धरती पर जब धर्म की हानि होने लगी, तब बिहार में भगवान ने अवतार लिया
बिहार तीन प्रमुख धर्मों के उद्गम का साक्षी रहा है- जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सीख धर्म| जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर जैन का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले, बिहार के वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुंडलपुर में हुआ था| ईसा के 599 वर्ष पूर्व पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को जन्में वर्द्धमान का जन्म 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त हो जाने के 278 वर्ष बाद हुआ था। कहते हैं, धरा पर जब-जब धर्म की हानि होती है, भगवान अवतरित होते है| कवि के शब्द हैं-
“धरा जब-जब विकल होती मुसीबत का समय आता,
किसी भी रूप में कोई महामानव चला आता||
प्रभु महावीर का जन्म राज परिवार में हुआ था| स्वाभाविक तौर पर आरंभिक दौर विलासिता से पूर्ण थे| 30 वर्षों तक भोग-विलास से परिपूर्ण जीवन बिताने के पश्चात् भगवान् महावीर ने अगले 12 वर्ष घनघोर जंगल में साधना में बिताये| इन्होंने भोग के सभी साधन छोड़ दिए थे| यहाँ तक की वस्त्र भी| पुनः अगले 30 वर्ष मुक्ति का मार्ग प्रसस्त करने एवं जान-कल्याण में बिताये|
दिगंबर परम्परा के अनुसार महावीर बाल ब्रह्मचारी थे| जबकि श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार भगवान् महावीर की शादी यशोदा नामक कन्या से हुआ था तथा उन्हें पुत्रीरत्न की प्राप्ति भी हुई थी- प्रियदर्शिनी|
भगवान् महावीर का जब जन्म हुआ, उन्होंने अपने आस-पास कई तरह के अन्याय होते हुए देखे| सामाजिक स्तर गिरता चला जा रहा था| धर्म के नाम पर आडम्बर होते थे| भोह-विलास के चकाचौंध, मिथ्या तर्कों के जटिल जाल, भूत-पिशाच और जादू-टोना की विश्वसनीयता, बलि तथा यज्ञादि पूजा विधियों ने सम्पूर्ण भारतीय समाज को दूषित कर दिया था|
इसके अलावा अछूतों का समाज में कोई स्थान नहीं रह गया था| उन पर जुल्म किये जाते थे| उनके गले में घंटी बाँध दी जाती थी, और घंटी की आवाज जहाँ तक जाये, उस जगह को अपवित्र समझा जाता था| सार्वजनिक कुएं से पानी पीना, मंदिरों में पूजा करना और वेद पढ़ना भी मना था| उनके लिए किसी तरह का विद्यालय या आश्रम भी नहीं था|
इस तरह के अन्याय अपने आस-पास देख सिद्धार्थ पुत्र को बहुत दुःख होता था| अतः उन्होंने “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” की स्पष्ट घोषणा की| दलितों, पतितों, शोषितों और अछूतों के लिए महावीर करुणा, प्रेम, स्वतंत्रता और समता का अमर सन्देश ले कर आये|
इस संकटपूर्ण घड़ी में सामाजिक ढांचे को ठीक करने के लिए भगवान् महावीर ने अपरिग्रह, अनेकान्तवाद का सन्देश दिया| उन्होंने अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य जैसे पांच महाव्रतों का मनसा-वाचा-कर्मणा पालन करते हुए भेद-विज्ञान द्वारा ‘कैवल्य’ ज्ञान को प्राप्त किया था| तथा सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र द्वारा अपने सम्पूर्ण उपदेशों को जन-जन तक पहुँचाया|
इस तरह भारतीय समाज में समाजवाद, साम्यवाद की परम्परा स्थापित करने में महावीर जैन का अहम् योगदान रहा है| इनके उपदेशों ग्रहण कर समाज के अछूतों का उद्धार हुआ था|
ऐसे महान आत्मा का बिहार में प्रकट होना, सिर्फ बिहार नहीं, पुरे देश का सौभाग्य है| उनके मार्ग अनुकरणीय हैं|
ईसा पूर्व 527 में 72 वर्ष की आयु में, राजगीर के पावापुरी में भगवान् महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया| आज भी यह स्थल उतना ही पवित्र और शांत है|
बेशक उन्होंने अहिंसा का सन्देश दिया, लेकिन उनके विचारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव आये| उन्होंने समाज के बदलाव के लिए अपना जीवन लगा दिया| ऐसे सत्य और अहिंसा के उपासक और उपदेशक को सत-सत नमन !
“हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा|”
[महावीर जयंती पर इसे अपना बिहार पर फिर से प्रकाशित किया गया है|]