बिहार में नये आइडिया के प्रोत्साहन के लिए स्टार्टअप नीति, 2016 लागू

बिहार अब उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है, जहां स्टार्टअप नीति लागू है।  राज्य सरकार ने नये आइडिया के प्रोत्साहन के लिए स्टार्टअप नीति, 2016 पर कैबिनेट ने मंगलवार को मुहर लगा दी. यह नीति अगले पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगी. स्टार्टअप के लिए सरकार ने 500 करोड़ का वेंचर फंड स्थापित किया है. पूरे स्टार्टअप का 22% फंड एससी-एसटी के लिए आरक्षित होगा.

उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने  कैबिनेट के बैठक के बाद बताया कि राज्य सरकार सात निश्चय कार्यक्रम के तहत नये आइडिया के तहत कुछ करनेवालों की मदद करेगी. यह सहायता उस स्टार्टअप को मिलेगा, जिसका टर्नओवर पिछले पांच साल में किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ से अधिक नहीं हो.

 

पांच साल तक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं
नये स्टार्टअप को पांच साल तक रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं होगी और न ही इसके लिए लाइसेंस लेने की आवश्यकता होगी. सिर्फ मानव को क्षति होने और खतरेवाली आइडिया के लिए ही लाइसेंस की जरूरत होगी. उद्योग सचिव ने बताया कि नये स्टार्टअप की पांच साल तक कोई जांच नहीं करेगा. यदि किसी परिस्थिति में जांच की आवश्यकता हुई, तो यह डीएम के निर्देश पर ही की जा सकेगी. इन्हें सेमिनार, मीटिंग आदि के लिए मुफ्त में सेमिनार हॉल या परिसर देने का प्रावधान किया गया है.

 

10 लाख तक मिलेगा अनुदान
नये स्टार्टअप को काम करने के लिए सरकार 10 लाख रुपये तक की मदद करेगी. यदि वे अपनी आइडिया को विकसित करने के लिए धन की उगाही करते हैं, तो उगाहे किये धन पर दो प्रतिशत की मदद दी जायेगी. प्रधान सचिव ने कहा कि यदि केंद्र सरकार या विश्वबैंक जैसी संस्थाओं से धन का वे इंतजाम करते हैं, तो इन संस्थाओं से उगाही के धन के बराबर राज्य सरकार धन देगी. यह लाभ एससी-एसटी को 15% और महिला को 5% अतिरिक्त मिलेगा.

 

शिक्षा में शामिल होगा स्टार्टअप, मदद के लिए साथ होंगे आइआइटी जैसे संस्थान
सरकार जल्द ही स्टार्टअप को राज्य की शिक्षा में शामिल करेगी. इसकी मदद के लिए आइआइटी पटना, एनआइटी, निफ्ट, राजेंद्र कृषि विवि, बिहार कृषि विवि सबौर, बीआइटी, सीपेट, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान समेत बड़ी संख्या में संस्थानों को इन्क्यूबेटर के रूप में शामिल किया गया है.

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