बिहार के आलोक वर्मा को रातों-रात सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाने पर मचा सियासी बवाल

देश की सबसे बड़ी जांच संस्था सीबीआई में कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है| इमानदार आइपीएस अफसर के रूप में शुमार आलोक वर्मा को सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर के पद से अचानक हटा दिया है| इस मामले को लेकर देश में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया है|

क्या है मामला?

गौरतलब है कि CBI ने राकेश अस्थाना (स्पेशल डायरेक्टर) और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज की थी| इसके एकदिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया| इस गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया|

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया| और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया| चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया|

कोर्ट में पंहुचा मामला 

आलोक वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है| जिसकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है और शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी| सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कई तरह के इशारे किये हैं| आलोक वर्मा ने अपनी याचिका में इस बात की ओर भी इशारा किया है कि सरकार ने सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है|

आलोक वर्मा की याचिका के मुताबिक, 23 अक्तूबर को रातोंरात रैपिड फायर के तौर पर CVC और DoPT ने तीन आदेश जारी किए| यह फैसले मनमाने और गैरकानूनी हैं, इन्हें रद्द किया जाना चाहिए|

राफेल डील की जांच करने वाले थे आलोक वर्मा !

आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लग रहे हैं| मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अनुसार राफेल डील की जांच करने वाले थे आलोक वर्मा, इसलिए मोदी सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है| कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आलोक वर्मा राफेल डील की जांच शुरू करने वाले थे इसलिए उन्हें हटा दिया गया और उनके अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया| सुरजेवाला ने दावा किया कि आलोक वर्मा नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या मामले में सख्ती बरत रहे थे| इसलिए मोदी सरकार ने उन्हें हटा दिया|

सिर्फ कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी को भी राफेल और सीबीआई के अधिकारियों को हटाने में कोई संबंध नजर आ रहा है| केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, क्या राफेल डील और आलोक वर्मा के हटाने के बीच कोई संबंध है| केजरीवाल ने पूछा, क्या आलोक वर्मा राफेल डील की जांच शुरू करने वाले थे जो आगे चलकर मोदी जी के लिए समस्या खड़ी कर सकता था|

मूलरूप से बिहार के रहनेवाले आलोक वर्मा

साफ-सुथरी छविवाले आईपीएस अधिकारी माने जानेवाले आलोक वर्मा मूलरूप से बिहार के रहनेवाले हैं| बिहार के तिरहुत प्रमंडल के शिवहर जिला निवासी आलोक कुमार वर्मा मात्र 22 वर्ष की उम्र में वर्ष 1979 में आईपीएस चुन लिये गये थे| 14 जुलाई, 1957 को जन्मे आलोक वर्मा ने 22 वर्ष की उम्र में ही आईपीएस चुने गये थे| वह अपने बैच के सबसे कम उम्र के अभ्यर्थी थे| हालांकि, उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई है| उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की|

Search Article

Your Emotions