माह-ए-मुहब्बत 8: और जब लड़की ने प्रपोज़ करके उस दिन को बनाया अपना प्रपोज़ डे

बात तब की है जब मैं १० क्लास में था। Guardian के प्रेशर में मैंने भी क्रैश कोर्स ज्वाइन कर लिया। क्लास में जाते ही मैं ठिठक सा गया। पहली बार जब मैंने उसको देखा तो बस देखता ही रह गया, थी ही वो इत्ती खूबसूरत!

बहुत ही चंचल और पढ़ने में काफी झुझारू थी। इसके साथ ही वो मेरा सारा चैन और रात की नींद लेकर उड़ चुकी थी। हमेशा उसका चेहरा आँखों के सामने रहता। ऐसा लगता क्लास कभी ख़तम ही न हो…ऐसा लगता ये रविवार क्यों आता है। क्लास में सबसे पहले जाकर उसकी बगल वाली सीट पर जाकर बैठना और उसका इंतज़ार करना मानो डेली रूटीन सा बन गया था। जब तक उसको देख न लो दिल को चैन दिमाग को आराम नहीं मिलता था। जी हाँ ! मुझे हो गया था, टीनएजर में जो होता है..जिसको लोग प्यार बोलते हैं..हाँ हो गया था हमको  Frist Sight Love।

अब मैं बात करने के लिए बहाने ढूंढने लगा। संयोग देखो मैंने थोड़ा सा लेट क्लास ज्वाइन किया था, तो बहाना मिल गया उसके नोट्स लेने का (Thankyou sir for the help) और फिर मैंने उसके अंदर एक कागज के टुकड़े पे कुछ लिखा और वापस कर दिया। BY God! उस रात जो मेरी हालात हुई, बाकायदा मैं पूरी रात नहीं सो पाया। कल क्या होगा ये सोच कर, कितने डंडे पड़ेंगे, सबके सामने पड़ेंगे! १० साल पहले लड़कियों से बात कर लेना छोटे शहरो में जंग जीतने से कम न था। मेरे तो मानो कदम ही क्लास की ओर जाने को तैयार नहीं थे। हिम्मत करके मैं अपनी सीट पर बैठा। जैसा सोचा वैसे डंडे नहीं पड़े, लकिन पहले प्रयास में फेल हो गया और नतीजतन उसको देखने की भी हिम्मत नहीं रही।

इसी में क्लासेज over हो गयीं। छुट्टियाँ हो गईं, फिर रिजल्ट्स आये, सब अच्छे नम्बरों से पास हो गए, और इधर का हाल मत पूछो! ऐसा कोई पल और दिन नहीं था जब मैंने उसको याद नहीं किया और अपनी २६” की लंबी साइकिल से उसके घर के चक्कर नहीं लगाए ताकि  बस उसकी एक झलक मिल जाए और अपना दिल बाग-बाग हो जाए!
12th की क्लासेज स्टार्ट हो गईं और ट्यूशन के दौरान हम आपस में टकराने लगे। मैं रोज घर से हिम्मत करके निकलता कि आज जो होगा सो होगा आज बोल ही दूँगा। लेकिन ज्योंही वो सामने आती सल्लू भाई के गाने यहाँ परफेक्ट बैठते “लकिन- किन्तु-परन्तु बंधू सामने वो आती है , दिल में धड़कन, मुंह में ज़बाँ और सांसे रुक जाती हैं”। वो साइकिल ट्यून-ट्यून करके मेरे सामने से निकल जाती और मैं बस देखता रह जाता। उसीमें खुश हो जाता और इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे २ साल बीत गए और मैं कुछ नहीं बोल पाया।
आगे की पढ़ाई के लिए सारे प्रदेशवासियों के जैसे मुझे भी अपने प्रदेश को छोड़ कर दूसरे प्रदेश जाना पड़ा और अपने निश्छल प्रेम को अपने अंदर दबाये रखना पड़ा। लेकिन भगवान् को कुछ और मंज़ूर था। अपने SRK BABA कहते हैं न किसी चीज को तहे दिल से चाहो तो भगवान् भी उनकी मदद करते हैं, और फिर वो हुआ जिसके बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था।
उसको मेरे कुछ क्लासमेट और मेरी बहन से पता चला कि मैं उसको बहुत ही पसंद करता हूँ और हमेशा उसके बारे में बातें करता रहता हूँ। उसने पुरानी बातों को रिकॉल करना स्टार्ट किया। उसको अहसाह हुआ कि सच में ये लड़का मुझको बहुत पसंद करता है (कुछ बातें ऐसी हुईं थीं जिससे ,उसको पूरा यकीन हो गया कि ये बंदा सच्चा है। सारी बातों को यहाँ नहीं लिख सकता, कहानी काफी लम्बी हो जाएगी।)
2012 दिसम्बर की बात है मेरे सेमस्टर एग्जाम ख़तम हो गए थे और बहुत ठण्ड के कारण मैं घर नहीं आ पाया था। रज़ाई मैं बैठ लैपटॉप पे FB scroll कर रहा था, अचानक उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। उस टाइम याद है, मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ। फिर हमारी रात-रात भर चैटिंग होने लगी। फिर फोन नंबर एक्सचेंज हुए , हम लोग फोन पे बाते करने लगे।
शाम का वक़्त था, मैं हॉस्टल की छत पे वाक इन टॉक कर रहा था। अचानक वो बोली मेरा नाम लेकर, “सुनो”। मैंने बोला, “क्या”? फिर वो बोली -“तुम ने बोला नहीं कुछ अबतक!” मैं थोड़ा  अनजान बनने की कोशिश किया। (मैं कुछ पल के लिए रूका, आँखे बंद की, मुझे उसका चेहरा नज़र आया, वही 10th क्लास वाला, और मुझे भी ये यकीन हो गया, वो भी मुझे उतना ही पसंद करती है जितना कि मैं)। फिर उधर से उसने पूछा, “DO you Love me”? मैं सन्न हो गया गया। मैंने भी तुरंत पूछ दिया “Do youuu love me ?”… उसने बोला, “yeahh! I love you ..”

