मोदी ने कुछ इस तरह ठुकरा दिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग, जनता ने नहीं बजाई ताली

कभी ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ के नाम से मशहूर एतिहासिक पटना विश्वविद्यालय (पीयू) ने अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लिए| पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 में हुई थी और आज भी यह विश्वविद्यालय बिहार के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। स्थापना से पहले इसके अंतर्गत आनेवाले आने वाले कॉलेज कलकता विश्वविद्यालय के अंग थे। देश में ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो नदी किनारे हैं। उनमें से एक पीयू पटना में गंगा के किनारे अशज़क राजपथ में स्थित है। विश्वविद्यालय का मुख्य भवन दरभंगा हाउस के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण दरभंगा के महाराजा ने करवाया था।

पटना विश्वविद्यालय १०० साल के अपने स्वर्णिम इतिहास का जश्न मना रहा है और इस जश्न में आज देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामिल होकर इस विश्वविद्यालय के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ दिया और इस विश्वविद्यालय के समारोह में सामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये|

इस विश्वविद्यालय ने अपने स्वर्णिम अतीत से लेकर अबतक कई उतार-चढ़ाव देखें हैं| देश के आज़ादी का आन्दोलन हो या लोकनायक जयप्रकाश नारायण का सम्पूर्णक्रांति का आन्दोलन, देश के निर्माण में इस विश्वविद्यालय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया है| इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, फिल्म अभिनेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, पूर्व रेलमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सामाजिक कार्यकर्ता व सुलभ इंटरनैशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक समेत कई विशिष्ठ लोग शामिल हैं। खास बात यह कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री रहे यशवंत सिन्हा पटना कॉलेज के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

इस विश्वविद्यालय का जितना गौरवपूर्ण इतिहास है, वर्तमान उतना ही दुखद है| कभी ‘पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड’ कहा जाने वाला यह विश्वविद्यालय आज बहुत ही ख़राब स्थिति से गुजर रहा है| पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भारी कमी है, कई डिपार्टमेंट में एक ही शिक्षक है तो कई डिपार्टमेंट में एक भी नहीं| २००३ के बाद से शिक्षकों की बहाली नहीं की गयी है| जहाँ पहले जियोलॉजी विभाग में २६ शिक्षक हुआ करते थें वहां अभी मात्र ४ हैं| शिक्षकों के कमी के कारण कई विभागों को बंद कर दिये गये हैं| यहाँ सिर्फ मकान बचें हैं और वह भी खंडहर बन चुका है|

आज प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय में आए थे| लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय का किस्मत बदल देंगे और पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा देंगे| मंच पर प्रधानमंत्री के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह मांग भी रख दी| उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का हर छात्र चाहता है कि इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिले, जिसके समर्थन में पूरा पंडाल तालियों के जरिये अपना समर्थन जाता दिया|

मुख्यमंत्री के भाषण के बाद प्रधानमंत्री मोदी लोगों को संबोधित करने आए| प्रधानमंत्री ने अपनी बात बिहार और विश्वविद्यालय के गौरवगाथा के साथ शुरु किया| जैसे ही प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा देने की मांग की चर्चा किया, पूरा पंडाल भारी उम्मीदों के साथ प्रधानमंत्री के तरफ देखने लगा| लोगों को लगा कि प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय का किस्मत बदलने का अब एलान कर देंगे| नीतीश कुमार की मांग पर पीएम मोदी ने कहा कि केंद्रीय यूनिवर्सि‍टी बीते हुए कल की बात है| मैं उससे आगे ले जाना चाहता हूं| नई योजना की तहत देशभर के 10 प्राइवेट यूनिवर्सिटी और 10 पब्लिक यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड स्टैंडर्ड बनाने के लिए सरकार के कानूनों से मुक्ति देने की योजना है| आने वाले 5 साल में इन यूनिवर्सिटी 10 हजार करोड़ रुपये देने की योजना है| हालांकि, इसमें शामिल होने के लिए प्रोफेशनल एजेंसियों की मदद से टेस्ट में अव्वल आना होगा|

प्रधानमंत्री ने एक तरह से पटना को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग को ठुकरा दिया| अभी विश्वविद्यालय की जैसी स्थिति है, उसे देखकर इन १० यूनिवर्सिटी के लिस्ट में जगह बनाना असंभव सा ही लगता है| शायद यही कारण था कि प्रधानमंत्री के भाषण ख़त्म होने के बाद लोगों ने ताली तक नहीं बजाई|

हालांकि प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के विकास के लिए 10 करोड़ की राशि देने की घोषणा की|

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