इस्तीफे से पहले नीतीश सेफ कर चुके हैं कुर्सी? जानिए पूरा मामला

बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नया सियासी गणित बनने का अनुमान लगाया जा रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सुशील मोदी से बात की है. सुशील मोदी ने अपने घर 1-पोलो रोड पर बीजेपी विधायकों की आपात बैठक बुलाई है. यह उठापटक नए सियासी गठबंधन को लेकर ही चल रही है.

 

फिलहाल जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन वाली सरकार में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के कुल 178 विधायक हैं. कुल 243 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत है. संभावना जेडीयू द्वारा बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के साथ नई सरकार के गठन की बन रही है.

जनता दल यूनाइटेड के कुल 71 विधायक हैं. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के 58 विधायक हैं. इन दोनों को मिलाकर कुल संख्या 129 होती है जो कि बहुमत के लिए पर्याप्त है. पूरी संभावना है कि नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी से हाथ मिलाकर नई सरकार का गठन कर लेंगे.

 

नीतीश ने चला सियासी दांव 

इस्‍तीफा देकर नीतीश कुमार ने बड़ा सियासी दांव चला है. राज्‍य का सियासी घटनाक्रम अगले कुछ दिनों में क्‍या करवट लेता है, यह सामने आना अभी बाकी है. लेकिन इस्‍तीफे के साहसिक फैसले को लेकर नीतीश ने अपनी सियासी स्थिति को और मजबूत कर लिया है. इस कदम से उनकी छवि एक ऐसे राजनेता की बनी है जो भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करता.

 

इस इस्‍तीफे के जरिये नीतीश ने यह भी संकेत भी दिया है कि वे साहस भरे फैसले लेना जानते हैं. सत्‍ता में रहते हुए उन्‍होंने जिस तरह से गठबंधन के सहयोगी दल के नेताओं पर लगे भ्रष्‍टाचार के आरोपों को लेकर सख्‍त रुख अपनाया है, उससे उनकी साफ-सुथरी छवि और मजबूत हुई है.

 

दो साल भी नहीं चल सका मोदी विरोध का महागठबंधन

 

इसके बाद बिहार के विधानसभा चुनावों में उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर प्रचंड बहुमत हासिल किया. तब इस जीत को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को रोकने का रामबाण माना गया और आगे के चुनावों में भी ऐसी ही रणनीति बनाने की वकालत की जाने लगी. हालांकि शुरू से ही असहज रहा यह महागठंबन दो साल भी नहीं चल सका और नीतीश कुमार ने एक बार फिर नैतिकता का हवाला देते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.

 

राज्यपाल के सामने क्या हैं विकल्प

नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी के सामने नई सरकार के गठन की चुनौती है. परंपरा के अनुसार उन्हें विधानसभा में सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल को सरकार बनाने को बुलाना चाहिए लेकिन राज्यपाल इससे पहले आरजेडी से उसके समर्थक विधायकों की लिस्ट मांग सकते हैं. आंकड़े साफ हैं कि लालू की पार्टी के पास सरकार बनाने लायक विधायक नहीं हैं. उनके पास खुद की 80 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के 27 व अन्य एक-दो सीटें मिलाकर वे 122 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सकते. ऐसे में राज्यपाल के पास फिर नीतीश कुमार ही विकल्प होंगे.

 

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