#Biharikrantikari: #11 इन्होंने एयरफोर्स को दिए थे 3 फाइटर प्लेन्स

दरभंगा राज अपनी शान-ओ-शौकत के लिए जाना जाया जाता था। इनका इतिहास 16वीं शताब्दी से शुरू हुआ थ। इसी वंश के आखिरी शासक हुए महाराजा कमलेश्वर सिंह बहादुर, जो ब्रिटिश शासन के साथ-साथ गाँधी जी के भी प्रिय थे| खुद महात्मा गाँधी ने कहा था, “महाराजा कामेश्वर सिंह बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं, और मेरे पुत्र जैसे हैं|”

महाराजा कामेश्वर सिंह का जन्म 28 नवम्बर 1907 को दरभंगा में ही हुआ| पिता श्री रामेश्वर सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्, 1929 में ये महाराजा की गद्दी पर आसीन हुए और तब तक बने रहे जब तक भारत में राजतंत्र रहा, अर्थात 1952 ई० तक|

1930-31 में हुए पहले और दूसरे गोलमेज सम्मलेन में ये उपस्थित रहे| देश की बदलती राजनीति में सजग और सक्रिय भूमिका निभाते थे| आजादी के बाद 8 साल तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे (1952 से 1958 तक, पुनः 1960 से 1962 तक)|

दरभंगा महाराज का क्षेत्र 2500 स्क्वायर माइल में फैला था, जिसमें बिहार और बंगाल के 4,495 गांव और 18 सर्किल आते थे। इन क्षेत्रों के देख-रेख का जिम्मा 7,500 अधिकारियों का था। इनकी शान ऐसी थी कि महल के अन्दर ही रेल चला करती थी| आज भी रेल की पटरियां महल के अन्दर देखीं जा सकती हैं|

दरभंगा महाराज ने शैक्षिक संस्थानों के विकास के लिए काफी मदद की| ये बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके थे| इसके अलावा इन्होंने पटना विश्वविद्यालय के बेहतरी के लिए 1 लाख 20 हजार का योगदान भी दिया था| इसके अलावा मिथिला स्नातकोत्तर रिसर्च संसथान के लिए भी इन्होंने एक 60 एकड़ की जमीन दान दी थी| उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और बिहार यूनिवर्सिटी में भी मदद की थी।

महाराजा कामेश्वर सिंह जनता की भलाई के लिए कई कदम उठाते थे| वे नये विचारधारा के थे| वे उस जमाने के मशहूर व्यवसायी भी थे| वो 14 व्यवसायों के मालिक थे| चीनी उद्द्योग, कोयला, सूती कपड़ा, जुट, लोहा एवं इस्पात, पेपर, प्रिंट मीडिया, बिजली और रेलवे तक के कारखाने चलाते थे| एयरलाइन की कम्पनी ‘दरभंगा एयरलाइन’ इन्हीं की कम्पनी थी, ‘the Indian Nation’और आर्यावर्त इन्हीं के मीडिया हाउस से निकलती थी| इस प्रकार उन्होंने जनता को सिर्फ किसानी/ खेती के लिए नहीं बल्कि अन्य उद्द्योगों में भी रोजगार देने की कोशिश की थी तथा उन्हें जागरूक किया था| हालाँकि यह उनके पिताजी द्वारा स्थापित व्यवसाय था, जिसे उन्होंने काफी आगे बढ़ाया| उनका यह प्रयास नये जमाने को ध्यान में रख कर किया गया था| इससे आय के नये स्रोत बने| इनके दादा महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह जी कोंग्रेस के फाउन्डर सदस्यों में शामिल थे| ब्रिटिश शासन से मित्रता रखते हुए भी वे कोंग्रेस की आर्थिक मदद किया करते थे|

दरभंगा महाराज सिर्फ अपने राज्य तक सिमित नहीं रहे, बल्कि देश के प्रति अपने कर्म को भी हमेशा आगे रखा| तभी तो वे महात्मा गांधी समेत तमाम राजनेताओं के चहेते थे| द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत को अंग्रेजों ने जबरन युद्ध की आग में झोंक दिया था| ऐसे में ब्रिटिश शासन की हार भारत को बहुत प्रभावित कर सकती थी| इसी वजह से उस दौरान महाराजा कमलेश्वर सिंह ने एयरफ़ोर्स को 3 फाइटर प्लेन दिए थे|

8 नवम्बर 1964 ई० को महाराजा कामेश्वर सिंह इस दुनिया को अलविदा कह गये|

महाराजा कामेश्वर सिंह के उपर एक किताब प्रकाशित हुई थी, जिसका नाम ‘करिज एंड बनेवलंस: महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह’ है। इस किताब की माने तो दरभंगा महाराज ने कई दिग्गज नेताओं की भी मदद की थी। इनमें देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, जयपुर के महाराजा, रामपुर के नवाब के अलावा साउथ अफ्रीका के स्वामी भवानी दयाल संन्यासी सरीखे लोग शामिल हैं।

 

 

नेहा नूपुर: पलकों के आसमान में नए रंग भरने की चाहत के साथ शब्दों के ताने-बाने गुनती हूँ, बुनती हूँ। In short, कवि हूँ मैं @जीवन के नूपुर और ब्लॉगर भी।