गुरू गोविंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव के भव्य आयोजन से प्रफुल्लित हुए श्रद्धालू

बिहार का नज़ारा बदला-बदला सा है| भव्य रंग-ओ-रौशनी से सारा शहर सजा हुआ है| अपने साथ परदेसियों को देख बिहारवासियों के मन प्रफुल्लित हैं| जैसे एक नया बिहार हमारे सामने आ रहा हो|

लाखों श्रद्धालुओं के लिए उत्तम प्रबंध, सेवा-सद्भाव और इससे बढ़कर एक खास धर्म के महोत्सव में हर धर्म का समान रूप से सम्मिलित होना| सरकार ने सुविधाएँ दीं तो नागरिकों ने भी मेहमानवाजी में कोई कसर न छोड़ते हुए धर्म-निरपेक्ष वातावरण दिया है| यही वजह है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालू अपने साथ बेहतरीन यादों का गुलदस्ता लिए जा रहे हैं| वो ये कहने में नहीं हिचक रहे कि “बिहार की जो तस्वीर उनके दिमाग में थी, वो अब पूरी तरह बदल चुकी है”| हजारों ऐसे लोग जो पहली बार बिहार आये हैं, उन्होंने ये बात स्वीकारी है कि जिस बिहार की चर्चा उन्होंने सुनी थी, असल में बिहार और यहाँ के लोग वैसे हरगिज़ नहीं हैं| महज कुछ ही दिनों में उनका बिहार के प्रति प्रेम इतना बढ़ गया है कि अब तो वो यहाँ रोजगार-व्यवसाय के रास्ते भी देखने लगे हैं|

आज प्रकाशोत्सव के आखिरी दिन आस्था अपने चरम पर है| भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी बिहार आये और उन्होंने भी गुरू गोविन्द सिंह के 350वें प्रकाशपर्व के इस ऐतिहासिक मौके पर गुरूग्रंथ साहिब पर मत्था टेका| तमाम बड़े राजनेताओं, अभिनेताओं के बीच गुरु गोविन्द सिंह जी के नाम अरदास का दौर है| कुछ साल पहले तक जहाँ इतना बड़ा उत्सव तो क्या एक छोटा सा कार्यक्रम कराने से भी आयोजक कतराते थे, आज स्थिति ये है कि न सिर्फ बिहार की राजधानी वरन हरेक पर्यटन स्थल अतिथि सत्कार के लिए तैयार हैं|

पटनासाहिब में चल रहे महोत्सव के साथ-साथ बोधगया में चल रहा बोधि कालचक्र भी अभी आकर्षण का केंद्र है| बोद्ध गुरू दलाई लामा का प्रवचन सुनने बोधगया में तिब्बत, भूटान और अन्य जगहों से लोगों का आना जारी है| ऐसे आयोजन सर्वप्रथम तो नहीं हो रहे मगर आजादी के बाद के बिहार के लिए नया अनुभव जरूर हैं| ये सही है वर्तमान बिहार इन आयोजनों का आदि नहीं रहा है, परन्तु जनता द्वारा सेवाभाव में कोई कसर बाकी नहीं रखना इस बात का सबूत है कि लोग इन बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए तैयार हैं| इतना तो तय है इस चहल-पहल को जितना याद यहाँ के स्थानीय नागरिक करेंगे उतना ही बाहर से आये अतिथि और श्रद्धालू भी क्योंकि यहाँ गुरू गोविन्द सिंह की पूजा के साथ-साथ बदलते बिहार की तस्वीर भी लोग महसूस कर रहे हैं|

इन सबके बीच मुजफ्फरपुर के पूर्व निवासी श्री राजिंदर सिंह जी का ये बयाँ निश्चित ही नोट करने योग्य है, जिसमें उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री समेत सभी बिहारवासियों के प्रति आभार प्रकट किया है|

नेहा नूपुर: पलकों के आसमान में नए रंग भरने की चाहत के साथ शब्दों के ताने-बाने गुनती हूँ, बुनती हूँ। In short, कवि हूँ मैं @जीवन के नूपुर और ब्लॉगर भी।