दिल्ली के मुखर्जी नगर में बाहरी छात्रों पर हो रहा है हमला, पुलिस ने मदद के बजाए छात्रों को ही पिटा

बिहार समेत अन्य राज्यों से हजारों-लाखों की संख्या में हर साल छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए दिल्ली आते हैं| माता-पिता अपना पेट काटकर, जमीन बेचकर और कर्ज लेकर अपने बच्चों को हजारों किलोमीटर दूर भेजतें हैं और कोचिंग की मोटी फीस भरते हैं| इस उम्मीद में कि एक दिन बेटा पढ़-लिखकर सरकारी बाबू बनकर गाँव वापस आएगा!

दुसरे राज्य से सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले ऐसे ही हजारों-लाखों छात्र देश की आईएएस फैक्ट्री के नाम से मशहूर मुखर्जी नगर, राजेंद्र नगर, नेहरु विहार, गाँधी विहार और करोल बाग़ में रहते हैं| इन्ही हजारों छात्रों के पैसों पर यहाँ के सभी बाज़ारों की रौनक हैं और हजारों स्थानीय परिवारों की रोजी-रोटी चलती है|

मगर दुसरे राज्य से दिल्ली पढ़ने आए यही हजारों छात्र जो नेहरु विहार, गाँधी विहार और मुखर्जी नगर में रहते हैं| वे रूम में बैठकर पढ़ने के बजाए, कई दिनों से सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहें हैं| लगातार कई महीनो से बाहर से आए इन छात्रों पर स्थानियों लोगों द्वारा हमला किया जा रहा है, उनको भद्दी गलियां दी जाती है और उनका सामजिक और आर्थिक तरीकों से शोषण किया जा रहा रहा है| बाहर से पढ़ने आयें इन छात्रों को सुरक्षा का भरोसा देने के बजाय, पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बेहरमी से घेर पिटा है| इस आन्दोलन का समर्थन कर रहे युवा साहित्कार और डार्क हॉर्स के लेखक नीलोत्पल मृणाल को भी पुलिस ने बेहरमी से पिटा और और उनसे बुरा बर्ताव किया है|

nilitpal mrinal, police, mukharji Nagar

पुलिस के लाठियों से घायल नीलोत्पल मृणाल

इसपर उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ” सवाल ये कतई नही है कि उन्होंने हमें मारा, हमारे छात्र भाईयों को मारा, साथियों को मारा, और कसम से बेरहमी से मारा…सवाल ये है कि, वे एक दिन सबको मार देने के लिए तैयार हैं। व्यवस्था के कठपुतली इन लाठियों को डर नही लगता है जनमत से, छात्रों की एकता से। ये भरोसा इन्हें कौन देता है? यही है सबसे बड़ा सवाल।

सवाल ये नही कि हम बाहरी छात्र कितने नरकीय अवस्था में कीमत से चौगुना किराया दे रहते हैं।
सवाल ये है कि आप स्थानीय हैं तो क्या हमें मार के फेंक दीजियेगा एक दिन उसी नेहरू विहार के नाले में जहां हमने आपके दारु पी रहे बिगड़ैल बेटे को गाली देने पे टोक दिया था।”

गत 8 अगस्त को सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्र अरविन्द को कुछ स्थानीय लोगों ने शराब पीकर मोटर साईकल से टक्कर मर दी| छात्र ने जब इसका विरोध किया तो उसे घेरकर बेहरमी से पिटा गया| यह पूरा मामला सीसीटीवी में कैद है| मगर इतना होने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया|

इस सब के विरोध में हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर गये| छात्रों का आरोप है कि ऐसी घटना लगातार हो रही है| स्थानियों लोगों द्वारा उनसे बुरा व्यवहार किया जाता है| मकान मालिकों और दलालों द्वारा कीमत से चार गुना किराया लेकर उनका आर्थिक शोषण तो किया ही जाता है, इसके साथ उनसे बुरा बर्ताव और भद्दी गलियां दी जाती है और विरोध करने में चप्पल-जुत्तों से पिटा जाता है|

यहाँ के संसद मनोज तिवारी पर भी छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें यहाँ की स्थिति है, मगर वोट बैंक के खातिर चुप हैं और हमारी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर रहे| मीडिया से बात करते हुए नीलोत्पल मृणाल ने कहा कि..

स्थानियों लोगों की रोज़ी-रोटी बाहर से आए छात्रों के पैसों से ही चलती है| वे इनकों लाठी नहीं मार रहे बल्कि अपने ही पेट पर जोड़दार लाठी मार रहे हैं|

 

Search Article

Your Emotions