समस्तीपुर के बाल संसद के बच्चों ने किया विधानसभा का भ्रमण, मीडिया कार्यशाला में सौंपा अपना मांग पत्र

समस्तीपुर के विभिन्न सरकारी विद्यालयों के बाल संसद के 30 बच्चों ने आज 20 मार्च 2018 को बिहार विधान सभा का भ्रमण करवाया गया, ताकि वे सदन की कार्यवाही को समझें और उनकी राजनीतिक समझ बढ़ सके । इस दौरान विधानसभा के अध्यक्ष महोदय ने भी इन बच्चों से मुलाकात की और उनको छात्रोपयोगी टिप्स दिए। इस भ्रमण के पश्चात बच्चों के अपने अनुभवों/ सफलता/अपेक्षाओं को साझा किया।

बच्चों ने इसी दौरान अपना चार्टर ऑफ डिमांड भी मीडियाकर्मियों के सामने प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने विद्यालय में खेल-सामग्री की व्यवस्था, खेल के लिए अलग शिक्षक, तकनीकी ज्ञान के लिए कंप्यूटर, खेल का मैदान, हर विद्यालय में पुस्तकालय, लड़के-लड़कियों के लिए अलग शौचालय, समुचित पेयजल, स्कूल का अच्छा भवन, बाल-संसद के लिए अलग कक्ष, सभी बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर, विद्यालय में पंखे की व्यवस्था और सभी विद्यालयों में हर कीमत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की मांग रखी।

ये सभी बाल-संसद प्रतिनिधि बच्चे अपने–अपने स्कूलों में बदलाव के वाहक हैं, जिन्होंने आनंदशाला के साथ जुड़कर गुणात्मक शिक्षा और रचनात्मक कौशल में बढ़ोतरी की है। आनंदशाला क्वेस्ट के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में एक है , जो समस्तीपुर में पिछले पांच वर्षों से बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के साथ काम कर रहा है। यह कार्यक्रम बाल-संसद सदस्यों के क्षमतावर्द्धन पर भी काम करता है, ताकि वे नेतृत्व देने और अपनी बात साझा करने, उठाने लायक कौशल को विकसित कर सकें।

उर्दू मध्यक विद्यालय महनैया, दलसिंह सराय के बाल संसद के प्रधानमंत्री कक्षा 8 के छात्र तौहिद जफर नुरानी ने चिल्ड्रेन बैंक के बारे में बताते हुए कहा कि यह बच्चों का एक सामूहिक बैंक है जिसमें तीन सौ से ज़्यादा बच्चे अपनी बचत के रुपए जमा करते हैं और इन पैसों को किताब-क़लम के अलावा अपनी आकस्मिक ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल करते हैं। सरकारी स्कूल में इस अलग तरह के बैंक की शुरूआत पिछले साल की गई थी। इसका उद्देश्य बच्चों में बचत की आदत डालना और पैसे और संस्था के प्रबंधन के गुणों को विकसित करना है। इस बैंक का प्रबंधन और संचालन बाल संसद के बच्चे करते हैं। चिलडन बैंक’ के प्रबंधक हैं 15 वर्षीय तौफीद जफर नोमानी हैं।

क्वेस्ट अलाइंस के राज्य प्रमुख अमिताभ नाथ ने कहा कि आनंदशाला बच्चों के गुणात्मक और रचनात्मक विकास के लिए काम करता है। बाल-संसद में यह संभावना है कि जिससे बच्चे-बच्चियों की आवाज़ सुनी जा सके और जिसमें बच्चे अपनी शिक्षा के आधार पर खुद ही नेतृत्व लें, जिम्मेदारी उठाएं। आनंदशाला कार्यक्रम पिछले पांच वर्षों से समस्तीपुर के स्कूलों में सक्रिय और ऊर्जावान बाल-संसदों के निर्माण को महत्वपूर्ण मानता है, उसके लिए प्रयासरत है। अब हम चाहते हैं कि हम अपने अनुभव और सीख साझा करें, बेहतर अभ्यासों को कैसे फैलाया जाए, इसके लिए रास्ते तलाशें और इन हस्तक्षेपों के प्रभाव का समुचित मूल्यांकन और निरीक्षण हो सके।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिक्रमपट्टी के पुस्तकालय एवं विज्ञानमंत्री और कक्षा 8 के छात्र प्रशांत कुमार ने अपने विद्यालय में बाल संसद के द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे विद्यालय में पहले पुस्तकालय नहीं था। ऐसे में बच्चे खाली कक्षाओं में कुछ नहीं कर पाते थे। ऐसे में काफी समय बर्बाद होता था। हमलोगों ने अपने बाल संसद के बैठक में यह तय किया कि एक पुस्तकालय का निर्माण किया जाए। इसके लिए राशि के लिए हमने अपने गांव में चंदा किया और लोगों से पैसे इकट्ठे किए। हम बच्चों ने मिलकर पुस्तकालय की पूरी रणनीति बनाई। इसमें आनंदशाला के शाहिद सर ने काफी सहयोग किया। अभी हमारे पुस्तकालय में लगभग 200 किताबें है। इसका प्रभाव हमारे विद्यालय की उपस्थिति पर भी प्रभाव पड़ा। हमारे पुस्तकालय के लिए हमारे प्रधानाचार्य ने एक कमरा भी उपलब्ध करवाया है। अब बच्चे अंतिम घंटी में भागते भी नहीं हैं और पुस्तकालय कक्ष में आकर पढाई करते हैं।

बाल संसद के बारे में 

बाल संसद विद्यालय में बच्चों का ऐसा ही एक मंच है जहां बच्चे स्वंय के अधिकारों, समाज में उनकी भूमिका, स्वास्थ्य से संबंधित मामलों, शिक्षा, स्कूल गतिविधियों समेत समग्र विकास के मामलों में अपने विचार खुल कर व्यक्त कर सकते हैं। बिहार पहला राज्य है जहां सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बाल संसद और मीना मंच का गठन किया जा चुका है एवं बाल संसद के लिए दिशानिर्देश भी बने हैं 

आनंदशाला ‘क्वेस्ट अलायंस’ का एक कार्यक्रम है, जो बिहार शिक्षा परियोजना के साथ मिलकर माध्यमिक शिक्षा तक के बच्चों को अभिनव तरीके से शिक्षा देने के क्षेत्र में काम कर रहा है। समस्तीपुर में यह करीबन 100 स्कूलों के साथ काम कर रहा है। विद्यालयों में बच्चे रुकें, ठहरें और सीखें, इस ध्येय को लेकर आनंदशाला गुणवत्तापरक शिक्षा के उद्देश्य से बीइपीसी के साथ मिलकर काम कर रहा है। फिलहाल, आनंदशाला समस्तीपुर के सभी मध्य विद्यालयों तक पहुंचने और जिलावार ऐसे आदर्श स्कूल बनाने के उद्यम में लगा है, जो सुनिश्चित करे कि हरेक बच्चा स्कूल में में ठहरे, जुड़े और सीखे। 2015 से आनंदशाला अब तक बिहार के समस्तीपुर ज़िले के लगभग 4 लाख बच्चों तक पहुंच चुका है। यह चुनिंदा सरकारी नीतियों के बेहतर कार्यान्वयन पर ज़ोर देता है, ताकि स्कूलों में विद्यार्थी की संलग्नता बढ़े, वह उसे अपना समझें।

नेहा नूपुर: पलकों के आसमान में नए रंग भरने की चाहत के साथ शब्दों के ताने-बाने गुनती हूँ, बुनती हूँ। In short, कवि हूँ मैं @जीवन के नूपुर और ब्लॉगर भी।