बिहार के बेटे द्वारा निर्मित तेजस विमान वायुसेना में शामिल

आखिर वह खुशी का क्षण आ ही गया, जब बिहार के लाल द्वारा निर्मित लड़ाकू एवं देश में निर्मित विमान तेजस को वायु सेना में शामिल कर लिया गया। आपको बताते चले कि तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण दरभंगा के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव निवासी एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. मानस बिहारी वर्मा के नेतृत्व में बनाया गया था। आज जब विधिवत इस विमान को एयर फोर्स में शामिल किया गया तो एक बार फिर बिहार का सर गर्व से उंचा हो गया। जानकारी हो की भारत के राष्ट्रपति रह चुके स्व. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके डा. मानस बिहारी वर्मा दोनों अच्छे मित्र थे, और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपने बिहार दौरा के दौरान कई बार उनसे मिलने भी आये थे।

वायुसेना को स्वदेश में निर्मित लड़ाकू विमान तेजस की ताकत मिल ही गई। बेंगलूरु में हुए एक कार्यक्रम में तेजस वायुसेना के स्कॉव्ड्रन में लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट यानि एलसीए शामिल हो गया। करीब 60 फीसदी देसी विमान का शामिल होना इस मायने में भी बड़ी बात है कि दुनिया में गिनती के ही देश हैं जो खुद लड़ाकू विमान बनाते हैं। करीब तीन दशक के लंबे इंतजार के बाद ये लड़ाकू विमान शामिल हो पाया। फ्लाइंग ड्रैगर स्कॉव्ड्रन में फिलहाल दो तेजस होंगे और अगले साल मार्च तक छह और आ जायेंगे। इसके बाद और आठ तेजस इस स्कॉव्ड्रन में शामिल होंगे। आगले दो साल ये स्कॉड्रवन बेंगलूरु में ही रहेगा इसके बाद ये स्कॉड्रवन तामिलनाडू के सलूर में चला जाएगा। 12 टन वजनी इस विमान की जब शुरुआत की गई थी तब लागत 560 करोड़ बताई गई थी लेकिन आज बढ़ते बढ़ते 55 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। जनवरी 2001 में पहली प्रोटोटाइप एलसीए ने उड़ान भरी और तब से लेकर आज तक 3000 घंटे से ज्यादा ये उड़ान भर चुका है और अभी तक इसका रिकार्ड अव्वल है। दिसंबर 2013 में इसको इन्सियल ऑपरेशनल क्लियरेन्स मिल चुका है और इस साल के अंत तक फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेन्स भी मिल जाएगा। इसका मतलब ये है कि एफओसी मिलने के बाद ये लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा।

भारतीय वायुसेना ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 120 तेजस का ऑर्डर दिया है। यकीनन  देर से सही इसके वायुसेना में शामिल होने से वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जायेगी और देसी होने की वजह से इसके किसी भी चीज के लिये किसी दूसरों का मोहताज नहीं होना होगा।

क्या है तेजस  ?

– लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी।

– एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी।

– अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।

– तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

– तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है। वजन 6560 किलोग्राम है।

-देश में बना पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है तेजस।

-सर्फ 2 प्लेन के साथ एयरफोर्स इसे अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है।

-सफलतापूर्वक तेजस का किया जा चुका है टेस्ट, एयर मार्शल जसबीर वालिया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) के ऑफिसर्स की देख-रेख में पूर्ण हुआ टेस्ट।

-तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरू में ही रखा जाएगा।

-तमिलनाडु के सलूर में इसके बाद इसे शिफ्ट किया जाएगा।

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