हमारे मुख्यमंत्री “शराबबंदी” के नशे में हैं..!

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar addressing a press conference in Patna on Monday. PTI Photo (PTI7_31_2017_000150A)

Deep Freeze Standard Crack

नीतीश कुमार ने बिहार के महिलाओं के मांग पर राज्य में शराबबंदी लागू किया ताकि उनके पति और संतान नशामुक्त हो। शुरुवात में यह कानून कितना दमदार लग रहा था। नीतीश कुमार के राजनीतिक इक्षाशक्ति की मिशाल दी जाने लगी। बिहार का उदाहरण दक्षिण भारत के राज्यों में दी जाने लगी मगर समय के साथ सबकुछ बदल गया।
शराबबंदी से बिहार के खजाने का नुकसान तो हुआ ही। शराब माफियाओं ने दूसरे तरफ नकली और अवैध शराब का एक समांतर अर्थव्यवस्था खड़ा कर दिया। जो पैसा बिहार के खजाने में जा रहा था वो माफिया, भ्रष्ट अधिकारी और नेताओं के जेब में जाने लगा है।
जिन महिलाओं ने इस कानून के बाद अपने पति और संतानों के नशामुक्ति का सपना देखा था, अब वे नकली और जहरीली शराब से इस दुनिया से मुक्त होने लगे हैं। शराब माफियाओं की किस्मत चमक गई, पुलिस गरीब लोगों का मुंह सूंघकर राज्य के सभी जेल भर दिए।
नशा क्या होती है? जब मस्तिष्क क्षुब्ध और उत्तेजित हो उठता है, तथा स्मृति (याद) या धारणा कम हो जाती है । इसी दशा को नशा कहते हैं । .. और नशा सिर्फ शराब से हो यह जरूरी नहीं, नशा किसी भी चीज की हो सकती है। जैसे हमारे मुख्यमंत्री जी को शराबबंदी कानून का नशा हो गया। जब भी इसपर कोई सवाल उठता है तो मानों वो अपना आपा खो देते हैं और उत्तेजना में कुछ भी अल – बल बोलने लगते हैं।
जैसे, जहरीली शराब से हुए मौत के सवाल पर विधानसभा में तू – तराक करने लगे और बोल दिए, “जो शराब पीएगा वो मरेगा.”
कोई भी योजना और कानून दोषहीन नहीं होता। आलोचना सरकार में बैठे लोगों को अपने योजना, कानून या इन्हें लागू करने में हो रहे चूक को जानने में मदद करती है। बिहार सरकार को शराबबंदी कानून की हो रही आलोचना को सुनना चाहिए और इसकी कमियां दूर करनी चाहिए। बजाय इसके कि इसके नाकामियों को छुपाने के लिए कुछ भी बेतुका तर्क दिया जाए या गुस्सा में चिल्लाकर विपक्ष की आवाज को दबा दिया जाए।
© Avinash Kumar (एडिटर, अपना बिहार)
Avinash Kumar: