Industry in Bihar: क्या आपको पता है, बिहार में भी होता है चाय का उत्पादन ?

अगर किशनगंज को टी-सिटी का दर्जा मिल जाता तो यहां के चाय उत्पादक किसानों के हालत बेहतर हो जाता

Tea Industry in Bihar, Darjaling of Bihar, Kishanganj Tea Plantation

दार्जिलिंग ही नहीं, बिहार में भी होता है चाय का उत्पादन। किशनगंज जिला बिहार राज्य के अड़तीस जिलों में से एक है, जहाँ चाय की खेती की जाती है। किशनगंज ने बिहार को चाय उत्पादक राज्यों की श्रेणी में शुमार करते हुए बिहार का मान बढ़ाया है।

बंगाल की चाय बेल्ट से सटा किशनगंज दार्जिलिंग से 200 km की दुरी पर है। किशनगंज में 50 से 60 हजार एकड़ में चाय का उत्पादन होता है। किशनगंज बिहार का एकमात्र चाय उत्पादक जिला है। इतना ही नहीं हजारों लोगों को टी-गार्डेन से रोजगार का अवसर भी मिला है। एक समय पर किशनगंज को टी-सिटी बनाने की घोषणा भी की गई थी, लेकिन यह घोषणा अमल में नहीं आ सकी।

सूत्रों के अनुसार अगर किशनगंज को टी-सिटी का दर्जा मिल जाता तो यहां के चाय उत्पादक किसानों के हालत बेहतर होते, साथ ही अन्य किसानों का रुझान भी चाय की खेती की ओर बढ़ता।

1982  से हो रही यहां चाय की खेती

बिहार में चाय की खेती सर्वप्रथम 1982 में किशनगंज जिले में आधा हेक्टेयर भूमि में शुरू की गयी थी। इसकी शुरुवात श्री राज करण दफ्तरी ने की जो एक कपड़ो के व्यापारी थे। जिसने ज़िन्दगी में पहले कभी चाय का पौधा तक नहीं देखा, जिसे खेती का क-ख-ग तक नहीं आता, उस व्यक्ति ने बिहार को चाय उद्योग के नक्शे पर ला खड़ा किया है। राजकरण दफ्तरी की उद्यमिता का कमाल है कि किशनगंज ‘बिहार का दार्जिलिंग’ बन गया। बिहार के चेरापूंजी कहे जाने वाले किशनगंज में 1990 के दशक से ही बड़े पैमाने पर चाय की खेती हो रही है। यहां की मिट्टी और वातावरण चाय की खेती के लिए मुफीद है।


यह भी पढ़ें: 36 सालों से अपनी खोई रौनक वापस पाने की बाट जोह रहा रोहतास का डालमियानगर


किशनगंज में कैसे होता है चाय का उत्पादन 

किशनगंज में बिहार के अन्य जिलों की तुलना में अधिक बारिश होती है जो चाय की खेती के लिए मुफीद मानी जाती है। बिहार का चेरापूंजी कहा जाने वाला किशनगंज में चाय की खेती के लिए मिट्टी व मौसम माकूल है। नतीजा है जिले के सात प्रखंडों में से ठाकुरगंज, पोठिया व किशनगंज प्रखंड में लगभग 40 हजार एकड़ में चाय की खेती हो रही है।

अब तो यहां दो सरकारी प्लांट सहित सात प्रोसेसिंग प्लांट लग चुके हैं। इसके बावजूद, अब भी काफी मात्रा में किशनगंज की चाय प्रोसेसिंग के लिए पश्चिम बंगाल भेजी जाती है।

दार्जिलिंग की चाय से बेहतर है किशनगंज की चाय

किशनगंज में बनी चाय दार्जलिंग जिले की चाय से बखूबी टक्कर ले रही है। दार्जिलिंग से तुलना करे तोह किशनगंज में मौसम ज्यादा ठंडा रहता है और पहाड़ियों की वजह से बारिश का पानी भी यहाँ ठीक से निकलता है। निजी टी प्रोसेसिंग प्लांट में बनी चाय बिहार के अन्य जिले सहित दूसरे प्रदेशों में भी खूब बिक रही है। राजबाड़ी ब्रांड के नाम से बिक रही किशनगंज की चाय लोगों को खूब पसंद आ रही है।


यह भी पढ़ें: कोरोना काल में बदहाल हुए डुमरांव के सिंधोरा कारीगर


Search Article

Your Emotions