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जानिए आखिर क्यों नीतीश कुमार को कॉग्रेस का अध्यक्ष बनाने की बात हो रही है ?

इतिहासकार जब वर्तमान को अपने नजरिये से देखता है तो उसके साथ इतिहास के पन्ने तथ्यों के रूप में मौजूद होते हैं. अतीत गवाह बनकर साथ खड़ा होता है. अतीत और वर्तमान की तुलना कर इतिहासकार अपना नजरिया सामने रखता है. जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कांग्रेस को मौजूदा संकट से उबारने के लिये बेबाक टिप्पणी की है.

 

वो कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन देखना चाहते हैं. उनके मुताबिक कांग्रेस को सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन ही बचा सकता है. इस पर सोने पे सुहागा ये कि कांग्रेस नीतीश कुमार को अपना अध्यक्ष बना ले. जाहिर तौर पर गुहा की इस कल्पना से कांग्रेस में कोहराम मचेगा. इतिहासकार गुहा ने सौ साल पुरानी कांग्रेस को इतिहास का पाठ गणितीय समीकरण से समझाया है.

 

हालांकि गुहा ने इस सुझाव को अपनी ‘फंतासी’ करार दिया और कहा कि अगर जेडीयू अध्यक्ष नीतीश ‘दोस्ताना तरीके से’ कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभालते हैं तो यह ‘जन्नत में बनी जोड़ी’ की तरह होगी.

 

अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ की 10वीं वर्षगांठ पर इसके रिवाइज़्ड संस्करण के विमोचन के मौके पर गुहा ने कहा,

‘मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.’ उन्होंने कहा कि नीतीश एक ‘वाजिब’ नेता हैं.

रामचंद्र गुहा

मोदी की तरह उन पर परिवार का कोई बोझ नहीं है, लेकिन मोदी की तरह वे आत्ममुग्ध नहीं हैं. वे सांप्रदायिक नहीं हैं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देते हैं. ये बातें भारतीय नेताओं में विरले ही देखी जाती हैं. नीतीश में कुछ बातें हैं जो अपील करती थीं और अपील करती हैं.

 

सोनिया गांधी की गिरती साख और पार्टी संभालने में उनकी नाकामी पर गुहा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष जब तक नीतीश को यह पद नहीं सौंपतीं, तब तक भारतीय राजनीति में पार्टी या सोनिया गांधी का कोई भविष्य नहीं है. उनके मुताबिक 131 साल पुरानी कांग्रेस अब कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं बन सकती और लोकसभा में अपनी मौजूदा 44 सीटों को भविष्य में बढ़ाकर ज़्यादा से ज़्यादा 100 तक ले जा सकती है.

 

साल 2019 के आम चुनावों के बारे में गुहा ने कहा, ‘अब यदि कल उनका कोई नया नेता या नेतृत्व बन जाता है तो चीजें बदल सकती हैं. राजनीति में दो साल लंबा वक़्त होता है. कांग्रेस का पतन भी चिंताजनक है क्योंकि एक दलीय प्रणाली लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है.

 

रामचंद्र गुहा वामपंथ और दक्षिणपंथ दोनों के आलोचक माने जाते हैं. राजनीति में कोई और विकल्प न होने पर उनका कहना था, ‘एक ही दल के शासन ने तो जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े, लोकतांत्रिक नेता को भी अहंकारी बना दिया था. पहले से ही निरंकुश रही इंदिरा गांधी को और निरंकुश बना दिया. ऐसे में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यह विकल्पहीनता कैसा बना देगी, इसके बारे में मैंने सोचना शुरू कर दिया है.’

 

गुहा ने कहा कि भारत पश्चिमी लोकतंत्र के दो दलों के स्थायी मॉडल को अपनाने में नाकाम रहा है. उनके अनुसार राज्यों में दो पार्टी की प्रतिद्वंद्विता को कमज़ोर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘पिछले 70 साल में भारत के जिन तीन राज्यों ने आर्थिक और सामाजिक सूचकांक के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन किया है, उनमें तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं और इन सभी में तुलनात्मक तौर पर दो दलों वाली स्थायी प्रणाली है.’

 

गुहा ने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा और गुजरात में भाजपा की मिसाल देते हुए कहा कि जिन राज्यों में लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार रही है, वह विनाशकारी ही साबित हुई है. उन्होंने कहा, ‘जिन राज्यों में स्थायी तौर पर दो पार्टी वाली प्रणाली होती है, वे बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं.’

 

हालांकि गुहा के कहने और सोचने से कांग्रेस पर फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन ऐसी कल्पनाशीलता भी कभी कभी बहुत कुछ कह जाती है. गुहा की टिप्पणी सोचने पर मजबूर भी कर सकती है. आखिर क्यों एक इतिहासकार को कांग्रेस बिना नेतृत्व की पार्टी लगती है?

गुहा ये इतिहास भूल गए कि वंशवाद की बेल पर बढ़ने वाली कांग्रेस ने नेहरू, इंदिरा, राजीव और सोनिया का दौर देखा है. गुहा इतिहासकार हैं और उन्होंने नेहरूयुग देखा तो इंदिरा का दौर भी देखा. राजीव और सोनिया की सियासत देखी तो गांधी परिवार को कांग्रेस की एकमात्र पहचान बनते भी देखा. वो कांग्रेस की लोकतांत्रिक परंपरा से बखूबी वाकिफ हैं. वो जिस कांग्रेस को सुझाव दे रहे हैं उस कांग्रेस ने विदेशी मूल की बहू के मुद्दे को दरकिनार करते हुए सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया था. सोनिया ने अपनी सीमित राजनीतिक परिपक्वता के बावजूद कांग्रेस की दो बार केंद्र में यूपीए गठबंधन के साथ सरकार बनाई. अब वक्त और मौका युवराज राहुल के महाराज बनने का है तो रामचंद्र गुहा नेतृत्व के लिये नीतीश का नाम सुझा रहे हैं. एक ऐसी जोड़ी का ख्वाब देख रहे हैं जिसे कांग्रेस जमीन तो दूर जन्नत में भी बनने नहीं देगी.

 

 

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