीछे

बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा के एक युवक को सोशल मीडिया फेसबुक पर विदेशी शराब रॉयल स्टेज की बॉटल लेकर फेसबुक पर तस्वीर शेयर करना महंगा पड़ गया। नालन्दा पुलिस ने शराब के शौक़ीन उस युवक को साथियों संग सलाखों के पीछे पहुचा दिया है।

नालंदा पुलिस कफ्तान कुमार आशीष


नालंदा के बिहारशरीफ के एक युवक ने रविवार को देर शाम अपने फेसबुक वॉल पर एक तस्वीर साझा की।तस्वीर में जनाब खुद शराब की आधी भरी बोतल संग अपने एक अन्य दोस्त के साथ “पार्टी ऑल नाईट” का स्टेटस लिख कर शेयर किया है। नालन्दा एसपी को जैसे ही सोशल साइट पर फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट पढ़ी उन्होंने इसे एक चैलेंज लेते हुए “विक्की आर्य” नामक इस युवक की गिरफ्तारी के लिए खुद ही इस मुहीम में जुट कर उसकी तलाशी शुरू कर दिए। मखौल उड़ाने वाले युवक विक्की आर्य को गिरफ्तार करने के लिए एसपी कुमार आशीष एवं उनकी टीम ने लगातार तलाशी अभियान जारी रखे हुए थे।वही एसपी कुमार आशीष स्वयं भी लगातार टीम को जरुरी दिशा निर्देश देते हुए विक्की आर्य नामक इस युवक को दबोचने की सटीक रणनीति के तहत लोकेशन की पुष्टी में लगे रहे। आखिरकार खाकी धारियों की मुहीम रंग लाई और फेसबुक पर शेखी बघारने वाले विक्की को लहेरी थाना क्षेत्र से शराब के नशे में धुत्त उसके 4 अन्य साथियों के संग गिरफ्तार कर लिया गया।

 नालंदा के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने सोमवार को बताया कि विक्की के पास से शराब की वह बोतल भी बरामद की गई है, जिसकी तस्वीर पोस्ट की गई है। उन्होंने बताया कि सभी की मेडिकल जांच की जा रही है। बिहार में इस तरह की यह पहली घटना है, जब फेसबुक पर शराब की बोतल के साथ फोटो पोस्ट करने पर गिरफ्तारियां हुई हैं।

गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल महीने से पूर्ण शराबबंदी है। शराबबंदी को लेकर सख्त कानून का प्रावधान किया गया है। शराब को किसी भी तरीके से बढ़ावा देने और उसका प्रचार-प्रसार करने पर भी रोक लगाई गई है।

नए कानून के साथ बिहार में फिर से पूर्ण शराबबंदी लागू

गांधी जयंती के दिन से राज्य सरकार शराबबंदी के नए कानून बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक 2016 को लागू कर दिया है. कैबिनेट की बैठक में मंत्रिमंडल ने इस कानून को लागू करने की मंजूरी दी. बैठक में शामिल मंत्रियों ने बिहार को शराबमुक्त बनाए रखने का संकल्प भी व्यक्त किया. इस कानून में शराबबंदी के उल्लंघन पर कड़े प्रावधान किए गए हैं.
बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र में ही राज्य सरकार ने शराबबंदी संबंधी यह नया विधेयक ( बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद विधेयक, 2016) पारित कराया था.
राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद सात सितंबर को बिहार कैबिनेट ने फैसला लिया था कि सरकार इस नए क़ानून को दो अक्तूबर को लागू करेगी.
लेकिन हाइकोर्ट के फैसले के बाद लोगों के बीच एक असमंजस की स्थिति थी. इस स्थिति को साफ़ करते हुए शनिवार शाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में एक कार्यक्रम में कहा कि लोग भ्रम में न रहें, रविवार से नया क़ानून लागू हो रहा है.
उन्होंने कहा, ”राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती की सुबह नोटिफ़िकेशन के साथ से यह क़ानून स्वाभाविक रूप से लागू हो जाएगा. बापू के विचारों को हम धरती पर उतारना चाहते हैं. इसके लिए गांधी जयंती से बेहतर कोई दिन नहीं हो सकता था.”
नीतीश सरकार ने अप्रैल में जब पूर्ण शराबबंदी की पहली बार घोषणा की थी उसके छह महीने बाद अब राजनीतिक हालात भी दूसरे हैं.
तब शराबबंदी से जुड़े नए क़ानून को तैयार करने से लेकर उसे लागू करने तक में सरकार को विपक्ष का साथ मिला था. लेकिन अब विपक्ष का कहना है कि सरकार हाई कोर्ट के शुक्रवार के फैसले के बाद नए सिरे से शराबबंदी क़ानून को संशोधित करे.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को पार्टी दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार से यह मांग की.
उन्होंने कहा, ”हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह टिप्पणी की है कि हम राज्य को पुलिस राज्य में बदल रहे हैं. नागरिक हमेशा इस भय में जीते रहेंगे कि कब उन्हें फंसा दिया जाएगा. कोर्ट ने कई बार शराबबंदी क़ानून को ड्रेकोनियन क़ानून बताया. यह किसी राज्य के लिए बड़ी टिप्पणी है.”
उन्होंने साथ ही मांग की, ”हाईकोर्ट ने पुराने क़ानून के जिन प्रावधानों को खारिज कर दिया है, नए क़ानून के वैसे ही प्रावधानों को संशोधित करते हुए नीतीश नया शराबबंदी का क़ाननू लागू करें. अगर ऐसा करने के लिए ज़रूरी हो तो सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए.”
हाईकोर्ट ने शुक्रवार के अपने फैसले में पुराने शराबबंदी क़ानून के सजा के प्रावधानों पर भी सवाल उठाए थे. गौरतलब है कि नए क़ानून में तो कुछ उससे भी ज्यादा कड़े प्रावधान किए गए हैं. ऐसे में क़ानून के जानकार भी विपक्ष की इस बात से सहमत हैं कि सरकार क़ानून में संशोधन करे.
पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील और हाई कोर्ट समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा नए कानून के एक ऐसे ही प्रावधान के बारे में बताते हैं, ”कोई अगर शराब पीता है तो घर के हर व्यस्क के बारे में समझा जाएगा कि उसे इसकी जानकारी है. इस प्रावधान का क्रिमिनल लॉ से दूर-दराज का संबंध नहीं है.”
इन प्रावधानों की रोशनी में योगेश सलाह देते हैं, ”सरकार नए क़ानून के ऐसे प्रावधानों को संशोधित कर ले. और ऐसा नहीं हुआ तो नए क़ानून की दुर्गति भी पुराने क़ानून जैसी ही होगी.”

