नीतीश-रामविलास को केंद्र सरकार का हिस्सा होने के साथ बिहार हित में विपक्ष भी बनना होगा

संसद में बिहार से 40 सांसद चुनकर जाते हैं। इस बार समंपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 सीटें, जदयू ने 16, एलजेपी ने 6 और कांग्रेस ने एक सीट जीता है। जिसमें से बीजेपी, नीतीश कुमार का जदयू और रामविलास का एलजेपी एनडीए गंठबंधन का हिस्सा है और महागठबंधन के तरफ से मात्र कांग्रेस को एक सीट मिला है।

देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की प्रचंड बहुमत की सरकार बन रही है। जाहिर है कि बिहार के 40 सांसद में से 39 सांसद सरकार के समर्थक होंगे तो मात्र एक सांसद बिहार के तरफ से विपक्ष में होगा। लोकतंत्र में सरकार के साथ विपक्ष का भी बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है। सरकार सत्ता के नशा में डूब न जाए, इसलिए विपक्ष जरूरी है।

इसके साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले ये सांसद क्षेत्रीय समस्याओं और उसके हित के लिए भी सरकार पर दवाब बनाते हैं। बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्य में से एक रहा है। वर्षों से बिहार केंद्र सरकार के भेदभाव का शिकार रहा है। बिहार के हित के लिए यह जरूरी है कि केंद्र सरकार पर दवाब बनाया जाए। मगर इस बार के लोकसभा में बिहार के तरफ से मात्र एक विपक्षी सांसद है।

बिहार के क्षेत्रीय पार्टी जेदयू और एलजेपी सरकार सरकार में रहेगी। इन दोनों राजनितिक पार्टियों का वजूद सिर्फ बिहार से है और साथ ही नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री भी हैं। जाहिर है कि सरकार में रहते हुए भी इन दो पार्टियों को संसद में गठबंधन धर्म से उपर उठकर  बिहार का आवाज बनना होगा।

हालांकि केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार होने का फायदा भी बिहार को मिल सकता है। बिहार के सांसदों को जनता चुनती है, इसलिए उनकी जिम्मेदारी है कि वे बिहार का हित को आगे बढाय। नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग करते रहे हैं। यह सबसे बढ़िया अवसर होगा केंद्र सरकार पर दवाब बढ़ाने के लिए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि वे बिहार से किया हर वादा निभायेंगे।

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