बिहार के इस गाँव के हर घर में एक IITians पैदा लेता है, इस बार फिर 50 छात्रों ने किया आइआइटी मेन्स परीक्षा क्रैक किया।

गया: प्राचीन काल में बिहार विश्व गुरू के नाम से प्रसिद्ध था।  पूरे विश्व से लोग ज्ञान प्राप्ति के लिए बिहार आया करते थे।  बिहार ज्ञान की भूमी रही है।  समय के साथ बिहार की वह पहचान कायम नहीं रह सका मगर बिहार ज्ञान की भूमी आज भी है।  बिहारी लोगों के काबलियत इसका प्रमाण है। 

जिस गया के पावन भूमी पर बुद्ध को ज्ञान मिला था उसी गया जिले एक गाँव  मानपुर के पटवाटोली बस्ती के बच्चे फिर शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का नाम हर साल रौशन कर रहें है।

13_06_2016-patwa_toli

 

लगभग साढ़े तीन दशक पूर्व से शिक्षा जगत में विख्यात बिहार का मैनचेस्टर के नाम से मशहूर पटवाटोली मोहल्ले में पूर्व के भांति इस बार भी 50 छात्रों ने आईआईटी मेन्स में सफलता हासिल किया है।

 

बुनकरों की इस बस्ती की एक खासियत इसे देश में खास बनाती है। अभावों में जी रही इस बस्ती की नई पौध सपने देखती है तथा उन्हें पूरा करने का हुनर भी जानती है। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि यहां हर साल आइआइटियंस पैदा हो रहे हैं। वर्ष1992 से शुरू हुआ यह सिलसिला आज तक जारी है। यहां से इस साल भी 11 बच्चों ने आइआइटी की प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंकिंग पाई है। पटवा टोली के बच्चों ने इस साल भी अपना रिकॉर्ड कायम रखा है। इससे इलाके में खुशी का माहौल है।

 

गाँव के पूर्व छात्रों द्वारा गठित नव प्रयास नामक संस्था के मदद से गाँव में स्टडी सेंटर चलाये जा रहें है।  पूर्व छात्र जो आइआइटी में सफल हो चुके है वह समय निकाल गाँव आ कर बच्चों को पढाते हैं,  उनकी प्रोबलेम सोल्व करते है, उनका मार्गदर्शन करते है तथा उनको प्रोत्साहित भी करते रहते हैं।

 

अभी पटवा टोली में पांच स्टडी सेंटर चल रहे हैं। यहां के बच्चों के सफलता के पीछे उनकी काबिलियत और मेहनत के साथ-साथ ऐसे सेंटर्स का भी अहम योगदान है। यहां पढने वाले छात्रों का कहना है, ‘‘यहां पढ़ाई करते हुए एक रुचि पैदा होती है। एक प्रतियोगी माहौल मिलता है। इससे पढ़ाई में निखार आता है।’’

 

आज पटवा टोली के सफल छात्र माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल, सैमसंग, हिंदुस्तान एयरनॉटोकिल लिमिटेड जैसी प्रमुख देशी-विदेशी कंपनियों में काम कर रहे हैं।

 

सीमित संसाधनों के वाबजूद ये बच्चे सफलता के मिशाल कायम कर रहें है।  यह बिहार की वही पावन भूमी है जहां बुद्ध को ज्ञान मिला था,  दशरथ मांझी ने अपने मेहनत, जूनून और हिम्मत के दम पर अकेले पहाड़ तोड़ दिया था।  आज उसी भूमी पर एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है।  मेहनत, जूनून और हिम्मत तो बिहारी के DNA में है।

Search Article

Your Emotions