रणजी ट्रॉफी में बिहार क्रिकेट की वापसी पर बीसीसीआई ने फिर लगाया यह अड़गा

17 साल के लंबे इंतजार के बाद भले ही बिहार को रणजी में खेलने की अनुमति मिल गई हो लेकिन मैदान पर टीम की वापसी अभी भी अंधेरे में है. सौरव गांगुली की अगुवाई वाली बीसीसीआई की तकनीकी समिति ने प्रशासकों की समिति (सीओए) की अगले साल से बिहार को रणजी ट्रॉफी में शामिल करने की सिफारिश पर आपत्ति व्यक्त की है.

सोमवार को कोलकाता में बैठक के दौरान महाप्रबंधक (क्रिकेट संचालन) सबा करीम ने यह सिफारिश पेश की. बैठक में उपस्थित बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बिहार रणजी टीम को लेकर करीम के सुझाव के बाद पूरी समिति ने सर्वसम्मति ने महसूस किया कि इस संबंध में उचित प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए.

धिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर  कहा, ‘‘सबा करीम सीओए का पत्र लेकर आया था जिसमें तकनीकी समिति को बिहार को रणजी ट्राफी में शामिल करने के लिये हां करने का सुझाव दिया गया था. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार हम बिहार को रणजी ट्राफी खेलने से नहीं रोक सकते हैं.’’

लेकिन एक अन्य सदस्य ने सबा से कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि अगर हम बिहार को रणजी ट्राफी में खेलने की अनुमति देते हैं तो नगालैंड, मणिपुर और मेघालय अदालत नहीं जाएंगे. अभी तक बीसीसीआई ने नया संविधान स्वीकार नहीं किया है जिसमें लोढ़ा समिति के सुधार शामिल हैं. इसलिए बिहार अब भी पूर्वोत्तर के राज्यों के तरह एसोसिएट सदस्य ही है.’’

करीम ने समिति को समझाने की कोशिश की कि बिहार का मामला पूर्वोत्तर की तुलना में थोड़ा अलग है जहां क्रिकेट मुख्य खेल नहीं है और वहां आधारभूत ढांचे की भी कमी है। तकनीकी समिति ने करीम को दो विकल्प दिए या तो सीओए के निर्देशों के अनुसार बिहार को सीधे रणजी ट्राफी में एंट्री दी जाए और अन्य राज्यों से कानूनी कार्रवाई की अपेक्षा करें या फिर उन्हें जूनियर क्रिकेट में लाकर प्रक्रिया का अनुसरण करें। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा , ‘‘यह फैसला सीओए को करना है कि उन्हें कौन सा विकल्प व्यावहारिक लगता है। समिति को जो सही लगा उससे उसने सबा करीम को अवगत करा दिया है।’’

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