Sahitya Akademi Award: बिहारियों ने जीता हिंदी, मैथली और उर्दू का सर्वोच्च साहित्य सम्मान

बिहार के लिए एक साथ तीन खुशखबरी आया है| तीन बिहारियों को तीन भाषा का सर्वोच्च साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया है| देश की जानी-मानी हिंदी साहित्यकार व बिहार की बेटी अनामिका को साल 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। बिहार के ही सहित्‍यकार कमलकांत झा को मैथिली का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। इसके साथ गया जिला के प्रो. हुसैन उल हक़ को उर्दू के साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार के लिए चुना गया है।

मुजफ्फरपुर जिला निवासी मशहूर साहित्यकार अनामिका को उनकी हिंदी कविता संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त : थेरीगाथा’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

हिंदी में कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली ये देश की पहली महिला साहित्यकार हैं। इसके साथ हिंदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली बिहार में तीसरी बिहारी साहित्यकार भी हैं।

इसके पहले यह पुरस्‍कार रामधारी सिंह दिनकर और अरुण कमल को मिला है।

मैथिली साहित्यकार डॉ. कमलकांत झा को उनकी लघु कथा ‘गाछ रुसल अछि’ के लिए मैथिली का साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार मिला है। इस रचना में उन्‍होंने पर्यावरण व पेड़-पौधों के महत्व को बताया है। बिहार के मधुबनी में जन्‍में व पले-बढ़े कमलकांत झा ने मैथिली के साथ हिंदी में भी लेखन किया है। उन्‍होंने अभी तक मैथिली में 25 पुस्तकें लिखीं हैं।

वहीं प्रो. हुसैन उल हक़ को उनके उपन्यास ‘अमावस का ख़्वाब’ के लिए उर्दू के साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार के लिए चुना गया है। वे भी बिहार के गया शहर स्थित न्यू करीमगंज मोहल्ला के निवासी हैं। वे मगध विश्‍वविद्यालय में उर्दू विभागाध्यक्ष और प्रॉक्टर के पद पर रहे हैं। उर्दू में साहित्य अकादमी पुरस्‍कार पाने वाले हुसैन उल हक़ बिहार के पांचवे और गया के पहले साहित्यकार हैं। उनके तीन उपन्यास के साथ सात कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी बधाई

मुख्यमंत्री ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि यह बिहार के लिये बेहद गौरव की बात है। बिहार की बेटी को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान मिलना देश की आधी आबादी को प्रेरणा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा है कि बिहार से ताल्लुक रखने वाले रचनाकारों की इस उपलब्धि पर सम्पूर्ण बिहारवासियों को गर्व है।

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