बिहार में सड़क पर गिरे 20 हज़ार रूपये की यह फोटो क्यों वायरल हो रहा है?

आप सोचिये की अगर आपका हजारों रुपया गलती से बीच सड़क पर गिर जाये, तो क्या होगा? शायद आप सबका जवाब यही होगा कि कोई उसे उठा लेगा और आपको उस पैसे से हाथ धोना पड़ सकता है| मगर कोरोना वायरस के कारण साब अलग हो रहा है|

कोरोना वायरस के संक्रमण का डर इतना है कि अगर आपका हजारों रुपया सड़क पर गिर जाता है तो यह संभव है कि उस पैसा को कोई छुये भी नहीं| लोगों को अब पैसे के लोभ से ज्यादा अपने जान का लोभ है| ऐसा ही कुछ हुआ बिहार के सहरसा जिले के कोपा गांव में| जहाँ एक ऑटो चालक गजेंद्र शाह का 20,500 रुपये जेब से सड़क पर गिर गया|

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गजेन्द्र शनिवार को लगभग 5.30 बजे 25,000 रुपये के साथ जिले के महुआ बाजार से टिन-शेड खरीदने के लिए निकला| लेकिन अपने गंतव्य पर पहुंचने से ठीक पहले 29 साल के गजेंद्र का होश उड़ गया, जब उसे एहसास हुआ कि उसके जेब से 20,500 रुपया गिर चुका है|

इस बारे में गजेन्द्र बताते हैं, “मैंने महसूस किया कि नकदी तब गिर गई होगी जब मैंने अपनी जेब से चबाने वाला तंबाकू बाहर निकाला था। हालांकि मुझे नहीं पता था कि वास्तव में यह कहां हुआ था, मैं अपने ऑटो से नीचे उतर गया और अपने पैसे की खोज में कुछ किलोमीटर पीछे चला गया|”

दो महीने की कमाई कुछ ही पल में गवाने के बाद वह बदहवास होकर अपने घर वापस आ गया| मगर जल्द ही, पड़ोसियों ने उन्हें सूचित किया कि कुछ तस्वीरें फेसबुक पर प्रसारित हो रही है कि कैसे उदाकिशुनगंज पुलिस ने कुछ नकदी बरामद की है जो “कोरोनो वायरस संक्रमित है।

उदाकिशुनगंज पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर-कम-स्टेशन हाउस ऑफिसर, शशि भूषण सिंह मिडिया को बताते हैं, “उन्हें सुबह 7.30 बजे के आसपास कुछ कॉल आयाु | स्थानीय लोगों ने उसे सड़क पर पड़े पैसे के बारे में सूचित किया।

नोटों के बारे में उसे फोन करने वाले लगभग सभी ने “बैंककर्मियों के माध्यम से कोरोना वायरस फैलाने की गहरी साजिश” के बारे में बात कर रहे थे| पुलिस ने पैसे की फोटो मोबाइल पर मंगवाया| फिर मौके पर जाकार उस रूपये को अपने संरक्षण में रख लिया|

जल्द ही गजेन्द्र पुलिस स्टेशन पहुंचकर उस पैसे पर अपना दावा ठोक थी| दावे का समर्थन करने के लिए गवाहों के साथ उदाकिशुनगंज पुलिस स्टेशन पहुंचे।

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इंस्पेक्टर सिंह ने कहा, “पुलिस ने उसके दावे का सत्यापन किया और गवाहों को एक लिखित शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा। उसके दावे से संतुष्ट होकर पुलिस ने पैसे को गजेन्द्र को शौप दिया।”

गजेन्द्र स्वीकार करते हैं कि कई अन्य लोगों की तरह उन्होंने भी एक टिकटॉक वीडियो देखा है जिसमें एक आदमी मुद्रा नोटों को चाटता हुआ दिखाई दे रहा है और उपन्यास कोरोनो वायरस का दावा करते हुए सबको मुर्हैख बना रहा है। “मैं दूसरों के बारे में क्या कहूं, मैंने भी सड़क पर गिरे पैसे को नहीं छूता| वहीँ, गजेंद्र शाह उस पुलिस से खुश हैं, जिसने उनकी मदद की और अपनी तंबाकू की आदत को ख़त्म करने के बारे में सोच रहे हैं|

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