बिहार का एक युवा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत को दिखाया आईना

नीति आयोग के सीईओ को एक बिहारी युवा का ख़त।

माननीय सम्मानित अमिताभ कांत जी,

आज आपका एक बयान पढ़ने को मिला कि बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ जैसे उत्तरी राज्यों के कारण देश का विकास पीछे हो रहा है। मैं जानता और मानता हूँ की आपका कथन कहीं न कहीं सही है और आपने यह किसी दुर्भावना से नहीं कहा है|.. पर मेरे जैसे एक बिहारी युवा आपसे कुछ सवाल करना चाहता है।

चूंकि आप देश के नीति-निर्माता और नीति आयोग के बहुत बड़े अधिकारी हैं, साउथ ब्लॉक के लाल बिल्डिंग मे रहते हैं, जहां तक हमारी आवाज भी नहीं जा सकती इसलिए आपको एक खुला खत लिखने को बाध्य हुआ हूँ।

मैं बिहार की बात करूंगा क्योंकि वहीं से हूँ और बाँकी आपके वर्णित राज्यों का हाल भी वहाँ से अलग नहीं है। मैं मानता हूँ की बिहार एक गरीब और पिछड़ा राज्य है लेकिन ये बात जो आप बयान दे रहे हैं, उसको पूछने का हक़ तो मेरा है आपसे कि क्यों, ऐसा क्यों है?

पिछले तीन साल से नीति आयोग देश के विकास के लिए नीति बना रहा है, जब आपको पता है कि ये क्षेत्र गरीब है तो आपने इसे बदलने के लिए क्या नीतियाँ बनाई? क्या बिहार को स्पेशल पैकेज या विशेष राज्य का दर्जा दिया गया? क्या देश के सबसे पिछड़े 20 जिलों के लिए अलग से मिथिला डेव्लपमेंट बोर्ड बनाया गया?

आप ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की बात करते हैं लेकिन इस क्षेत्र के स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी दूर करने के लिए आपने क्या नीति बनाया? सहरसा एम्स चार सालों से आज भी लंबित पड़ा हुआ है। हर साल यह इलाका बाढ़ के चपेट मे आता है, आपने इसके निदान के लिए क्या किया?

10 जिलों के 4 करोड़ से ज्यादा की आबादी एक अकेले डीएमसीएच पर निर्भर है, कोई दूसरा मेडिकल हॉस्पिटल एंड कॉलेज क्यों नहीं खोला गया?

गंगा के इस पार रोजगार का एक साधन नहीं है, लोग पलायित हो गए हैं, आपने रोजगार सुविधा और उद्योग लगवाने के लिए क्या किया?

क्यों नहीं स्पेशल इकोनोमिक जोन बनाया गया? हमारे बंद पड़े चीनी मिलों को क्यों नहीं खोला गया? क्यों नहीं यहाँ कृषि आधारित उद्योग लगाया गया?

गंगा के इस पार एयरपोर्ट क्यों नहीं खोला गया ताकि इन्वेस्टर आकर्षित हों जबकि दरभंगा और पूर्णिया मे इसकी प्रचुर संभावना है। दरभंगा, भागलपुर, हाजीपुर, गया आदि क्षेत्र आसानी से सॉफ्टवेयर और आईटी इंडस्ट्री का गढ़ बन सकता था, इसके लिए सरकारी प्रयास क्यों नहीं हुआ? यहाँ के शिक्षा के हालत से जब आप परिचित हैं तो क्यों नहीं इन बीस जिलों मे आईआईटी, एम्स, आईआईएम, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को खोलने की मंजूरी दी गयी ताकि एक नई शुरुआत हो?

हम मानते हैं की हमारी सरकारें और नेता लोग नकारा हैं, उनमें विजन नहीं है और न ही उनको विकास से कोई मतलब है बल्कि वो सिर्फ जाति-धर्म की राजनीति करते हैं। मैं ये भी मानता हूँ की हमारी जनता भी ऐसी ही है, वो उन्हें ही चुनेंगे और उन्हें भी उसी चीज से मतलब है। लेकिन आप तो देश के नीति निर्माता हैं, आपसे तो हम पूछेंगे कि इसका निदान क्या है?

क्या आप ऐसे ही छोड़ देंगे इस स्थिति को या बदलाव के लिए कुछ नीतियाँ अपनाएँगे? हमारा राज्य शुरू से तो बीमार और पिछड़ा नहीं था, स्व्तंत्रता प्राप्ति के समय ज़्यादातर क्षेत्रों में बिहार पूरे देश में सबसे आगे था| फिर ऐसी कौन सी नीतियाँ थी की हम पीछे छूटते गए? ये आपकी ही नीतियों के कारण हुआ, आप जैसे नीति-निर्माताओं के नीतियों के कारण ही।

उन्होंने ही हमारे क्षेत्र को लेबर जोन समझा, हमारे यहाँ काम-उद्योग बंद हुए तो हमारे लोग मजदूरी करने पंजाब-हरियाणा-गुजरात-महाराष्ट्र जाने लगे।.. और सबसे महत्वपूर्ण सवाल, जिसका जवाब मैं खोजता हूँ कि इन तीन सालों मे नीति आयोग के उस लाल बिल्डिंग मे ऐसी कौन सी नीतियाँ बनी जिससे इस स्थिति को बदला जा सके?

सवालों के जवाबों का आकांक्षी
– आदित्य मोहन

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