खुशखबरी: गांधी सेतु का एक लेन लोहे से बनकर हुआ तैयार, इस दिन से दौड़ेगी गाड़ियाँ

गाँधी सेतु

इस लॉकडाउन में ज्यादातर खबरे नकारात्मक ही आ रही है मगर उत्तर बिहार के लोगों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई है| उत्तरबिहार को राजधानी पटना के साथ दक्षिण बिहार से जोड़ने वाली गाँधी सेतु का पश्चमी लेन जो वर्षों से उसके जीर्णोद्धार कार्य के लिए बंद था वह 15 जून से खुलने वाला है|

पश्चमी लेना का कम लगभग पूरा हो चुका है, बस अब उसे फिनिशिंग टच दिया जा रहा है| पथ निर्माण विभाग के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने शनिवार को मिडिया ये जानकारी दी| उन्होंने कहा कि पश्चिमी लेन (दो लेन) के सभी 44 स्पैन तैयार हैं, अब बस अलकतरा बिछाने का काम तेजी से किया जा रहा है। 15 जून से इसपर ट्रक भी दौर सकेगी|


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गांधी सेतु की पश्चिमी लेन को पुरे तरह से लोहे से बनाया गया है| मरम्मत करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बीच साल 2014 में सहमति बनी और 2017 में इसकी मरम्मत शुरू हुई। वर्ष 1982 में जब’ इस 5.5 किमी लंबे गांधी सेतुका निर्माण किया गया था, उस समय इसपर मात्र 87 करोड़ रूपये खर्च हुए थे मगर अब सिर्फ सुपर स्ट्रक्चर को बदलने पर 1372 करोड़ खर्च हो रहे हैं।

पश्चिमी लेन को चालू कर देने के बाद पूर्वी लेन को तोड़ने का काम शुरू होगा। वर्ष 2021 के अंत तक पूर्वी लेन पर गर्डर बिछाने और वर्ष 2022 चालू करने की योजना है।

काफी मुश्किल भरा रहा है इसका निर्माण

इस पुल के मरमत का काम 2017 में शुरू हुआ था| उस समय इसका निर्माण करने वाली कंपनी एजेंसी एफ्कॉंस ने इसको 2018 में ही चालू कर देने की बात कही थी मगर पुल के पुराने स्ट्रक्चर को ही तोड़ने में काफी समय लग गया| स्ट्रक्चर टूटने के बाद जब पिलर बनाए जाने लगे तो गंगा में अधिक पानी होने के कारण मरम्मत का कार्य काफी मुश्किल भरा रहा। इसके बाद कई बार समय में बदलाव किया गया| आख़िरकार मार्च में इसे शुरू करने का लक्ष था मगर कोरोना के कारण फिर इसके समय में कुछ दिनों की बढ़ोतरी हो गयी|


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इस पुल में स्पैन बनाए गए हैं और एक स्पैन में 33 हजार मीट्रिक टन स्टील लगा है। अब जब इसका पश्चमी लेने शुरू हो जायेगा तो जेपी सेतु से लोड कम होगा साथ ही गाँधी सेतु से बड़ी वाहनों को गुजरने में कोई परेसानी नहीं होगी| पश्चमी लेनके बाद अब उम्मीद है कि पूर्वी लेने भी जल्द बनकर तैयार होगा|

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