शराबबंदी के बाद बिहार में बहार, हत्या के मामलों में आयी 39% की कमी

विपक्षी पार्टी भले ही बिहार में पूर्ण शराबबंदी और सख्त कानून पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगी है, पर आंकड़े बताते हैं की राज्य में शराबबंदी के लागू होने के बाद राज्य में हत्या के मामलों में भारी कमी आयी है, यही कारण है की मुख्यमंत्री के इस अभियान को महिलाओं ने पूर्ण समर्थन किया है।

बिहार में शराबबंदी एक अप्रैल 2016 से लागू हुई है। इस रिपोर्ट में हम आपको बिहार में शराबबंदी के सोशल इम्पैक्ट बताने जा रहे हैं।

बिहार में शराबबंदी का तात्कालिक प्रभाव बिहार में शराबबंदी का प्रभाव तब देखने को मिला, जब इसे लागू करने के दो महीने बाद ही अपराध में कमी देखने को मिली। बिहार में इस कानून के आने के बाद हत्या के मामलों में 39 फीसदी की कमी, संज्ञेय अपराध में 20 फीसदी की कमी, डकैती में 54 फीसदी कमी, लूट के मामले में 25 फीसदी की कमी और सड़क हादसे में 31 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
इसके अलावा धार्मिक जुलूसों के बहाने शराब पीकर उन्माद करने वाले लोगों में भी बहुत कमी आई है। इतना ही नहीं अगर सामाजिक परिवर्तन की बाते करें तो राज्य की सीमाओं के बाहर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।

बिहार का असरबिहार के बाद झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी महिलाओं द्वारा शराबबंदी की मांग ने जोर पकड़ लिया है। खुद नीतीश कुमार ने एक बयान जारी कर कहा था कि अब महाराष्ट्र के वर्धा जिले से एक संदेश द्वारा वहां महिलाएं शराब की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश देने के लिए मुझे धन्यवाद देने के वास्ते बिहार आना चाहती हैं।

