बिहार की यह बेटी बनी महिलाओं के स्वरोजगार की आवाज

अगर आप कोई भी काम ठान ले तो वो मुश्किल नहीं होता। बिहार के सहरसा जिले के सहसौल के 21 साल की बेटी ऋचा का ख्वाब तो था एक मॉडल बनने का लेकिन उन्होंने मॉडल बनने की बजाय दूसरों के सपनों को ज्यादा तरजीह दी। ऋचा में जोश की कोई कमी नहीं, हुनर की कोई कमी नहीं। अपनी खूबसूरती के दम पर जिन्होंने मिस बिहार कॉन्टेस्ट में काफी आगे भी गईं। लेकिन वो ठहर गईं जब उन्होंने अपने आसपास के समाज की हालत देखी। अपने आसपास के बदलाव की जिम्मेदारी ऋचा ने खुद ली और शुरू कर दी महिलाओं को सशक्त बनाने की जंग।ऋचा ने महिलाओं को स्वरोजगार दिलाने की ठानी, जिसके लिए उन्होंने कई बड़े फैसले भी लिए। उन्होंने बिहार की कला को बढ़ावा दिया और महिलाओं को उस कला को बेहतरीन तरीके से पेश करने का हुनर भी। ऋचा ने अपनी तरह से महिलाओं को सशक्त करने के कई प्रयास किए हैं। वे महिलाओं को स्वरोजगार के लिए नि:शुल्क ट्रेनिंग भी दे रही हैं। जिसके लिए ऋचा ने ऋचा ने ‘केदार हाउस मंच’ का गठन किया है। ऋचा की शिक्षा-दीक्षा उनके नानी घर हुई।

वैसे ऋचा कहती हैं कि नानी स्व. गायत्री देवी से उनको समाजसेवा की सीख मिली। ऋचा ने कहा कि अभी तो बस कुछ कदम बढ़ी हूं। मंजिल अभी दूर है। ऋचा खुद विभिन्न स्लम क्षेत्र से लेकर स्कूलों तक निशुल्क ट्रेनिंग दे रही हैं। उनके प्रयासों को केंद्र व राज्य स्तर पर सराहा भी गया है।

इस छोटी उम्र में ही ऋचा के किये प्रयासों ने न जाने कितनी ही महिलाओं को उम्मीद की नई किरण दिखाई है। समाज में महिलाएं खुद आत्मनिर्भर हो सके, इस काविल उन्हें बनाया और इस प्रयास को सभी उम्र की महिलाये कबूल भी रही हैं।

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