मुझे अपने कान पर यकीन नहीं हुआ, मैंने बोला, “क्या बोली तुम?” फिर उसने बोला,  “yeahh I love you”। मैंने उसका 7 साल इंतज़ार किया था, तब जाकर मुझे ये सुनने को मिला। मैं पूरी रात सो नहीं पाया और न ही वो। हम फिर मार्च २०१३ में पहली बार होली पर अपने शहर के फेमस कॉलेज पर मिले और बस एक दूसरे को देखते रह गए कुछ बात नहीं कर सके। उस दिन मुझे फिर से अहसास हुआ , प्यार की कोई ज़बाँ नहीं होती, ये बस फील किया जा सकता है। मैंने जो उसकी आँखों में देखा उसको शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता।
फिर परदेसियों की तरह अपने प्रदेश, अपने शहर , अपने लोग और उसको छोड़ अच्छे भविष्य बनाने की खातिर वापिस आ गया। सब कुछ अच्छा चल रहा था। इसीबीच मेरी कॉलेज क्लास समाप्त हो गयी। डिग्री मिल गयी। जो नहीं मिला वो था JOB। मेरी प्लेसमेंट नहीं हुई। फिर भी मैं स्ट्रांग था। वो मेरे साथ थी, मुझे अपने आप पर भरोसा था, जॉब जल्द ही मिल जाएगी। लकिन कुछ बातें आपके वश से बाहर की होती हैं। टाइम बीतता गया, मेरे साथ रहने वालो की जॉब हो गयी, मेरे दोस्तों की जॉब हो गयी। मैं frustrate होने लगा, मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने सबसे बात-वात बंद कर दी थी। मैं किसी का फ़ोन नहीं उठाता था। life was getting worse। उसके भी रिजल्ट्स नहीं आ रहे थे (banking)। हमारे बीच लड़ाईयाँ होने लगीं, हम बात करना बंद कर देते थे। लेकिन बिना बात किये रह भी नहीं पाते थे! हालाँकि हम दोनों ये जानते थे कि हम एक-दूसरे के कभी नहीं हो सकते थे(कुछ मज़बूरियां थी), लेकिन फिर भी  साथ रहना चाहते थे अंतिम साँस तक।

जैसा मैंने पहले बताया, कुछ बातें आपके हाथ से बाहर की होती हैं, शायद भगवान को भी मंज़ूर नहीं था, और हमलोग मई १२ ,२०१६ को अलग हो गए। उसने जाते-जाते मुझे बोला, “बस खुश रहना, चाहे कोई भी परिस्थिति हो”, तो बस खुश रहने की कोशिश करता हूँ, अब भी।
हाँ मैं जानता हूँ, तुम्हारा मैंने बहुत दिल दुखाया है। शायद तुमको मैं ठीक से समझ नहीं पाया। अगर तुम पढ़ो तो मैं इसके माध्यम से बस इतना कहना चाहता हूँ , “i am really very sorry,  i didn’t deserve you”। हो सके तो मुझे माफ़ कर देना,  तुम्हें नए जीवन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जब मुझे मेरी अज़ीज़ दोस्त ने ‘माह-ए-मोहब्बत’ में कुछ लिखने को कहा, तो मैंने दिल की बात लिख दी। अंत में पाठकों से निवेदन करता हूँ कि, मोहब्बत करना बहुत ही आसान है, निभाना बहुत ही कठिन, इसलिए बहुत ही सोच-समझ कर कुछ भी करें। हालाँकि इस मामले में दिल की चलती है, फिर भी निवेदन है, लड़कियों को कुछ भी नहीं चाहिए, सिवा थोड़ा-सा केयर और loyality के!
धन्यवाद!

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