Padma Awards 2020: बिहार के गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह को मिला मरणोपरांत पद्म पुरस्‍कार

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भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस दिए जाने वाले इस साल के प्रतिष्ठित पद्म पुरस्‍कार (Padma Awards) विजेताओं के नाम की घोषणा कर दी है| इस वर्ष भी पद्म पुरस्‍कार से सम्मानित होने वालों में बिहार से जुड़े कई बिहारी (Bihar) सामिल है| बिहार से जुड़े एक काे पद्म विभूषण (Padma Bhushan) तो सात हस्तियों काे पद्म श्री (Padma Shree) दिए गए।

इसमें दो प्रमुख नाम बिहार से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) व बिहार (Bihar) का नाम रोशन करने वाले गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह शामिल हैं। दोनों प्रमुख हस्तियों को मरणोपरांत पुरस्‍कार दिए गए हैं।

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष बिहार के महान गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह (Dr. Vashishtha Narayan) की लम्बी बीमारी के कारण मृत्यु हो गयी थी| गणित के क्षेत्र में कई प्रसिद्ध शोध कर चुके वशिष्‍ठ नारायण सिंह को अपने जीवन काल में वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे| यहाँ तक कि सरकार के तरफ से उनका सही से इलाज तक की व्यवस्था नहीं की गयी| यही कारण है कि उनके मृत्यु के बाद बिहार के लोगों में इसको लेकर काफी रोष था| मरणोपरांत उनको पद्म श्री से असम्मानित कर सरकारी की अपनी भूल को सुधारने की कोशिश करने के जैसा प्रतीत हो रहा है|

कौन थे वशिष्ठ नारायण सिंह?

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण महान शख्सियत थे| गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी| उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही था|

वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 में हुआ था| वह पढ़ाई में  इतने तेज थे कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के आगे  गरीबी को आड़े नहीं आने दिया था|

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने 1969 में  कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी| इसके बाद वह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए| वशिष्ठ नारायण ने नासा में भी काम किया, लेकिन वह 1971 में  भारत लौट आए| आपको बता दें, बर्केल यूनिवर्सिटी  ने उन्हें ‘जीनियसों का जीनयस’ कहा है| उन्होंने  नासा में एक गणितज्ञ के रूप में काम किया था, बाद में उनका मन नहीं लगा था| जिसके बाद उन्होंने पहले IIT कानपुर, बॉम्बे, और फिर ISI कोलकाता में नौकरी की|

उनका निधन 14 नवंबर 2019 को हो गया था. वह 40 साल से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थे|

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