अमर्त्य सेन के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो ने भी इस्तीफा दे दिया

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर जॉर्ज यो ने यह कहते हुए पद से इस्तीफा दे दिया कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें संस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ‘नोटिस तक नहीं दिया गया.’

  • नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे चांसलर थे जॉर्ज यो
  • उन्होंने विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित किए जाने का आरोप लगाया
  • कहा- संस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ‘नोटिस तक नहीं दिया गया’

यो ने विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती बोर्ड के सदस्यों को भेजे एक बयान में कहा, ‘जिन परिस्थितियों में नालंदा विश्वविद्यालय में नेतृत्व परिवर्तन अचानक और तुरंत क्रियान्वित किया गया, वह विश्वविद्यालय के विकास के लिए परेशानी पैदा करने वाला तथा संभवत: नुकसानदायक है.’

उन्होंने विवि के पूर्ववर्ती बोर्ड के सदस्यों को भेजे अपने बयान में कहा कि जिन परिस्थितियों में नालंदा विश्व में नेतृत्व परिवर्तन अचानक और तुरंत क्रियान्वित किया गया, वह विवि के विकास के लिए परेशानी पैदा करनेवाला और संभवत: नुकसानदायक है. उन्होंने कहा, यह समझ से परे है कि मुझे  चांसलर के रूप में इसका नोटिस क्यों नहीं दिया गया. जब मुझे पिछले साल अमर्त्य सेन से जिम्मेदारी लेने को आमंत्रित किया गया था, तो मुझे बार-बार आश्वासन दिया गया था कि विवि को स्वायत्तता रहेगी. पर अब ऐसा प्रतीत नहीं होता. इसलिए गहरे दुख के साथ मैंने विजिटर को अपना त्यागपत्र भेज दिया है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विवि के विजिटर के रूप में 21 नवंबर को संचालन बोर्ड का पुनर्गठन किया था, जिसके बाद संस्थान के साथ सेन का लगभग एक दशक पुराना संबंध खत्म हो गया.राष्ट्रपति ने वाइस चांसलर का अस्थायी प्रभार विवि के सबसे वरिष्ठ डीन को दिये जाने को भी मंजूरी दे दी, क्योंकि वर्तमान वाइस चांसलर गोपा सबरवाल का एक साल का विस्तार गुरुवार को पूरा हो गया. नये वाइस चांसलर की नियुक्ति होने तक यह व्यवस्था होगी.
सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज यो ने कहा कि कुछ कारणों से जो मुझे पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, भारत सरकार ने कानून में  संशोधन होने से पहले तत्काल प्रभाव से नये संचालन बोर्ड के गठन का फैसला  किया है. नि:संदेह यह पूरी तरह भारत सरकार का विशेषाधिकार है.
नये वाइस  चांसलर की नियुक्ति लंबित रहने तक गोपा सबरवाल को पद पर बरकरार रहना था,  ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विवि के नेतृत्व में कोई खाली जगह न  रहे. यह विवि के अधिनियम में भी उपलब्ध कराया गया और संचालन बोर्ड ने इसका पूरा समर्थन किया. हालांकि, 22 नवंबर को विजिटर ने संचालन  के विरुद्ध निर्णय किया और इसकी जगह सबसे वरिष्ठ डीन को नियुक्त करने का  निर्देश दिया. यो ने कहा कि जब इस साल जुलाई में उन्हें चांसलर नियुक्त  किया गया था तो मुझे कहा गया था कि संशोधित कानून के तहत एक नया संचालन  बोर्ड बनाया जायेगा, जिसके मुख्य पहलुओं पर विदेश मंत्रालय ने मेरे विचार  मांगे.
संशोधित कानून एक बड़ी त्रुटि को दूर करता, जिसने पिछले तीन साल में  सर्वाधिक वित्तीय योगदान देनेवाले पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों को  संचालन बोर्ड की सीटें प्रस्तावित कीं. यो ने कहा कि यह प्रावधान, जो  नालंदा मेंटर्स ग्रुप ने कभी अनुमोदित नहीं किया, संचालन बोर्ड के गठन के लिए अच्छा तरीका नहीं होता और यही कारण था कि भारत सरकार ने एनएमजी से संचालन बोर्ड के रूप में कानून में संशोधन होने तक कई साल तक काम करते रहने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि पिछले दशक में नालंदा को पुनर्जीवित करने के काम से जुड़ना मेरे लिए सम्मान और गौरव की बात रहा है. कठिन  परिस्थितियों के बावजूद विश्वविद्यालय ने डॉ गोपा सभरवाल और उनके  सहकर्मियों के अथक प्रयास के जरिये उल्लेखनीय प्रगति की है. नालंदा एक विचार है, जिसका समय आ चुका है और यह हममें से हर किसी से बड़ा है.
नये संचालन बोर्ड में होंगे 14 सदस्य : नये संचालन बोर्ड में 14 सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता चांसलर करेंगे. इसमें वाइस चांसलर, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, लाओस पीडीआर और थाईलैंड द्वारा नामांकित पांच सदस्य भी होंगे. पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. वह नालंदा मेंटर्स ग्रुप के सदस्य भी थे.
बिहारशरीफ /राजगीर. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा विवि के चांसलर जार्ज यो के इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, कहा पूरे प्रकरण से विवि किस दिशा में जा रहा है, इसको  लेकर संशय का माहौल बन गया है. यदि इस विवि के गठन के समय से       जुड़े लोगों को छोड़ दें, तो ‘आइडिया ऑफ नालंदा ‘ की मूल भावना प्रभावित होगी. मुख्यमंत्री ने चांसलर के रूप में अमर्त्य सेन व जार्ज यो के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि विवि का गठन राज्य सरकार की पहल पर किया गया था और इस विवि का ऐतिहासिक एवं अंतरराष्ट्रीय महत्व है. उन्होंने विवि के निर्माण में सहयोग करनेवालों को हटाने और नये गवर्निंग बोर्ड के गठन को सत्ता का दुरुपयोग बताया.
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