नये बिहार के हीरो: शानदार अभिनय के दम से सबके दिल में बसते हैं ये बिहारी अभिनेता

मिट्टी की खुशबु को साथ लिए जो चलते हैं, पूरी दुनिया उनकी खुशबु में डूब जाती है, उनके रंग में रंग जाती है। कुछ ऐसा ही इन कलाकारों के साथ भी है। बिहार में व्याप्त जंगलराज का प्रभाव तब बॉलीवुड में ऐसा हुआ करता था कि यहाँ के कलाकारों को भी अधिकतर नकारात्मक किरदार ही निभाने को दिए जाते थे। लेकिन वो कहते हैं न, हीरा तो अपनी पहचान कोयले की खादान में भी बरकरार रखता है। इन कलाकारों ने अपनी प्रतिभा को चरम तक पहुँचाया और गाहे-बगाहे नोटिस भी किये गये, अवार्ड्स भी जीते। इन्हीं मिट्टी से जुड़े कलाकारों को जानने की कोशिश करते हैं ‘नये बिहार के हीरो’ की आज की कड़ी में-

मनोज वाजपेयी-

पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज की धरती की पैदाइश मनोज वाजपेयी पाँच भाई-बहनों में दुसरे थे। अभिनेता मनोज कुमार के नाम से जिस बच्चे का नाम रखा गया हो, उसमें एक महान अभिनेता के गुण कैसे न आते! गाँव के स्कूल से शुरूआती शिक्षा ग्रहण करने के बाद ये बेतिया आ गये और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गये। ‘सत्या’ फिल्म में इनका किरदार आज भी हिंदी सिनेमा में निभाये गये यादगार किरदारों में शुमार किया जाता है। ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ की सिरीज में भी इन्होंने अभिनय का लोहा मनवाया है। शुरूआती दिनों में टेलीविज़न में भी काम कर चुके मनोज अभिनय के क्षेत्र के कई अवार्ड्स अपने नाम कर चुके हैं। न सिर्फ हिंदी, मनोज ने तमिल और तेलगु की फ़िल्में भी की हैं। ज्यादातर डार्क शेड वाले किरदारों में दिखने वाले मनोज वाजपेयी कविता पाठ में भी गहरी रुचि रखते हैं। यूट्यूब पर कविता पाठ करके महान कवियों को अक्सर याद किया करते हैं।

सुशांत सिंह राजपूत-

टेलीविजन के सुपरहिट धारावाहिक ‘पवित्र रिश्ता’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करके सुशांत सिंह राजपूत यश राज फिल्म्स के चहिते अभिनेता बन चुके हैं। ‘काई पो चे’, ‘शुद्ध देसी रोमांस’ और ‘डिटेक्टिव व्योमकेश बक्शी’ के बाद महेंद्र सिंह धोनी के किरदार में नज़र आये सुशांत पटना में पले-बढ़े हैं। सुशांत मुख्यतः बिहार के पूर्णिया जिले मलडिहा के रहने वाले हैं। AIEEE में पूरे देश भर में सातवां रैंक पाने के बावजूद एक समय आने पर इन्होंने इंजिनीरिंग की पढ़ाई छोड़ने का फैसला लिया ताकि अपने डांस और एक्टिंग को अधिक समय दे सकें। इसी समर्पण का फल अब इन्हें मिल रहा है जब इनकी फ़िल्में न सिर्फ क्रिटिक का ध्यान आकृष्ट करती हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करती हैं और इनके मेहनत को अवार्ड्स तक भी पहुँचाती हैं।

पंकज त्रिपाठी-

पंकज त्रिपाठी गोपालगंज के रहने वाले हैं। यूँ तो इनका फ़िल्मी करियर सन् 2004 के आसपास शुरू हुआ, मगर ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ में अपने दमदार अभिनय से जैसे बॉलीवुड में छा ही गये। पंकज कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रहे हैं जिनमें इनका अभिनय भी यादगार रहा है। मुख्य फिल्मों का नाम लेना हो तो सिंघम रिटर्न्स, मांझी-द माउन्टेन मैन, मसान, दिलवाले और नील बट्टे सन्नाटा ने इन्हें हिंदी सिनेमा में स्थापित किया है। 24 मार्च को रिलीज़ हो रही ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ में भी इनका खास किरदार है।

संजय मिश्रा-

अभिनय के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके बिहारी कलाकारों में संजय मिश्रा का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। कभी नकारात्मक तो कभी कॉमेडी पात्रों को पर्दे पर उतार सबका दिल जीत लेते हैं। लोग इनके डायलॉग बोलने के अंदाज का मज़ा लेते हैं। दरभंगा, बिहार के रहने वाले संजय फिल्मफेयर क्रिटिक अवार्ड फॉर बेस्ट एक्टर का ख़िताब अपने नाम कर चुके हैं।गोलमाल, भूतनाथ रिटर्न्स, किक या दिलवाले, ह्यूमरस किरदारों में अपना पुट डालना कोई इनसे सीखे। इनके बिहारी अंदाज के हिंदी सिनेमा में मशहूरियत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि संजय मिश्रा अब तक हिंदी की एक सौ बीस से अधिक फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं।

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