असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर वैज्ञानिकों के भर्ती घोटाला के आरोपी को बनाया गया शिक्षा मंत्री

नीतीश कुमार ने जनता के बीच अपनी छवि एक भ्रष्टाचार विरोधी नेता की बनायीं है. आपको याद होगा कि 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का सरकार गिरा दिया था क्योंकि तेजस्वी यादव का एक भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में नाम आ गया था. मगर नीतीश कुमार के नए कैबिनेट में सामिल मंत्रियों के नाम सामने आने के बाद सवाल उठने लगे है.

नीतीश ने शिक्षा मंत्री का जिम्मा मेवालाल चौधरी को दिया है. जिनपर कृषि विश्वविद्यालय,सबौर, भागलपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर कम जूनियर साइंटिस्ट के पद की बहाली में घोटाले और धांधली करने का आरोप लगा था.

साल 2012 में कृषि विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर वैज्ञानिकों के 281 पदों पर भर्ती निकाली गई थी. लगभग 2500 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और 166 लोगों की नियुक्ति भी हो गई पर इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई. मेरिट लिस्ट देखने पर पता चलता है कि भर्ती साफ सुथरी तरह से नहीं की गई.

मेरिट लिस्ट में कुल 100 नंबर पर चुनाव होना था. जिनमें से 80 नंबर शैक्षणिक योग्यता, 10 नंबर इंटरव्यू और 10 नंबर प्रजेंटेशन के लिए दिए जाने थे. पर चुने गए लोगों के नंबरों को देखें तो पता चलता की है कैसे शैक्षणिक योग्यता में पिछड़े होने के बाद भी इंटरव्यू और प्रजेंटेशन में मनमाने नंबर देकर उनकी नियुक्ति की गई.

इस धांधली की वजह से योग्य उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिल पाई ऐसा उनका आरोप है. पीड़ितों का कहना है कि इसमें पैसे का लेनदेन साफ दिखाई देता है. कहा ये भी जा रहा है कि ये लिस्ट इंटरव्यू के बाद तैयार की गई और इस मामले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पहले कुलपति मेवालाल चौधरी की इसमें बड़ी भूमिका है. पीड़ितों की मांग है इस मामले का पर्दाफाश कर मेवालाल चौधरी को जेल भेजा जाए.

यह मामला सामने आने के बाद मेवालाल चौधरी पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था. मेवालाल चौधरी को इस मामले में एंटी सिपेटरी बेल मिल गई थी. पर मुकदमें में अबतक चार्जशीट दायर नहीं हुई है.

इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष हहमलेवार है और नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहा है|

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