शराबबंदी को लेकर बिहार में कब क्या हुआ:- मार्च 2016- में बिहार में शराब पर आंशिक पाबंदी लगाई गई।- अप्रैल 2016- बिहार एक्साइज अमेंडमेंट बिल 2016 पारित होने के बाद पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई।- पाबंदी के बाद तीस से ज्यादा लोग मर चुके हैं।- पाबंदी तोड़ने से 4707 लोग गिरफ्तार हुए।- 3719 पुलिस शिकायतें दर्ज हुई अब तक।- 12% कमाई राज्य को शराब की बिक्री से मिलती थी।- 3300 करोड़ औसत टैक्स कमाई बिहार को शराब बिक्री से होती थी।- इस कमी की भरपाई के अलग टैक्स लगाया गया है।- 13.5 वैल्यू एडेड टैक्स समोसे और मिठाई पर।- 5% 2000 रुपये की साड़ी या उससे ज्यादा की खरीद पर।- 8-13.5% टैक्स बढ़ा इलेक्ट्रिकल आइटम पर।- 1-1.5 % पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा।
नए कानून के प्रमुख प्रावधान- शराबबंदी से जुड़े मामलों के लिए हर जिले में विशेष न्यायालय की स्थापना।- बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति पुलिस को, डीएम को तुरंत देनी होगी सूचना।- शराब या मादक द्रव्य का विज्ञापन देने पर 3 से 5 वर्षों तक जेल या 10 लाख तक जुर्माना।- घर में शराब मिली तो किसी एक के दोषी प्रमाणित होने तक सभी बालिग सदस्य जवाबदेह होंगे।- शराबबंदी कानून का बार-बार उल्लंघन करने वालों को जिला बदर किया जाएगा।

राज्य में शराबबंदी का प्रभाव : दो महीने में राज्य में 21 लाख सैलानियों की आयी कमी

जँहा सूबे के सीएम नीतीश कुमार हर जगह शराबबंदी का प्रचार कर रहे हैं और राज्य में शराबबंदी के लिए पूरी तरह सख्त हैं वंही शराबबंदी के बाद राज्य में सैलानियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. शराबबंदी से पहले लगातार पयर्टकों की संख्या बढ़ रही थी, पर शराबबंदी के महज दो महीने के बाद 21 लाख सैलानियों की भारी गिरावट आयी है।

सूबे के पर्यटन क्षेत्र पर भी शऱाबबंदी का जबरदस्त निगेटिव असर हुआ है. पर्यटन निदेशालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक शराबबंदी ने बीते दो महीने में ही पर्यटन क्षेत्र को लगभग 21 लाख पर्यटकों का नुकसान करा दिया है.
आकड़ों के मुताबिक 2015 के जून महीने में बिहार में 6 लाख 43 हजार 692 पर्यटक आये जबकि जुलाई 2015 में ये संख्या 28 लाख 64हजार 826 तक जा पहुंची. अब अगर 2016 की बात करें तो जून में बिहार में 8 लाख 11 हजार 799 पर्यटक आये जबकि जुलाई में ये संख्या महज 15 लाख 51 हजार 863 तक ही जा सिमटी.
जानकार बताते हैं कि बिहार के पर्यटन क्षेत्र को इतना बड़ा सदमा बोधगया में हुए बम बलास्ट की घटना जो कि 2013 में हुई थी के बाद भी नहीं लगा था. तब विदेशी पर्यटकों की संख्या में 3 लाख की गिरावट हुई थी, लेकिन शराबबंदी ने बीते दो महीने में ही पर्यटन क्षेत्र को लगभग 21 लाख पर्यटकों का नुकसान करा दिया है.
पर्यटकों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट राजगीर में हुई है. राजगीर में जहां बीते साल जून-जुलाई में 25 लाख पर्यटक आये थे वहीं इस साल इन दो महीनों में यहां केवल डेढ़ लाख पर्यटक आये हैं. खास बात ये है कि उम्मीद के ठीक उलट विदेशी पर्यटकों से ज्यादा देशी पर्यटक पर असर पड़ा है. बहरहाल शराब बंद होने के कारण 2005 के बाद धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा राज्य का पर्यटन उद्योग एक बार फिर बेपटरी होता दिख रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा बर्बाद हो जाऊंगा लेकिन शराबबंदी से कोई समझौता नही करूंगा

शराबबंदी के बाद बिहार में इसके साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं, और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इसकी सख्ती पर विरोध भी किया है।
इसपर सीएम नीतीश कुमार ने साफ शब्दों में कह दिया है की वो बर्बाद हो जायेंगे लेकिन शराबबंदी से लेकर कोई समझौता उन्हें मंजुर नही है।

बिहार विधानसभा के मानसून के सत्र के दूसरे दिन सदन में मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016 पेश किया गया. विधेयक को सरकारी की ओर से विभागीय मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने पेश किया. उसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया. विधानसभा में संशोधन प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. हालांकि विपक्ष का संशोधन प्रस्ताव गिर गया. संशोधन के पक्ष में मात्र 46 वोट पड़े वहीं दूसरी ओर सरकार के पक्ष में 150 वोट पड़े. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि मैं बर्बाद हो जाऊंगा, नष्ट हो जाऊंगा लेकिन शराबबंदी से समझौता नहीं करूंगा.

