डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बिहार के मुंगेर को बताये थे योगनगरी

फक्र है हमें हम योग नगरी मुंगेर से है। हमने गंगा तट पर साल 1964 में दुनिया का पहला योग विश्व विद्यालय स्थापित करने का गौरव हासिल किया। स्वामी सत्यानंद सरस्वती बिहार स्कूल ऑफ योगा के संस्थापक रहे। मुंगेर के इस स्कूल की योग में भूमिका को देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने साल 2014 में मुंगेर को योगनगरी बताया था। मिसाइल मैन यहां दो-दो बार आ चुके हैं। योग के प्रचार-प्रसार के लिए इस स्कूल की तारीफ़ न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई सहित योग गुरु बाबा रामदेव भी कर चुके हैं।


हमारा योगाश्रम सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं, यह देश के अनगिनत कॉलेजों, जेलों, अस्पतालों और भी कई संस्थाओं में लोगों को योग का प्रशिक्षण देता है। आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित 14,000 शिष्य और 1,200 से ज़्यादा योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। आज 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा हैं। पर यहाँ योग दिवस 14 फरवरी को मनाया जाता हैं, जब पूरी दुनिया वैलेंटाइन्स डे मनाती है, क्योंकि इसी दिन आश्रम प्रमुख स्वामी निरंजनानंद सरस्वती का जन्मदिवस होता है। आध्यात्मिक योग गुरु स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को केंद्र सरकार की तरफ से पद्मभूषण सम्मान भी दिया गया।

बगैर शोर-शराबे के योग-संस्कृति को फैलानेवाले स्वामी निरंजनानंद आत्मप्रचार से हमेशा दूर रहे। स्वामी निरंजनानंद जी के मुताबिक “योग एक साधना है कोई फिज़िकल एक्सरसाइज़ नहीं।”
योग को आगे बढ़ाने में बिहार के मुंगेर ज़िले के ‘बिहार स्कूल ऑफ योग’ का सबसे अहम योगदान रहा है लेकिन अफसोस शहर का ज़िक्र हमेशा अवैध हथियारों के लिए होता है। आप सबसे यही कहना चाहती हूं अगर वाकई आप योग को साधना मानते हैं तो एक बार हमारे आश्रम ज़रूर आएं। यक़ीन के साथ कहती हूं आप योग को यहां सिर्फ महसूस नहीं साक्षात देख सकते हैं, यहां के कण-कण में। अफसोस होता है कि कुछ लोगों ने साधना को भी Commercialize कर दिया और मेरे हिसाब से आज का योग दिवस उस Commercialization से बढ़कर और कुछ नहीं।

– बेबाक रश्मि

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