“अगर हम प्रतिभा बोले, तुम बिहारी समझ लेना” – बिहारी के नाम पर होगा JNU का गोल्ड मेडल

बिहारियों के प्रति अगर इस देश में नकारात्मक धारणायें हैं तो कुछ सकारात्मक धारणायें भी हैं| उन्हीं में से एक एक धारणा है कि बिहारी लोग सबसे ज्यादा प्रतिभावान होते हैं| बिहारी लोगों ने भी इस अपनी मेहनत और क़ाबलियत से इस धारणा को बनाये रखा है और समय- समय पर इसे सच भी साबित किया है|

अब इस धारणा को और बल देने के लिए बिहारियों के तरकश में एक और तर्क आ गया है| जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने बिहार के पूर्व आइएएस अधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्‍तव के नाम पर ‘ मनोज कुमार श्रीवास्‍तव मेमोरियल‘ गोल्‍ड मेडल की शुरुआत की है।

यानी, देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय अपने सबसे प्रतिभावान छात्र को जिस गोल्ड मैडल से सम्मानित करेगा, उसका नाम एक बिहारी के नाम पर होगा| तो अब अगर कोई कहे – “हम प्रतिभा बोले, तुम बिहारी समझ लेना,” तो वह अतिशयोक्ति नहीं होगी|

यह अवार्ड  सीएसएसएस के एमए इन सोशियोलॉजी प्रोग्राम के 2020-22 बैच से प्रति वर्ष  टॉपर स्‍टूडेंट को दिया जाएगा। अवार्ड के तहत एक सर्टिफिकेट और गोल्‍ड मेडल दिया जाएगा।

ज्ञात हो कि स्व. मनोज कुमार श्रीवास्तव की मृत्यु 65 वर्ष की आयु में पटना एम्स में कोरोनवायरस के कारण 2020 में हुई। उन्‍होंने जेएनयू में सेंटर फॉर स्‍टडी ऑफ सोशल सिस्‍टम (सीएसएसएस) से 1979 में सोशियोलॉजी विषय में एमए किया था|  वे 1980 बैच के बिहार कैडर के आइएएस रहे। बिहार सरकार में उन्‍होंने कई महत्‍वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। वे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं|

1988 में जब डीएम के रूप में उनका ट्रान्सफर भोजपुर जिला से किया जा रहा था तो जिला के लोगों ने इसके खिलाफ पप्रोटेस्ट कर दिया था|वे बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग (Disaster Management Department) के संस्थापक सचिव भी थे। उन्हें 2007 में बिहार बाढ़ के दौरान यूएनडीपी (UNDP) आपदा जोखिम प्रबंधन परियोजना के तहत दुनिया के सबसे बड़े मुफ्त भोजन वितरण की सुविधा चलाने का भी श्रेय दिया जाता है|

उन्हें नौकरशाही सर्किल में एक चलता-फिरता इनसाईकलोपिडिया (encyclopedia) के रूप में भी जाना जाता था| उन्होंने जेएनयू के साथ विश्व के प्रतिष्ठित आईआईएम अहमदाबाद, लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स और एमआईटी जैसे संस्थानों से शिक्षा हासिल की थी|

 

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