विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़ सैकड़ों गरीब को मुफ्त में प्रतियोगिता परिक्षाओं की तैयारी करवा रहा है यह बिहारी

शैलेश कुमार|| समस्तीपुर : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भले ही दो साल से सरकारी आवाज बना हो लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी भी शख्सियत है जो पिछले आठ सालों से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के इल्म को लोगों के बीच बांट रहे है।

इन्होंने न केवल इसके लिए लोगों को जागरूक किया बल्कि सैकड़ों बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षा देकर अपने पैरों पर खड़ा किया और आज कई लड़कियाँ सरकारी नौकरी में भी चयनित हुई है। जिसके लिए उन्हें कई संगठनों ने लोक सेवा में सराहनीय कार्यो के लिए सम्मानित भी किया है। इस शख्सियत का नाम राजेश कुमार सुमन है,जो बीएसएस क्लब:निःशुल्क शैक्षणिक संस्थान के संस्थापक है।यह संस्थान बिना किसी सरकारी सहायता के संचालित है।

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इन्होंने विदेश मंत्रालय की नौकरी छोड़कर सन् 2008 में शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा था। आज इनके इस मिशन में श्याम ठाकुर, रंजीत सिंह,जितेन्द्र यादव,लक्ष्मी सिंह,अमित झा जैसे दर्जनों युवा जुड़े है। उन्होंने स्कूल से लेकर घरों
तक बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। इसके बाद उन्होंने गरीबी के कारण पढ़ने से कतराने वाली बच्चियों को तलाशा फिर शिक्षा के इल्म से उन्हें तराशा भी। वह 8
सालों से गरीब बच्चियों को नि:शुल्क पढ़ाने का काम कर रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पर्यावरण, महिला उत्थान, मानवाधिकार, बाल विकास आदि क्षेत्र में सराहनी कार्य
किया है।

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आपन बिहार टीम के शैलेश कुमार कानू से खासबात चीत में कहा है वे शिक्षा के व्यवसायीकरण से दुखी हैं सुमन का कहना है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण के चलते अब गुरु-शिष्य के बीच का सम्मान खत्म होता जा रहा है। गरीब शिक्षा से विमुख हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिना शिक्षा के हिन्दुस्तान के विकास का खाका तैयार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए शिक्षक को ही आगे आना होगा। यह संकल्प लेना होगा की हम अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें। क्योंकि शिक्षक संस्कारों का वाहक है।

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