तेजस लड़ाकू विमान के नीव रखने वाले दरभंगा के मानस बिहारी वर्मा का निधन

कोरोना महामारी हर दिन हजारों को मौत के मुंह में धकेल रही है। हर तरफ मातम है, हर रोज अपनों की जाने की खबर दिल को दहला देता है। आज एक और खबर आई है जिससे बिहार समेत पूरा देश शोक में है।

दरभंगा जिला के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव से निकल कर देश ही नहीं दुनिया में अपना नाम रौशन करने वाले मानस बिहारी वर्मा का देहांत हो गया।

मानस बिहारी वर्मा जी को देश के महत्वपूर्ण फाईटर प्लेन तेजस के निर्माण में उनके अहम योगदान के लिए जाना जाता है। 1986 में तेजस फाइटर जेट विमान बनाने के लिए टीम बनी थी उस समय लगभग 700 इंजीनियर इस टीम में शामिल किए गए थे। डॉक्टर वर्मा ने इस टीम में बतौर मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में अपना योगदान दिया था।

उन्होंने 35 वर्षों तक DRDO में एक वैज्ञानिक के रूप में काम किया। वे न सिर्फ पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मित्र थे बल्कि वर्षों तक उनके साथ काम भी किया था। राष्ट्रसेवा में उनके अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें साइंटिस्ट ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया था।

2018 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया था।

डीआरडीओ से रिटायरमेंट के बाद लौटे अपने गांव

डीआरडीओ से 2005 में रिटायर होने के बाद मानस बिहारी वर्मा दरभंगा स्थित अपने गांव आने का फैसला किया। उन्होंने गांव में रहते हुए यहां के बच्चों में कंप्यूटर और विज्ञान की शिक्षा को बढ़ावा देने की ठानी। जिन स्कूलों में विज्ञान शिक्षक का अभाव रहता है, वहां टीम मेंबर बच्चों को प्रयोग कराते हैं। मोबाइल वैन के जरिये एक स्कूल में दो से तीन माह कैंप कर बच्चों को विज्ञान और कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाती है।

कुछ दिनों से वो अस्वस्थ भी थे लेकिन बीती रात यानी सोमवार को हार्ट अटैक होने से उनकी मौत दरभंगा के लहेरियासराय स्थित निवास स्थान पर हो गई। उनके मौत की खबर के बाद शोक की लहर है। देश ने एक व्याज्ञानिक खोया है तो बिहार ने अपना बेटा और एक समाज सेवी को खो दिया।

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