1926 Views
1 Comments

क्या तालिबानी है शराबबंदी का नया कानून?? पढि़ए…

Nitish kumar for liquor ban

पिछले 10 दिनों से यू कहे तो बिहार की पूरी मीडिया,राजनीतिज्ञ और वैसे खास लोग जो किसी ना किसी रुप में प्रभावशाली है नये शराबबंदी कानून को लेकर काफी चिंतित दिख रहे हैं।।
स्वभाविक है कानून के प्रावधान इतने कड़े हैं कि तालिबानी कानून कहे तो कोई बड़ी बात नही होगी ये भी सही है कि इस कानून से सबसे अधिक प्रभावित हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोग ही होगे,,, इस कूनान में पुलिस को खुली छुट मिल गयी है जो करना चाहे वह कर सकता है।।हलाकि इस नये कानून को लागू होने में कम से कम छह सात माह का समय लग ही सकता है।
राज्यपाल के पास जायेगा वहां से फिर कैबिनेट में आयेगा वैसे राज्यपाल भी संशोधन कि सलाह दे सकते हैं लेकिन ऐसा होता कम ही है,,,लेकिन एक प्रावधान है कानून के बिल को कितने समय में लौटाना है इसकी कोई सीमा निर्धारित नही है ऐसे में राज्यपाल इसको खीच भी सकते हैं लेकिन इस कानून को लेकर जितनी हाईतौबा मचायी गयी पुलिस तो अभी से भी इस कानून के आर में गुंडागर्दी शुरु कर दिया होगा।।।
लेकिन सवाल ये उठता है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हो इस पर हर कोई कहता है लागू होना चाहिए,,,,इसको लेकर जो नये कानून बने उसको सभी ने समर्थन किया लेकिन स्थिति सामने है शहर छोटा हो या बड़ा राशी जितनी लगे शराब उपलब्ध है रोज पकड़े जा रहे हैं। सरकार अब वैसे गांव को चिंहित कर रहा है जहां बार बार शराब पकड़ा जा रहा है उस गांव को सामूहिक जुर्वाना कि बात हो रही है,,,,
चार माह में 9637 लोग पकड़े गये हैं लेकिन शराब बिकना जारी है ये सही है कि पुलिस इस खेल में माल बना रहा है लेकिन बस इऩते से ही आप अपनी जिम्मेवारी से तो भाग नही सकते हैं।।
सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करना चाहती है आप भी कहते हैं लागू होना चाहिए फिर आप बताये सरकार क्या कर सकती है,,,,,,सरकार के पास सख्त कानून बनाने के अलावा कोई और विकल्प हो तो बताये,,,,,,
हा पुलिस गलत फंसाये नही इसके लिए भी कठोर कानून बनाये गये हैं गलत फंसाने पर नौकरी के साथ साथ पूरी कमायी जप्त हो जायेगी कानून इतना सख्त है,,,,, फिर आप कहते हैं पुलिस गलत किया है इसको तो कोई पुलिस अधिकारी ही कहेगा फिर आप कहेगे पुलिस तो आपस में मिले रहते हैं,,,,,, तो आप रास्ता बताये क्या किया जाये,,,,,, समाज को जागरुक बनाया जाये ये काम सरकार का नही है,,, पुलिस गलत व्यक्ति को ना फंसाये जुल्म ना करे इसको रोकने का काम सिर्फ सरकार ही करे ऐसा सम्भव नही है,,,,, तो कही ना कही कानून कितना भी कठोर क्यों ना बने सब कुछ जनता के चाल और चरित्र पर ही निर्भर करता है,,,,,
मुझे लगता है कड़े कानून कि बात एक बहाना है और इस बहाने के पीछे पूरी शराब माफिया लगा हुआ है अगर ये सही है कि शराबबंदी के कानून लागू होने के बाद महिलाओं पर होने वाली हिंसा में कमी आयी है या फिर गांव औऱ शहर के चौक चौराहे पर रोजना होने वाले गुंडागर्दी में कमी आयी है तो मेरा मानना है कि इस कानून को लेकर जो सबसे ज्य़ादा हायतौबा मचा रहा है मीडिया,राजनीतिज्ञ और वो खास लोग जो किसी ना किसी रुप में प्रभावशाली है कमर कस ले तो पुलिस गलत कर लेगा सपने में भी सोचा नही जा सकता है,,लेकिन हमलोग तो बस सवाल खड़े करने के लिए ही बने हमारे एक सीनियर पत्रकार मित्र कहते हैं मैं तो पीउगा सरकार भेजे जेल वही बैंठकर स्टोरी लिखेगे ये सर अंग्रेजी के पत्रकार है पूरी सिस्टम अंगूली पर नचाने का दंभ भरते हैं मैने सलाह दिया सर चलिए इस कानून के खिलाफ सड़क पर उतरा जाये लेकिन वो पीछे हट गये कहा कोई कहता है शराब छोड़ दो तो कोई कहता है गौ मांस छोड़ दो क्या क्या छोडेगा हाहाहहाहाह चलिए सोचिए क्या होना चाहिए

 

सभार- संतोश सिंह के पेज से

Search Article

Your Emotions