बजट 2017 : प्रधानमंत्री के घोषित विशेष पैकेज नहीं मिलने के बावजूद तरक्की के राह पर अपना बिहार

भारत में चल रहे वित्तीय उतार-चढ़ाव के बावज़ूद राज्य सरकार ने अपने बजट में आम आदमी का पूरा ख्याल रखा है। बजट में सूबे के मुखिया नीतीश कुमार के सात निश्चय को धरातल पर उतारने की कोशिश साफ-साफ दिख रही है। कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया गया है। विकास योजनाओं एवं शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च का प्रवधान किया गया है। वित्तीय प्रबंधन के और बेहतर होने की उम्मीद करते हुए राज्य के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि राज्यों को मिलने वाली योजनाओं की राशि में अगर केंद्र सरकार कटौती नहीं करती तो बजट में चार चांद लग जाता। शराबबंदी अभियान को क्लीनचिट देते हुए उन्होंने इसके असर से इंकार किया। हालांकि नोटबंदी को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है।

राज्य का वित्तीय प्रबंधन शानदार

दस मिनट के संक्षिप्त किंतु असरदार भाषण में वित्तमंत्री ने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को बेहतर बताया। राज्य की वित्तीय स्थिति को बेहतर बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नोटबंदी,केन्द्रीय करो में हिस्सेदारी के पैटर्न में बदलाव, विशेष राज्य का दर्जा एवं प्रधानमन्त्री के घोषित विशेष पैकेज राशि नहीं मिलने के बावजूद राज्य अपने संसाधनों से विकास में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में राज्य को कर संग्रह के रूप में 32001.12 करोड़ रूपये मिलने का अनुमान है, जो पिछले 29,730.27 करोड़ रुपये के तुलना में 2270.85 करोड़ रुपये अधिक है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य को अपने संसाधनों से गैर कर राजस्व के रूप में 2874.96 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। 

इस बजट में पूंजीगत व्यय के रूप में 80 हजार 891 करोड़ और स्थापना व प्रतिबद्ध व्यय के रूप में 78 हजार 818 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं। चूंकि इस बजट से योजना और गैर योजना मद के अंतर को समाप्त कर दिया गया है, इसलिए अब योजना आकार को पूंजीगत व्यय और गैर योजना आकार को स्थापना और प्रतिबद्ध व्यय के रूप में देखा जायेगा. पूंजीगत व्यय को प्रतिबद्ध व्यय से बड़ा रखा गया है, जिससे कि विकास योजनाओं के लिए ज्यादा-से-ज्यादा रुपये एकत्र किये जा सके।
प्रस्तावित बजट में तीन बातों को मुख्य रूप से फोकस किया गया है- बेहतर वित्तीय प्रबंधन, विकास योजनाओं पर विशेष खर्च और राजकोषीय घाटा को नियंत्रण रखना। शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करने का प्रावधान है. इसके बाद ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, ऊर्जा, समाज कल्याण समेत 10 विभागों की योजनाओं पर बजट की करीब 78 प्रतिशत राशि खर्च की जायेगी. शेष 30 विभागों की योजनाओं के लिए करीब 22 प्रतिशत रुपये खर्च किये जायेंगे।

 

चुनिंदा सभी विभागों में खासतौर से जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का विशेष प्रावधान किया गया है. वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान राजकोषीय घाटा 18 हजार 112 करोड़ रुपये होने का अनुमान रखा गया है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) छह लाख 32 हजार 180 करोड़ का 2.87 प्रतिशत है। इस बार भी पिछले बजट की तरह ही 14 हजार 555 करोड़ के रेवेन्यू सरप्लस (राजस्व बचत) का बजट पेश किया गया है। यह जीएसडीपी का 2.30 प्रतिशत है. वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि रिटेल, उत्पादन संबंधित अन्य सेक्टर में बूम आने के कारण राज्य को टैक्स के रूप में अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की प्रबल संभावना है. इसका सीधा फायदा राजस्व कलेक्शन पर पड़ेगा।

योजनाओं में सबसे ज्यादा इन 10 विभागों पर खर्च

        विभाग               प्रतिशत

  • शिक्षा                 17.58
  • ग्रामीण विकास     12.02
  • ग्रामीण कार्य         10.53
  • ऊर्जा                  8.40
  • समाज कल्याण    7.35
  • सड़क निर्माण       7.05
  • स्वास्थ्य              4.41
  • जल संसाधन       3.50
  • आवास    3.38
  • पंचायती राज        3.20
  • अन्य विभाग22.57
  • कुल 100

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