नंदकिशोर यादव ने दिया जवाब

वहीं दूसरी ओर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि भाजपा शराबबंदी के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि विधेयक के सिद्धांत में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है. नंद किशोर यादव ने कहा कि डंडे के जोर पर नशे को दूर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस कानून में ऐसे नियम बनाये गये हैं जो स्वीकार योग्य नहीं हैं. नंद किशोर यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ सरकार बिहार में शराब बनवा रही है और दूसरी ओर लोगों को पीने से मना कर रही है. नंद किशोर ने कानून पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह कैसा कानून है कि जिसमें घर में शराब मिलने पर पूरे परिवार को जेल में जाना होगा.

सूबे में शराब मिलने की जिम्मेदारी किसकी-नंद किशोर

नंद किशोर यादव ने कानून की खिलाफत करते हुए कहा कि शराब मिलने पर अगर घर का मुखिया जिम्मेदार होगा तो सूबे में शराब मिलने पर जिम्मेदार कौन होगा ? वहीं भाजपा के एक दूसरे विधायक आरएस पांडेय ने कहा कि विधेयक बिना संशोधन के पास हुआ तो सदन के लिये शर्म की बात है. पांडेय ने कहा कि शराबबंदी एक गौरव की बात है लेकिन इस तरह का काला कानून लाना ठीक नहीं है.  नंद किशोर यादव ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि शराबबंदी को मुख्यमंत्री राजनीतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

शराबबंदी के बाद बिहार में पति-पत्नी में मेल-मिलाप हुआ मुश्किल : मांझी

अटपटे बयान के लिए सुर्ख़ियों में रहने वाले बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने बिहार में शराबबंदी की आलोचना करते हुए ये कह दिया कि जब से शराब बंद हुआ है तब से बिहार में पति-पत्नी का मेल-मिलाप मुश्किल हो गया है क्योंकि लोग घर पहुंचते ही सो जाते है।

शराबबंदी का विरोध करते हुए मांझी ने कहा की सूबे में शराबबंदी से दांपत्य जीवन में बुरा असर पड़ रहा है।मांझी  ने एक गाना भी गुनगुनाया, ..क्या करूं राम, मुझे बुड्ढ़ा मिल गया, लाना था फूल, गोभी लेकर आ गया.

 

मांझी ने मीडियाकर्मियों से मुलाकात बिहार में कानून व्यवस्था के ढीलेपन पर नितीश पर तंज कसने के लिए किया उन्होंने केंद्र सरकार से बिहार में राष्ट्रपति शासन लगवाने की मांग की।मांझी ने कहा की सूबे के जनता के साथ अन्याय हो रहा है।

 

फिर जब नीतीश के शराबबंदी पर उनसे सवाल पूछा गया तो मांझी साहब ने शराब बंद होने की वजह से लोगों को दांपत्य जीवन में मिलने-जुलने की समस्या की बात छेड़ दी.

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शराब पीकर बिहार के सीमा में प्रवेश किए तो रद्द होंगे सारे जरूरी लाइसेंस

 

 

बाहर से भी शराब पीकर बिहार की सीमा में प्रवेश करना अब महंगा पड़ेगा। क्योंकि इस स्थिति में पकड़े जाने पर वही सजा मिलेगी, जो राज्य में शराब रखने या पीते पकड़े जाने पर दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए उत्पाद कानून को और कठोर बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि उत्पाद कानून में अब तक बाहर से पीकर आने वालों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए इसमें सजा से संबंधित कुछ और नए प्रावधान जोड़े जा रहे हैं। सीएम ने गुरुवार को इस संबंध में एक उच्चस्तरीय बैठक की.

पकड़े जाने पर सारे लाइसेंस रद्द

पूर्ण शराबबंदी को ध्यान में रखकर उत्पाद एक्ट में यह प्रावधान किया जा रहा है कि अगर कोई व्यक्ति उत्पाद एक्ट की किसी भी धारा यानी घर में शराब रखेगा, शराब पीते हुए या फिर शराब की बोतल के साथ पकड़ा जाएगा, तो सरकार द्वारा उसके नाम से जारी सारे लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे। इनमें आ‌र्म्स लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस, ठेकेदारी लाइसेंस या फिर पीडीएस दुकान आदि के लाइसेंस शामिल हैं। उत्पाद एक्ट के तहत मुकदमा चलेगा, सो अलग.

होटल मालिकों पर भी कसा शिकंजा

पूर्ण शराबबंदी को लेकर हुए संशोधन में होटल मालिकों को लेकर भी सजा के प्रावधान को और सख्त किया जा रहा है। होटल में बैठकर पीने वालों के लिए जिस तरह की सजा का प्रावधान है, वही सजा अब होटल मालिकों को भी दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार उत्पाद एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा। विधानमंडल के मानसून सत्र में इसे मंजूरी के लिए लाया जा सकता है.

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